पटना: बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना और जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने बिहार को शीर्ष तीन राज्यों में शामिल किये जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मिलना बिहार के लिए गर्व की बात है. जल और हरियाली का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए बिहार के विकास को टिकाऊ बनाने और आने वाली पीढ़ियों को हरा-भरा बेहतर बिहार सौंपने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 'जल-जीवन-हरियाली' जैसा दूरगामी अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान को संयुक्त राष्ट्र तक में सराहा गया है और देश-दुनिया के लिए नजीर बताया गया है.
क्या कहा मंत्री संजय झा ने?: संजय कुमार झा ने कहा कि जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में जल संसाधन विभाग अहम योगदान कर रहा है. विभाग द्वारा जल प्रबंधन की नई एवं आधुनिकतम तकनीकों का सफलतापूर्वक सदुपयोग करते हुए, राज्यहित में कई अनूठे एवं दीर्घकालिक उपाय किये गये हैं और किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि, व्यापक सोच और सटीक मार्गदर्शन में शुरू हुए 'जल-जीवन-हरियाली' अभियान के प्रमुख अवयवों के अंतर्गत महत्वाकांक्षी गंगा जल आपूर्ति योजना की शुरुआत हुई.
संजय झा ने मुख्यमंत्री की तारीफ की: यह देश की अपनी तरह की पहली योजना है, जिसमें गंगा की बाढ़ के पानी को, जो वर्ष यूं ही व्यर्थ चला जाता है, मानसून के दौरान लिफ्ट कर 151 किमी लंबी पाइपलाइन के जरिये दक्षिण बिहार के जलसंकट वाले प्रमुख शहरों मसलन गया, बोधगया और राजगीर में घर-घर पेयजल के रूप में पहुंचाया गया है. इस योजना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनूठी परिकल्पना को धरातल पर उतारकर जल संसाधन विभाग ने देश को जल प्रबंधन की दिशा में नई राह दिखाई है.
हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने का लक्ष्य: जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय 2 में घोषित अतिमहत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'हर खेत तक सिंचाई का पानी' को धरातल पर उतारने के लिए जल संसाधन सहित सभी संबंधित विभागों द्वारा तत्परता से कार्य किए जा रहे हैं. 'नेशनल वाटर अवार्ड्स 2022' में सर्वोत्तम राज्य की श्रेणी में पुरस्कार के लिए जल संसाधन विभाग की सात सिंचाई योजनाओं पर भी गौर किया गया है.
किन योजनाओं से पुरस्कार मिले?: दरभंगा में कमला नदी पर गरौल वीयर सिंचाई योजना चल रही है, जिसमें हेड रेगुलेटर के माध्यम से सिंचाई सुविधा मिली है. मधुबनी के बलवा ग्राम के पास धौंस नदी पर आधारित बलवाघाट बराज-सह-सिंचाई योजना में दो हेड रेगुलेटर के अलावा जर्जर पकड़ी उपवितरणी का जीर्णोद्धार कार्य (9.27 किमी) और दायीं तरफ मौजूद पईन के रुपांकित जलश्राव के अनुरूप पुनर्स्थापन कार्य (13.36 किमी) किया गया है. मधुबनी के लक्ष्मीपुर ग्राम के पास बिहुल नदी पर बिहुल वीयर सिंचाई चल रही है. उसके अपस्ट्रीम में दायीं और बायीं तरफ एफलक्स बांध और डाउनस्ट्रीम में दोनों तरफ गाइड बांध का निर्माण एवं सुरक्षात्मक कार्य किया जाना है. इसमें दायें मुख्य नहर से निस्सृत नहर प्रणाली की कुल लंबाई 3.35 किमी है और बायें मुख्य नहर से निस्सृत नहर प्रणाली की लंबाई 6.33 किमी है.
सिंचाई में योजनाओं का योगदान: वहीं, डिहरी-सोन नहर प्रणाली अंतर्गत केसठ वितरणी और भोजपुर वितरणी के अंतिम छोड़ पर अवस्थित होने के कारण मलई बराज योजना में सिंचाई के समय पर्याप्त जलश्राव मिलने में कठिनाई होती है. मलई बराज योजना के अंतर्गत रोहतास जिले के दावथ प्रखंड में कोंद नदी पर बराज का निर्माण कर लिंक नहर के माध्यम से बक्सर जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. जैतपुरा पंप नहर योजना भभुआ के माध्यम से कर्मनाशा नदी के जलश्राव को उद्वह कराकर विभिन्न प्रखंडों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. गया जिले के बोधगया प्रखंड में मोहाने नदी पर बतसपुर वीयर का निर्माण एवं मोराटाल पईन से निस्सृत वितरण प्रणालियों का आधुनिकीकरण कार्य चल रहा है. उधर, बिहारशरीफ में उदेरास्थान बराज योजना चल रही है. जिससे जहानाबाद और गया जिले के कई प्रखंडों में सिंचाई क्षमता विकसित हुई.