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सक्षमता परीक्षा लेने के जिद पर अड़ी है सरकार, प्राथमिक शिक्षक संघ ने परीक्षा का किया बहिष्कार

Boycott of Competency Test : बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने सक्षमता परीक्षा का कड़ा विरोध किया है. संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार परीक्षा के लिए दबाव बनाती है तो जोरदार आंदोलन होगा. संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि बिना शर्त अविलंब राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. पढ़ें पूरी खबर..

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बिहार राज्य शिक्षक संघ की चेतावनी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 5, 2023, 6:41 PM IST

बिहार राज्य शिक्षक संघ की चेतावनी

पटना: बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने सरकार के सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. संघ ने कहा कि सरकार सिर्फ अपने जिद को पूरा करने के लिए सक्षमता परीक्षा के लिए बातें कर रही है. जिसका संघ कर विरोध कर रहा है. यदि शिक्षकों को परीक्षा में शामिल होने के लिए बाध्य किया जाता है तो हम लोग आंदोलन करेंगे. सरकार से मांग की है कि बिना शर्त अविलंब राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.

सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार : प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि जितने भी स्थानीय निकाय से नियोजित हुए शिक्षक हैं, सभी को सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. शिक्षकों का वेतनमान एक बराबर रखा जाए. बीपीएससी चयनित हुए शिक्षक और नियोजित शिक्षकों में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं रखा जाए. उन्होंने कहा कि पहले से ही सरकार ने सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण कर दिया है. सभी बीटेट, सीटेट और विभिन्न पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है.

राज्यकर्मी के दर्जा देने की मांग : उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में ही दक्षता परीक्षा ले चुकी है. जो इसमें सफल हुए वहीं अभी के समय कार्यरत शिक्षक हैं. शिक्षकों का जो नियोजन हुआ था. वह 60 वर्ष की आयु के कार्यकाल तक के लिए हुआ है. ऐसे में अब जब शिक्षकों को पदोन्नति देने की बात आई है तो सरकार सक्षमता परीक्षा की बात कह रही है. शिक्षक तीन बार में उत्तीर्ण नहीं होंगे उन्हें हटा दिया जाएगा. यह शिक्षक नियमावली के विरुद्ध है. जिसका संघ कड़ा विरोध कर रहा है.


प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन: मनोज कुमार ने कहा कि सरकार कह रही है मामूली परीक्षा दी जाएगी. आखिर ये मामूली परीक्षा क्या होता है. परीक्षा मामूली ही लेनी है तो क्यों लेनी है. उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ नवनियुक्त शिक्षकों को आवास उपलब्ध कराने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए हवा हवाई योजनाएं बना रही है और मूलभूत समस्याओं को दुरुस्त करने पर ध्यान नहीं है.

"सरकार प्रत्येक महीने मासिक टेस्ट आयोजित कर रही है. बिना पुस्तक के बच्चे परीक्षा दे रहे हैं. शिक्षक बच्चों की परीक्षा लेने और पढ़ने में व्यस्त हैं और शैक्षणिक माहौल बेहतर करने के लिए बेहतर सुविधाएं देने की बजाय सरकार का ध्यान शिक्षकों की परीक्षा लेने के लिए बाध्य कर रही है. सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाना चाहिए." -मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ

ये भी पढ़ें: हेडमास्टर की भर्ती प्रक्रिया पर भड़का संघ, कहा- जानबूझकर शिक्षकों को उलझा रही सरकार

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सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार : प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि जितने भी स्थानीय निकाय से नियोजित हुए शिक्षक हैं, सभी को सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. शिक्षकों का वेतनमान एक बराबर रखा जाए. बीपीएससी चयनित हुए शिक्षक और नियोजित शिक्षकों में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं रखा जाए. उन्होंने कहा कि पहले से ही सरकार ने सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण कर दिया है. सभी बीटेट, सीटेट और विभिन्न पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है.

राज्यकर्मी के दर्जा देने की मांग : उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में ही दक्षता परीक्षा ले चुकी है. जो इसमें सफल हुए वहीं अभी के समय कार्यरत शिक्षक हैं. शिक्षकों का जो नियोजन हुआ था. वह 60 वर्ष की आयु के कार्यकाल तक के लिए हुआ है. ऐसे में अब जब शिक्षकों को पदोन्नति देने की बात आई है तो सरकार सक्षमता परीक्षा की बात कह रही है. शिक्षक तीन बार में उत्तीर्ण नहीं होंगे उन्हें हटा दिया जाएगा. यह शिक्षक नियमावली के विरुद्ध है. जिसका संघ कड़ा विरोध कर रहा है.


प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन: मनोज कुमार ने कहा कि सरकार कह रही है मामूली परीक्षा दी जाएगी. आखिर ये मामूली परीक्षा क्या होता है. परीक्षा मामूली ही लेनी है तो क्यों लेनी है. उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ नवनियुक्त शिक्षकों को आवास उपलब्ध कराने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए हवा हवाई योजनाएं बना रही है और मूलभूत समस्याओं को दुरुस्त करने पर ध्यान नहीं है.

"सरकार प्रत्येक महीने मासिक टेस्ट आयोजित कर रही है. बिना पुस्तक के बच्चे परीक्षा दे रहे हैं. शिक्षक बच्चों की परीक्षा लेने और पढ़ने में व्यस्त हैं और शैक्षणिक माहौल बेहतर करने के लिए बेहतर सुविधाएं देने की बजाय सरकार का ध्यान शिक्षकों की परीक्षा लेने के लिए बाध्य कर रही है. सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाना चाहिए." -मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ

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