पटना: बिहार में जाति आधारित गणना का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है लेकिन इसको लेकर सूबे की सियासत लगातार गरमायी हुई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हमलोग हमेशा से इसके समर्थन में रहे हैं. एनडीए की सरकार में ही जातीय जनगणना का काम शुरू हुआ था लेकिन एक साल बाद भी सर्वे का काम पूरा नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन की सरकार को इसका जवाब देना चाहिए.
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"जब 2022 में जातीय जनगणना की स्थापना की जा रही थी, तब हम 16 मंत्री उसमें समर्थन कर रहे थे. वित्तीय बजट भी हमारे उपमुख्यमंत्री के पास था. आरजेडी वाले से पूछिये कि 15 सालों में किसी को आरक्षण दिया क्या? जातीय जनणगना की शुरुआत नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार ने की थी. मैं पूछना चाहता हूं कि एक साल बाद भी जनगणना का काम पूरा क्यों नहीं हुआ?"- सम्राट चौधरी, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी
आरजेडी को आरक्षण पर जवाब देना चाहिए: सम्राट चौधरी ने कहा है कि हम जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं और विधानमंडल में भी इसके पक्ष में हमने मतदान किया था. नीतीश कुमार की अगुवाई में जब एनडीए की सरकार थी, उसी समय प्रस्ताव पारित किया गया था. हमारे वित्त मंत्री ने ही वित्तीय प्रावधान किए थे. उन्होंने कहा कि मैं तो राष्ट्रीय जनता दल को यह बताना चाहिए कि अपने शासनकाल में उन लोगों ने कितनी जातियों को आरक्षण देने का काम किया?
जातीय जनगणना पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार: उधर, जाति आधारित गणना को लेकर पटना उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी.