पटनाः नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में नोटबंदी लागू किया था. नोटबंदी के दौरान आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हुए थे. इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court decision over demonetisation) में 58 याचिकाएं दर्ज की गई थी और अब आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के 2016 के 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को सही ठहराया.
ये भी पढ़ेंः मोदी सरकार को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया
भाजपा के निशाने पर विपक्षः सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद विपक्ष के लोग भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह (BJP Leader Arvind Singh) ने कहा कि नोट बंदी को लेकर विपक्ष लगातार भ्रम फैला रही था. आम जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को एक तरीके से आईना दिखाने का काम किया है. कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि नोटबंदी देश हित में था और विपक्ष उस पर राजनीति कर रही था.
"सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उससे साबित होता है कि नोटबंदी देश हित में थी और विपक्ष उस पर राजनीति कर रहा था. आम जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई. लोगों को भ्रमित किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को एक तरीके से आईना दिखाया है"- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता
अदालत ने केंद्र के फैसले को ठहराया सहीः आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्ना शामिल थे. जस्टिस नागरत्ना ने अपना फैसला अलग से सुनाया. बहुमत का फैसला सुनाते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से आया था. शीर्ष अदालत का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था. अदालत का कहना है कि इस तरह के उपाय को लाने के लिए एक उचित सांठगांठ थी और हम मानते हैं कि नोटबंदी आनुपातिकता के सिद्धांत से प्रभावित नहीं हुई थी.