पटना: मनरेगा के अंतर्गत लक्ष्य के विरुद्ध रोजगार देने में देश में पहले स्थान पर बिहार है. मनरेगा आयुक्त राहुल कुमार ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 सृजित रिकॉर्ड मानव दिवस दिवस 22.60 करोड़ मानव दिवस को पीछे छोड़ते हुए बिहार ने पहला स्थान पाया है. वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में सर्वाधिक 23.11 करोड़ रोजगार दिया है. देश में प्रथम 15 राज्यों के आंकड़ों से स्पष्ट है कि देश के कुल सृजित मानव दिवस में लगभग 20% की गिरावट हुई है, जबकि बिहार देश में इकलौता राज्य है जिसने पिछले वित्तीय वर्ष में सृजित मानव दिवस में सुधार किया है.
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मानव दिवस में बिहार 15 राज्यों में अव्वल: मनरेगा आयुक्त ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविड-19 की महामारी से देश जूझ रहा था और अधिकतर लोग वापस लौटकर बिहार आए थे. उस समय सबसे अधिक मानव दिवस का सृजन किया गया था. जिसे इस वर्ष पीछे छोड़ते हुए रिकॉर्ड मानव दिवस सृजित किया गया है. इसके साथ राज्य में मनरेगा को पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण कार्यों में भी काम किए जा रहे हैं. इस वर्ष राज्य में 19.32% मानव दिवस के सृजन एससी-एसटी परिवारों द्वारा किया गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 21-22 में 13.4 1% से लगभग 6% अधिक है. इससे स्पष्ट होता है कि इस वर्ष अनुसूचित जाति-जनजाति परिवारों को ज्यादा काम दिया गया है.
एससी-एसटी परिवारों को अधिक काम उपलब्ध कराएंगे: राहुल कुमार ने यह भी जानकारी दी है कि नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम को अब कार्यस्थल पर मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है. बिहार राज्य में एनएमएमएस का आंकड़ा 88.51% है, जो राष्ट्रीय औसत 86.91 प्रतिशत से अधिक है. लीकेज को रोकने के लिए 40 लाख से अधिक की संख्या में जॉब कार्ड विलोपित किए गए हैं. वहीं आयुक्त राहुल कुमार ने आगे कहा कि आने वाले वर्षों में सृजित मानव दिवस में वृद्धि करने के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा एससी-एसटी परिवारों को काम उपलब्ध कराएंगे. पारदर्शिता बढ़ाएंगे और तकनीकी बिंदुओं पर बेहतर काम करेंगे.