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जातिगत जनगणना पर आमने-सामने: केंद्र के रुख के बाद बिहार BJP ने प्रतिनिधिमंडल से किया तौबा

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Published : Jul 31, 2021, 11:04 PM IST

जातिगत जनगणना बिहार (Caste Census) में सियासी हथकंडा बन गया है. जदयू, राजद और कांग्रेस पार्टी ने जातिगत जनगणना के पक्ष में आवाज बुलंद की है. वहीं, बिहार बीजेपी ने अपने पुराने स्टैंड से यू-टर्न ले लिया है. अब प्रतिनिधिमंडल के प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
पटना

पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. बीजेपी, जदयू, राजद, कांग्रेस और वामदलों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) ने जातिगत जनगणना को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.

ये भी पढ़ें- ..तो इसलिए हो रही है 'जातिगत जनगणना' की मांग! किसे होगा नफा, कौन उठाएगा नुकसान.. जानिए सब कुछ

केंद्र सरकार का कहना है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. केंद्र के रुख के बाद बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से मुलाकात की और जातिगत जनगणना के पक्ष में प्रधानमंत्री से समय मांग कर प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली चलने का अनुरोध किया.

देखें रिपोर्ट

नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और पहल का भरोसा दिलाया. नीतीश कुमार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना कराने के लिए अनुरोध करेंगे और समय भी मांगेंगे. प्रतिनिधिमंडल से बीजेपी तौबा करती नजर आ रही है. पार्टी का मानना है कि जातिगत जनगणना की कोई जरूरत नहीं है. जनगणना अमीर और गरीब की होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- जातिगत जनगणना पर बोली BJP- धर्म और जाति के नाम पर हमने बहुत कुछ खोया, अब और नहीं

''जातिगत जनगणना को लेकर विधानसभा से प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन केंद्र की सरकार ने इंकार कर दिया है. जातिगत जनगणना पर निर्णय भारत सरकार के स्तर से लिया जाना है, इसमें हम लोग कुछ नहीं कह सकते हैं.''- तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री, बिहार

''जातिगत जनगणना पर विधानसभा से सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित किया गया है, इसलिए राजनीतिक दलों को अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटना चाहिए.''- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना को लेकर किसी प्रतिनिधिमंडल की जरूरत नहीं है, क्योंकि विकास के लिए योजनाएं जातिगत आधार पर नहीं बनाए जाती हैं. जनगणना गरीब और अमीर की होनी चाहिए.''- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना के बहाने नीतीश कुमार के महागठबंधन नेताओं से नजदीकियां बढ़ रही हैं. हालांकि, इसके कोई राजनीतिक मायने नहीं है. जहां तक सवाल बीजेपी का है, तो बीजेपी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से परहेज करेगी.''- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- बीजेपी विधायक का नीतीश को जवाब- नहीं होगी जातीगत जनगणना

ये भी पढ़ें- जातिगत जनगणना पर BJP और JDU में रार, RJD बोली- सिर्फ कुर्सी बचाने में लगे हैं नीतीश

ये भी पढ़ें- जातिगत जनगणना के नाम पर जातीय उन्माद फैलाना चाहता है विपक्ष : BJP

पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. बीजेपी, जदयू, राजद, कांग्रेस और वामदलों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) ने जातिगत जनगणना को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.

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केंद्र सरकार का कहना है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. केंद्र के रुख के बाद बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से मुलाकात की और जातिगत जनगणना के पक्ष में प्रधानमंत्री से समय मांग कर प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली चलने का अनुरोध किया.

देखें रिपोर्ट

नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और पहल का भरोसा दिलाया. नीतीश कुमार प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना कराने के लिए अनुरोध करेंगे और समय भी मांगेंगे. प्रतिनिधिमंडल से बीजेपी तौबा करती नजर आ रही है. पार्टी का मानना है कि जातिगत जनगणना की कोई जरूरत नहीं है. जनगणना अमीर और गरीब की होनी चाहिए.

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''जातिगत जनगणना को लेकर विधानसभा से प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन केंद्र की सरकार ने इंकार कर दिया है. जातिगत जनगणना पर निर्णय भारत सरकार के स्तर से लिया जाना है, इसमें हम लोग कुछ नहीं कह सकते हैं.''- तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री, बिहार

''जातिगत जनगणना पर विधानसभा से सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित किया गया है, इसलिए राजनीतिक दलों को अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटना चाहिए.''- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना को लेकर किसी प्रतिनिधिमंडल की जरूरत नहीं है, क्योंकि विकास के लिए योजनाएं जातिगत आधार पर नहीं बनाए जाती हैं. जनगणना गरीब और अमीर की होनी चाहिए.''- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना के बहाने नीतीश कुमार के महागठबंधन नेताओं से नजदीकियां बढ़ रही हैं. हालांकि, इसके कोई राजनीतिक मायने नहीं है. जहां तक सवाल बीजेपी का है, तो बीजेपी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से परहेज करेगी.''- डॉ.संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

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