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Mission 2024 : अमित शाह की बिहार पर नजर.. लालू-नीतीश की जोड़ी से पार पाना नहीं होगा आसान

लोकसभा चुनाव में अब 10 महीने के करीब समय बच गया है और पार्टियों की ओर से पूरी ताकत लगाई जा रही है. नीतीश कुमार पिछले साल NDA से निकलकर महागठबंधन में चले गए थे. इसलिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बिहार पर विशेष नजर है. अब तक लोकसभा चुनाव में नीतीश कभी भी लालू प्रसाद से मिलकर चुनाव नहीं लड़े हैं. लालू नीतीश की जोड़ी से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल सकती है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 29, 2023, 7:52 PM IST

Updated : Jun 29, 2023, 8:28 PM IST

बिहार में मिशन 2024 की तैयारी

पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ लंबे समय तक साथ रहा है. 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में नीतीश बीजेपी के साथ ही चुनाव लड़े थे, लेकिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नीतीश बीजेपी से अलग हो गए और 2014 में नीतीश अलग चुनाव लड़े. पहली बार ऐसा होगा जब 2024 में नीतीश और लालू की पार्टी लोकसभा का एक साथ चुनाव लड़ेगी. इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. बिहार के लिए उन्होंने विशेष रणनीति भी तैयार की है.

ये भी पढ़ें : Amit Shah Bihar Visit :लखीसराय में गरजे अमित शाह..'हमने 9 साल का हिसाब दिया अब आप जवाब दीजिए नीतीश बाबू'

बिहार में मिलकर चुनाव लड़ने पर पलड़ा रहता है भारी : आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी बिहार की तीन प्रमुख पार्टियां है और जब भी दो पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ती हैं तो तीसरी पार्टी को नुकसान होता है. 2019 में जदयू और बीजेपी एक साथ लोकसभा का चुनाव लड़ी थी. उस वक्त 40 में से 39 सीट एनडीए को मिला था. केवल एक सीट पर कांग्रेस महागठबंधन से लोकसभा चुनाव जीत पायी. 17 सीट पर बीजेपी लड़ी थी और 17 सीट पर जदयू. 17 में से 17 सीट बीजेपी जीती और जदयू ने 17 में से 16 सीट, लोजपा 6 सीट में से 6 सीट जीती.

ईटीवी भारत जीएफएक्स
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अकेले नीतीश को मिली थी सिर्फ दो सीट : वहीं जब 2014 में सीएम नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े थे. 38 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए थे और केवल 2 नालंदा और पूर्णिया जीत पाए थे. ऐसे में अब तक लोकसभा के चुनाव 2004 से लेकर 2019 तक जो हुए हैं. उसमें जब भी बीजेपी नीतीश के साथ चुनाव लड़ी है सीटों के मामले में नुकसान ही हुआ है. जदयू हर बार बीजेपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी और लोकसभा में अधिक सांसद उसके गए.

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2019 में कम सीट पर चुनाव लड़ी थी बीजेपी : 2014 में जब नीतीश से अलग होकर बीजेपी चुनाव लड़ी तो उसके सांसदों की संख्या बढ़कर 22 तक पहुंच गई और एनडीए का सीट 31 तक और फिर जब जब 2019 में बीजेपी नीतीश कुमार के साथ चुनाव लड़ी तो संख्या घटकर 17 पहुंच गया, भले ही एनडीओ को 40 में 39 सीट पर जीत मिली, लेकिन बीजेपी को नुकसान हो गया. क्योंकि बीजेपी चुनाव ही कम सीटों पर लड़ी थी.

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नीतीश-लालू की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बावजूद बीजेपी के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं होगा. क्योंकि लालू यादव और नीतीश कुमार जब भी मिलते हैं. बिहार का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण बदल जाता है. इसीलिए बीजेपी छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में लगी है. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के लिए दोनों का एक साथ मुकाबला आसान नहीं होगा.

" बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बावजूद बीजेपी के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं होगा. क्योंकि लालू और नीतीश जब भी मिलते हैं. बिहार का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण बदल जाता है. इसीलिए बीजेपी छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में लगी है. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के लिए दोनों का एक साथ मुकाबला आसान नहीं होगा" - प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी :ऐसे बीजेपी का दावा है मजबूती के साथ पूरी रणनीति बनाकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जनता प्रधानमंत्री के काम को देख कर उन्हें फिर से आशीर्वाद देगी. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि "भले ही आज आरजेडी जेडीयू और कांग्रेसी एक साथ हैं, लेकिन जनता हमारे साथ है. हमारे कामों को देख रही है तो इनके एक होने से कोई खास असर नहीं पड़ेगा. वैसे बिहार में जदयू और बीजेपी विधानसभा चुनाव में भी जब साथ लड़ी है तो शानदार प्रदर्शन रहा है".

लालू के साथ नीतीश के आने पर बदल जाता है समीकरण : बिहार में लालू और नीतीश एक साथ आने से वोट के समीकरण पर जबरदस्त असर पड़ता रहा है. 2015 में साफ दिखा जब बिहार विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन को 178 सीट पर प्रचंड जीत मिली थी. लालू नीतीश के एक होने से यादव, मुस्लिम, कुशवाहा, कुर्मी सहित अति पिछड़ा वोट बैंक का बड़ा हिस्सा उनके साथ 2015 में दिखा था और उसी जीत के आधार पर इस बार 2024 में भी महागठबंधन के नेता बिहार के 40 सीटों में से अधिकांश पर जीत का दावा कर रहे हैं.

बीजेपी के लिए मुश्किल होगी राह : 2005 और 2010 का प्रदर्शन शानदार रहा है. वहीं 2015 में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव के साथ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ें, तो बड़ी जीत हासिल की. 2020 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव जरूर लड़ें, लेकिन पहले वाला प्रदर्शन दोहरा नहीं पाए. एक बात साफ है कि जब भी नीतीश लालू या नीतीश बीजेपी एक साथ चुनाव लड़ी है. बिहार में उसी की तूती बोली है. लोकसभा चुनाव में यदि छोटे भाई नीतीश और बड़े भाई लालू पहली बार बीजेपी को चुनौती देंगे तो बीजेपी के लिए पार पाना आसान नहीं होगा.

बिहार में मिशन 2024 की तैयारी

पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ लंबे समय तक साथ रहा है. 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में नीतीश बीजेपी के साथ ही चुनाव लड़े थे, लेकिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नीतीश बीजेपी से अलग हो गए और 2014 में नीतीश अलग चुनाव लड़े. पहली बार ऐसा होगा जब 2024 में नीतीश और लालू की पार्टी लोकसभा का एक साथ चुनाव लड़ेगी. इसलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. बिहार के लिए उन्होंने विशेष रणनीति भी तैयार की है.

ये भी पढ़ें : Amit Shah Bihar Visit :लखीसराय में गरजे अमित शाह..'हमने 9 साल का हिसाब दिया अब आप जवाब दीजिए नीतीश बाबू'

बिहार में मिलकर चुनाव लड़ने पर पलड़ा रहता है भारी : आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी बिहार की तीन प्रमुख पार्टियां है और जब भी दो पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ती हैं तो तीसरी पार्टी को नुकसान होता है. 2019 में जदयू और बीजेपी एक साथ लोकसभा का चुनाव लड़ी थी. उस वक्त 40 में से 39 सीट एनडीए को मिला था. केवल एक सीट पर कांग्रेस महागठबंधन से लोकसभा चुनाव जीत पायी. 17 सीट पर बीजेपी लड़ी थी और 17 सीट पर जदयू. 17 में से 17 सीट बीजेपी जीती और जदयू ने 17 में से 16 सीट, लोजपा 6 सीट में से 6 सीट जीती.

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अकेले नीतीश को मिली थी सिर्फ दो सीट : वहीं जब 2014 में सीएम नीतीश कुमार बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़े थे. 38 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए थे और केवल 2 नालंदा और पूर्णिया जीत पाए थे. ऐसे में अब तक लोकसभा के चुनाव 2004 से लेकर 2019 तक जो हुए हैं. उसमें जब भी बीजेपी नीतीश के साथ चुनाव लड़ी है सीटों के मामले में नुकसान ही हुआ है. जदयू हर बार बीजेपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी और लोकसभा में अधिक सांसद उसके गए.

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2019 में कम सीट पर चुनाव लड़ी थी बीजेपी : 2014 में जब नीतीश से अलग होकर बीजेपी चुनाव लड़ी तो उसके सांसदों की संख्या बढ़कर 22 तक पहुंच गई और एनडीए का सीट 31 तक और फिर जब जब 2019 में बीजेपी नीतीश कुमार के साथ चुनाव लड़ी तो संख्या घटकर 17 पहुंच गया, भले ही एनडीओ को 40 में 39 सीट पर जीत मिली, लेकिन बीजेपी को नुकसान हो गया. क्योंकि बीजेपी चुनाव ही कम सीटों पर लड़ी थी.

ईटीवी भारत जीएफएक्स
ईटीवी भारत जीएफएक्स

नीतीश-लालू की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बावजूद बीजेपी के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं होगा. क्योंकि लालू यादव और नीतीश कुमार जब भी मिलते हैं. बिहार का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण बदल जाता है. इसीलिए बीजेपी छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में लगी है. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के लिए दोनों का एक साथ मुकाबला आसान नहीं होगा.

" बिहार में नरेंद्र मोदी के चेहरे के बावजूद बीजेपी के लिए नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी को चुनौती देना आसान नहीं होगा. क्योंकि लालू और नीतीश जब भी मिलते हैं. बिहार का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण बदल जाता है. इसीलिए बीजेपी छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में लगी है. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के लिए दोनों का एक साथ मुकाबला आसान नहीं होगा" - प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी :ऐसे बीजेपी का दावा है मजबूती के साथ पूरी रणनीति बनाकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जनता प्रधानमंत्री के काम को देख कर उन्हें फिर से आशीर्वाद देगी. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि "भले ही आज आरजेडी जेडीयू और कांग्रेसी एक साथ हैं, लेकिन जनता हमारे साथ है. हमारे कामों को देख रही है तो इनके एक होने से कोई खास असर नहीं पड़ेगा. वैसे बिहार में जदयू और बीजेपी विधानसभा चुनाव में भी जब साथ लड़ी है तो शानदार प्रदर्शन रहा है".

लालू के साथ नीतीश के आने पर बदल जाता है समीकरण : बिहार में लालू और नीतीश एक साथ आने से वोट के समीकरण पर जबरदस्त असर पड़ता रहा है. 2015 में साफ दिखा जब बिहार विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन को 178 सीट पर प्रचंड जीत मिली थी. लालू नीतीश के एक होने से यादव, मुस्लिम, कुशवाहा, कुर्मी सहित अति पिछड़ा वोट बैंक का बड़ा हिस्सा उनके साथ 2015 में दिखा था और उसी जीत के आधार पर इस बार 2024 में भी महागठबंधन के नेता बिहार के 40 सीटों में से अधिकांश पर जीत का दावा कर रहे हैं.

बीजेपी के लिए मुश्किल होगी राह : 2005 और 2010 का प्रदर्शन शानदार रहा है. वहीं 2015 में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव के साथ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ें, तो बड़ी जीत हासिल की. 2020 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चुनाव जरूर लड़ें, लेकिन पहले वाला प्रदर्शन दोहरा नहीं पाए. एक बात साफ है कि जब भी नीतीश लालू या नीतीश बीजेपी एक साथ चुनाव लड़ी है. बिहार में उसी की तूती बोली है. लोकसभा चुनाव में यदि छोटे भाई नीतीश और बड़े भाई लालू पहली बार बीजेपी को चुनौती देंगे तो बीजेपी के लिए पार पाना आसान नहीं होगा.

Last Updated : Jun 29, 2023, 8:28 PM IST
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