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Caste Census In Bihar : भाकपा माले की डिमांड- 'गणना में न लगे शिक्षकों की ड्यूटी, वैकल्पिक व्यवस्था करें नीतीश'

भाकपा-माले ने प्रदेश में शुरू हुए जातिगत गणना (Caste Census In Bihar) को स्वागत योग्य कदम बताते हुए सरकार से गणना कार्य में शिक्षकों को लगाने के बजाय वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी को जातिगत जनगणना का विरोधी करार दिया है. पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार में शुरू हुई जाति गणना स्वागतयोग्य कदम है. पढ़ें पूरी खबर...

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल
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Published : Jan 8, 2023, 9:41 PM IST

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल

पटना: भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल (Bihar Secretary Of CPIML Kunal) ने बीजेपी पर जाति जनगणना को लेकर तंज कसते हुए कहा कि बिहार के सभी दलों ने पूरे देश में जाति गणना की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से की थी और एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था, लेकिन उन्होंने इस मांग को ठुकरा दिया. भाजपा शुरू से ही जाति गणना की विरोधी रही है. इसीलिए उसके नेता बौखलाहट में बयान दे रहे हैं. बिहार की इस पहल का पूरे देश में विस्तार होना चाहिए. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि यदि भाजपा वाले जाति गणना के पक्षधर हैं, तो वे क्यों नहीं पूरे देश में जाति गणना करवा रहे हैं?.

ये भी पढ़ें- Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना शुरू, दो चरण में होगा सर्वे का काम

'जाति जनगणना से वास्तविक सामाजिक-आर्थिक व अन्य स्थितियों का पता लगेगा और फिर उसके बाद विकास संबंधी योजनाओं की नीतियां बनाई जा सकेंगी. जाति गणना में सभी धर्म-जाति संप्रदाय की जातियों/उपजातियों की गणना होनी चाहिए. बिहार में कई ऐसी जातियां हैं जिनकी जाति का निर्धारण अभी तक नहीं हो सका है. खासकर मुस्लिम समुदाय में ऐसी कई जातियां हैं. जाति गणना तो शुरू हो चुकी है, लेकिन बिहार में जो भी सर्वेक्षण होते रहे हैं, वे भारी त्रुटियों के शिकार रहे हैं. 2011 का सर्वेक्षण इसका उदाहरण रहा है.' - कुणाल, सचिव, भाकपा माले

जाति जनगणना से शिक्षकों को हटाने की मांग : भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि इस बात की गारंटी की जानी चाहिए कि जाति गणना त्रुटिहीन हो. पहले चरण में सरकार मकान का नंबर निर्धारण का काम करवा रही है. बहुत सारे गरीब परिवार आवास विहीन हैं. वे झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं. इसलिए सरकार को जाति के साथ-साथ यह प्रश्न भी पूछना चाहिए कि जिस जमीन पर वे बसे हैं, वह जमीन उनकी है, अथवा नहीं?. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना कहीं से भी उचित नहीं है. इससे पठन-पाठन की क्रिया बुरी तरह प्रभावित होती है. जाति गणना के लिए सरकार को वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी चाहिए. गौरतलब है कि बिहार में जाति आधारित जनगणना (Caste census started in Bihar) 7 जनवरी से शुरू हो गई है.

बिहार में जातीय जनगणना शुरू : इस परियोजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना. ये जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहला चरण 21 जनवरी तक पूरा होने की संभावना है. इसके तहत मकानों की गिनती की जाएगी. दूसरा चरण अप्रैल महा में होगा जो 31 मई 2023 तक पूरा हो जाएगा. इसमें मकानों में रहने वाले लोगों की गिनती की जाएगी. दूसरे चरण में जाति और पेशा सहित 26 कॉलम के फॉर्म भरे जाएंगे. राजधानी पटना में पाटलिपुत्र अंचल के वार्ड संख्या 27 में बैंक रोड से डीएम चंद्रशेखर सिंह (DM Chandrashekhar Singh) ने इसकी शुरुआत की है.

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल

पटना: भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल (Bihar Secretary Of CPIML Kunal) ने बीजेपी पर जाति जनगणना को लेकर तंज कसते हुए कहा कि बिहार के सभी दलों ने पूरे देश में जाति गणना की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से की थी और एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था, लेकिन उन्होंने इस मांग को ठुकरा दिया. भाजपा शुरू से ही जाति गणना की विरोधी रही है. इसीलिए उसके नेता बौखलाहट में बयान दे रहे हैं. बिहार की इस पहल का पूरे देश में विस्तार होना चाहिए. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि यदि भाजपा वाले जाति गणना के पक्षधर हैं, तो वे क्यों नहीं पूरे देश में जाति गणना करवा रहे हैं?.

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'जाति जनगणना से वास्तविक सामाजिक-आर्थिक व अन्य स्थितियों का पता लगेगा और फिर उसके बाद विकास संबंधी योजनाओं की नीतियां बनाई जा सकेंगी. जाति गणना में सभी धर्म-जाति संप्रदाय की जातियों/उपजातियों की गणना होनी चाहिए. बिहार में कई ऐसी जातियां हैं जिनकी जाति का निर्धारण अभी तक नहीं हो सका है. खासकर मुस्लिम समुदाय में ऐसी कई जातियां हैं. जाति गणना तो शुरू हो चुकी है, लेकिन बिहार में जो भी सर्वेक्षण होते रहे हैं, वे भारी त्रुटियों के शिकार रहे हैं. 2011 का सर्वेक्षण इसका उदाहरण रहा है.' - कुणाल, सचिव, भाकपा माले

जाति जनगणना से शिक्षकों को हटाने की मांग : भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि इस बात की गारंटी की जानी चाहिए कि जाति गणना त्रुटिहीन हो. पहले चरण में सरकार मकान का नंबर निर्धारण का काम करवा रही है. बहुत सारे गरीब परिवार आवास विहीन हैं. वे झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं. इसलिए सरकार को जाति के साथ-साथ यह प्रश्न भी पूछना चाहिए कि जिस जमीन पर वे बसे हैं, वह जमीन उनकी है, अथवा नहीं?. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना कहीं से भी उचित नहीं है. इससे पठन-पाठन की क्रिया बुरी तरह प्रभावित होती है. जाति गणना के लिए सरकार को वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी चाहिए. गौरतलब है कि बिहार में जाति आधारित जनगणना (Caste census started in Bihar) 7 जनवरी से शुरू हो गई है.

बिहार में जातीय जनगणना शुरू : इस परियोजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना. ये जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहला चरण 21 जनवरी तक पूरा होने की संभावना है. इसके तहत मकानों की गिनती की जाएगी. दूसरा चरण अप्रैल महा में होगा जो 31 मई 2023 तक पूरा हो जाएगा. इसमें मकानों में रहने वाले लोगों की गिनती की जाएगी. दूसरे चरण में जाति और पेशा सहित 26 कॉलम के फॉर्म भरे जाएंगे. राजधानी पटना में पाटलिपुत्र अंचल के वार्ड संख्या 27 में बैंक रोड से डीएम चंद्रशेखर सिंह (DM Chandrashekhar Singh) ने इसकी शुरुआत की है.

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