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सारण जहरीली शराब: NHRC जांच पर मचा घमासान, सुमो बोले- 'कुछ छिपाया नहीं तो क्यों हो रही परेशानी?'

बिहार में सारण जहरीली शराबकांड (Saran Hooch Tragedy) को लेकर सियासत थमने का नाम नहीं ले रहा है. मामले में जांच के लिए आई राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग की टीम को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. जिसको लेकर बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi) ने बिहार सरकार को घेरते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार जी अगर आपने सारण जहरीली शराबकांड में कुछ छिपाया नहीं है तो डरने की क्या जरूरत है?. पढ़ें पूरी खबर...

बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी
बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी
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Published : Dec 20, 2022, 10:01 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 11:10 PM IST

सुशील मोदी ने बिहार सरकार पर साधा निशाना

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार (Rajya Sabha Member Sushil Kumar Modi) मोदी सारण जहरीली शराबकांड को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर (Sushil Modi Target Bihar Government) हैं. मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की टीम बिहार पहुंची है. जिसको लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. इसको लेकर बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग की टीम बिहार जांच करने आई है तो इसमें बिहार सरकार को डरने की जरूरत क्या है?. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) एक स्वायत्त संस्था है और यह केंद्र सरकार के निर्देश पर काम नहीं करती. आयोग ने भाजपा शासित राज्यों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर जांच टीम भेजी है.

ये भी पढे़ं- जहरीली शराब कांड पर BJP ने खोला मोर्चा, बोले विजय सिन्हा- 'कल विधानसभा परिसर में प्रदर्शन'

'आयोग ने गुजरात के मोरबी में दुर्घटना के बाद वहां की राज्य सरकार को भी नोटिस भेजी थी. भाजपा शासित यूपी के आगरा और मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मानसिक आरोग्य केंद्र की जांच के लिए भी आयोग की टीम गई थी. बिहार में जब भाजपा सरकार में थी, तब आधे दर्जन से अधिक जहरीली शराब से जुड़े मामलों का संज्ञान मानवाधिकार ने लिया था. तब इसने संबंधित जिलों के एसपी और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस देकर जवाब मांगा और 3 लाख रुपये तक मुआवजा देने का निर्देश दिया था.' - सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

सुशील मोदी ने बिहार सरकार पर साधा निशाना : सुशील मोदी ने कहा कि सारण में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की जांच करने के लिए आयोग की टीम का आना भी एक रूटीन प्रक्रिया है. इससे सरकार क्यों डरी हुई है?. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग की धारा-17(2) के अन्तर्गत आयोग को अधिकार है कि राज्य सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट न होने पर वह जांच के लिए अपनी टीम घटना स्थल पर भेज सकती है. आगे कहा कि जहरीली शराब से मौत के मामले में यदि बिहार सरकार कुछ छिपाना नहीं चाहती है, तो आयोग की टीम के दौरे का राजनीतिक विरोध क्यों किया जा रहा है?.

सारण में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत : गौरतलब है कि बिहार में जहरीली शराब कांड (Bihar Hooch Tragedy) पर पहले ही सिसासी घमासान जारी है. वहीं जब छपरा शराब कांड की जांच करने मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार पहुंची तो इसपर भी राजनीतिक खिचड़ी पकनी शुरू हो गई. JDU और RJD ने आयोग की टीम के बहाने BJP पर निशाना साधा. सत्तापक्ष के नेताओं ने कहा कि BJP के इशारे पर ही आयोग की टीम जांच करने के लिए बिहार पहुंची है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मानवाधिकार की टीम से आपत्ति नहीं है. लेकिन इतना जरूर कहना है कि कोई भी इस तरह का विषय हो, उसे संगठन को समान रूप से देखना चाहिए.

गुजरात हादसे में क्यों नहीं गई टीम? : उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश या गुजरात में घटी है. गुजरात हादसे में 150 से 200 लोग मारे गए तो वहां आयोग की टीम नहीं गई. लेकिन सिर्फ बिहार आने का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि राजनीति से प्रेरित होकर कोई करवा रहा है. आयोग के अनुसार 17 दिसंबर, 2022 को की गई मीडिया रिपोटों के अनुसार, सीवान जिले में पांच व्यक्तियों और बेगूसराय जिले में एक व्यक्ति की मौत की सूचना मिली थी, जबकि 14 दिसंबर, 2022 को हुई जहरीली शराब त्रासदी में 73 लोगों की मौत हुई है, जबकि सरकारी आंकड़ों में 38 लोगों की मौत हुई है.

सुशील मोदी ने बिहार सरकार पर साधा निशाना

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार (Rajya Sabha Member Sushil Kumar Modi) मोदी सारण जहरीली शराबकांड को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर (Sushil Modi Target Bihar Government) हैं. मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की टीम बिहार पहुंची है. जिसको लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. इसको लेकर बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग की टीम बिहार जांच करने आई है तो इसमें बिहार सरकार को डरने की जरूरत क्या है?. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) एक स्वायत्त संस्था है और यह केंद्र सरकार के निर्देश पर काम नहीं करती. आयोग ने भाजपा शासित राज्यों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर जांच टीम भेजी है.

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'आयोग ने गुजरात के मोरबी में दुर्घटना के बाद वहां की राज्य सरकार को भी नोटिस भेजी थी. भाजपा शासित यूपी के आगरा और मध्यप्रदेश के ग्वालियर में मानसिक आरोग्य केंद्र की जांच के लिए भी आयोग की टीम गई थी. बिहार में जब भाजपा सरकार में थी, तब आधे दर्जन से अधिक जहरीली शराब से जुड़े मामलों का संज्ञान मानवाधिकार ने लिया था. तब इसने संबंधित जिलों के एसपी और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस देकर जवाब मांगा और 3 लाख रुपये तक मुआवजा देने का निर्देश दिया था.' - सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

सुशील मोदी ने बिहार सरकार पर साधा निशाना : सुशील मोदी ने कहा कि सारण में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की जांच करने के लिए आयोग की टीम का आना भी एक रूटीन प्रक्रिया है. इससे सरकार क्यों डरी हुई है?. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग की धारा-17(2) के अन्तर्गत आयोग को अधिकार है कि राज्य सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट न होने पर वह जांच के लिए अपनी टीम घटना स्थल पर भेज सकती है. आगे कहा कि जहरीली शराब से मौत के मामले में यदि बिहार सरकार कुछ छिपाना नहीं चाहती है, तो आयोग की टीम के दौरे का राजनीतिक विरोध क्यों किया जा रहा है?.

सारण में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत : गौरतलब है कि बिहार में जहरीली शराब कांड (Bihar Hooch Tragedy) पर पहले ही सिसासी घमासान जारी है. वहीं जब छपरा शराब कांड की जांच करने मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार पहुंची तो इसपर भी राजनीतिक खिचड़ी पकनी शुरू हो गई. JDU और RJD ने आयोग की टीम के बहाने BJP पर निशाना साधा. सत्तापक्ष के नेताओं ने कहा कि BJP के इशारे पर ही आयोग की टीम जांच करने के लिए बिहार पहुंची है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मानवाधिकार की टीम से आपत्ति नहीं है. लेकिन इतना जरूर कहना है कि कोई भी इस तरह का विषय हो, उसे संगठन को समान रूप से देखना चाहिए.

गुजरात हादसे में क्यों नहीं गई टीम? : उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश या गुजरात में घटी है. गुजरात हादसे में 150 से 200 लोग मारे गए तो वहां आयोग की टीम नहीं गई. लेकिन सिर्फ बिहार आने का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि राजनीति से प्रेरित होकर कोई करवा रहा है. आयोग के अनुसार 17 दिसंबर, 2022 को की गई मीडिया रिपोटों के अनुसार, सीवान जिले में पांच व्यक्तियों और बेगूसराय जिले में एक व्यक्ति की मौत की सूचना मिली थी, जबकि 14 दिसंबर, 2022 को हुई जहरीली शराब त्रासदी में 73 लोगों की मौत हुई है, जबकि सरकारी आंकड़ों में 38 लोगों की मौत हुई है.

Last Updated : Dec 20, 2022, 11:10 PM IST
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