पटनाः बिहार के सीएम नीतीश कुमार और सुशील मोदी राजभवन पहुंचे. इसके बाद से बिहार की राजनितिक गलियारे में सियासत तेज हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं नीतीश कुमार फिर से पलटी तो नहीं मारने वाले हैं. हालांकि इसको लेकर सुशील मोदी ने भी सफाई दे दी है. उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलने के लिए राजभवन गए थे, ठीक उससे पहले सीएम नीतीश कुमार भी राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे.
यह भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध
राजनीतिक मतलब नहीं निकालेंः इधर, भाजपा के बड़े नेता और जदयू के बड़े नेता राजभवन पहुंचे तो बिहार में सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई. हालांकि सुशील मोदी ने पूरे घटनाक्रम को मात्र संजोग बताया है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि मैं राज्यपाल से मुलाकात के लिए गया था, राज्यपाल हमारे पुराने मित्र रहे हैं. हालांकि उससे पहले नीतीश कुमार भी राजभवन आए थे. यह बस संयोग मात्र था. इसका राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.
"मुकालात की सामान्य औपचारिकता थी. माननीय राज्यपाल से हमारी पुरानी पहचान रही है. कॉलेज के समय में विद्यार्थी परिषद में हमलोगों ने एक साथ काम किया है, इसलिए मिलने के लिए गए थे. उसी समय सीएम नीतीश कुमार भी राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे. यह एक संयोग है कि हमदोनों एक साथ मिलने पहुंचे. इसमें राजनीतिक कोई कारण नहीं है." -सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, BJP
डोमिसाइल नीति हटाने पर बिगड़े सुशीलः इधर, बिहार में शिक्षक नियुक्ति को लेकर डोमिसाइल नीति हटाने पर सुशील मोदी ने सवाल खड़ा किए. सुशील मोदी ने कहा कि तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू की जानी चाहिए. सरकार को यह बताना चाहिए कि किन परिस्थितियों में जो डोमिसाइल शिक्षक भर्ती में लागू किया गया था और किन परिस्थितियों में डोमिसाइल नीति को हटाया गया. दरअसल, सरकार भर्ती नहीं करना चाहती है. सरकार के पास इतने पैसे नहीं है कि वह शिक्षकों को वेतन दे सके. लिहाजा भर्ती प्रक्रिया को भटकाने और अटकाने की कोशिश चल रही है.
"नियमावली में बदलाव करना बिहारी प्रतिभा का अपमान है. शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि बिहार में अंग्रेजी, फिजिक्स और केमेस्ट्री में शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. बिना परीक्षा लिए कैसे पता चल गया कि शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. बाहर के लोग आकर पढ़ाएंगे तो बिहार के लोग कहां जाएंगे. 4 लाख नियोजित शिक्षक और 2 लाख टीईटी पास इंतजार कर रहे हैं. जब डोमिसाइल को खत्म कर दिया गया तो लाया क्यों था. सरकार को इस निर्णय पर पुनः विचार करना चाहिए." - सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, BJP