पटना: प्रदेश में 6 दलों की महागठबंधन की सरकार है. गठबंधन में शामिल सभी दल एकता की बातें करते हैं, लेकिन फिलहाल बिहार में जो सियासी हालात देखने को मिल रहे हैं उसमें एकता काफूर होती दिख रही है.
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RJD-JDU में रार!: कई मुद्दों पर आरजेडी और जेडीयू एक दूसरे का विरोध करती नजर आ रही है. शिक्षा विभाग में जारी विवाद पर दोनों ही पार्टियों की अलग-अलग राय है. 2024 से पहले ही बिहार की पॉलिटिक्ट में कई नए मोड़ आ रहे हैं. सत्ताधारी महागठबंधन की सरकार के बीच ऑल इज नॉट वेल के हालात बन रहे हैं. महागठबंधन की घटक दलों के बीच असंतोष पनप रहा है.
क्या आरजेडी और जेडीयू में सबकुछ ठीक है?: ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरजेडी और जेडीयू के बीच ऑल इज वेल है. हालांकि दोनों ही पार्टी के नेता महागठबंधन सरकार में सब ठीक होने का दावा कर रहे हैं लेकिन जो हालात इस वक्त बने हुए हैं उससे तो यही लगता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है.
बयानबाजियों पर नहीं लग रहा अंकुश: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के विवाद में दोनों पार्टी के नेता कूद पड़े हैं. आरजेडी कोटे से मंत्री ललित यादव और जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी ने दावा किया है कि महागठबंधन में सब ठीक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर और केके पाठक के बीच का विवाद सुलाझा दिया है. लेकिन बयानबाजी का दौर अब भी जारी है. आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह ने तो अशोक चौधरी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपर मुख्य सचिव केके पाठक और मंत्री चंद्रशेखर से सब बात कर ली है. सरकार में कभी-कभी ऐसी बाते हो जाती हैं. बिहार में कोई अफसरशाही नहीं है. सीएम से चर्चा के बाद कोई समस्या नहीं हैं."- ललित यादव, मंत्री, बिहार सरकार
"बाप-बेटे में भी कंफ्यूजन होता है. लेकिन नीतीश कुमार के रहते कोई कंफ्यूजन नहीं रह सकता है. सब सॉल्व कर लिया गया है."- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री, बिहार
"महागठबंधन में कोई विवाद नहीं है. सरकार ठीक तरीके से चल रही है. कुछ लोग विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें कामयाबी मिलने वाले नहीं है."- उमेश कुशवाहा,जदयू के प्रदेश अध्यक्ष
तेजस्वी यादव ने क्यों साध रखी है चुप्पी? : बिहार में राजनीतिक उठापटक की स्थिति बनी हुई है लेकिन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर्दे से गायब हैं. बात बात में ट्वीट करने वाले तेजस्वी फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. तेजस्वी के पास स्वास्थ्य विभाग है और स्वास्थ्य विभाग के तबादलों पर भी रोक लग गई है. मिल रही जानकारी के मुताबिक तेजस्वी यादव नाराज हैं और नाराजगी के चलते फिलहाल पर्दे से गायब हैं.
तेजस्वी यादव आखिर पर्दे के पीछे क्यों हैं: राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के बीच एक बार फिर विवाद गहरा गया है. सरकार का हिस्सा होने के बावजूद राजद अपने मेनिफेस्टो को लागू नहीं करा पा रही है और हर बार पार्टी को बैकफुट पर जाना पड़ रहा है. राजद के बड़े नेता फिलहाल पशोपेश में दिख रहे हैं. विवाद गहरा गया है और तेजस्वी यादव पर्दे से गायब हैं.
बोले RJD MLC सुनील सिंह- 'तेजस्वी सब देख रहे हैं': लालू प्रसाद यादव के करीबी सुनील सिंह ने नीतीश सरकार पर जमकर भड़ास निकाली और नौकरशाहों के रवैए पर सवाल खड़े किए. सुनील सिंह के बाद शक्ति यादव और भाई विरेंद्र ने भी केके पाठक के खिलाफ मोर्चा खोला और सरकार के लिए धर्मसंकट जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. सुनील सिंह का कहना है कि तेजस्वी यादव पूरे मामले को देख रहे हैं. वहीं बीजेपी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से जवाब मांग रही है. साथ ही चंद्रशेखर से इस्तीफा देने की मांग भी की जा रही है.
"पूरे मामले को हमारे नेता तेजस्वी यादव देख रहे हैं. तमाम मुद्दों पर उनकी नजर हैं. ज्यादातर अधिकारी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं और सरकार पूरी तरह बेपरवाह है."- सुनील सिंह, RJD MLC
"बिहार में अराजक स्थिति है. ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल चल रहा है. नौकरशाहों का बोलबाला है. पहले तो पूर्व मंत्री ने खुद को चोरों का सरदार कहा था लेकिन अब गठबंधन के नेता को विधान पार्षद के द्वारा अंगुलिमाल कहा जा रहा है. नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए."- विजय सिन्हा, भाजपा विधानमंडल दल के नेता
बीजेपी ने साफ कर दिया है एंट्री नहीं मिलेगी: भारतीय जनता पार्टी ने जब से नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री की बोर्ड लगा दी है, तब से लालू प्रसाद यादव ड्राइविंग सीट पर आने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार की राजनीति में लालू की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है. विपक्षी एकता की मुहिम में लालू अग्रणी भूमिका में दिख रहे हैं. बीजेपी के स्टैंड का नुकसान जदयू को हो रहा है. जदयू अब पाला बदलने का दबाव राजद पर नहीं बना पा रही है.
असहज महसूस कर रहे नीतीश: माना जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से असहज महसूस कर रहे हैं. नीतीश कुमार की राजनीति दबाव के आस-पास रहती है. सहयोगी पार्टी को हमेशा जेडीयू के पाला बदलने का डर और सत्ता खोने का खतरा रहता है, लेकिन अब नीतीश कुमार दबाव नहीं बना पा रहे हैं.
"भाजपा के स्टैंड का नुकसान नीतीश कुमार को होता दिख रहा है और लालू यादव अपने शर्तों पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार फिलहाल बारगेन करने की स्थिति में नहीं है और दोनों के पास विकल्प नहीं है. चाहे अनचाहे दोनों को साथ चलना होगा."- शिवपूजन झा, वरिष्ठ पत्रकार
कई बार गूंज चुके हैं विरोध के स्वर: आपको बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल के मेनिफेस्टो में मंडी व्यवस्था शामिल था. सुधाकर सिंह कृषि मंत्री बने और उन्होंने जोर-जोर से मंडी व्यवस्था को लागू कराने की बात कही. लाख कोशिशों के बावजूद कृषि व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्कालीन कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मंडी व्यवस्था लागू नहीं करा सके और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा. इसके अलावा शिवानंद तिवारी, कार्तिकेय कुमार के मामले को लेकर भी दोनों पार्टी के बीच की दरार साफ दिखाई दी थी.
शिक्षा मंत्री और केके पाठक को लेकर जारी है सियासत: ताजा विवाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह को लेकर हुआ है. चंद्रशेखर सिंह ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बदलाव को लेकर ट्वीट किया था जिसके बाद नीतीश कुमार नाराज हुए थे. सदन के अंदर सार्वजनिक रूप से बयान भी दिया था. शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर भी कई बार संशोधन करने पड़े डोमिसाइल नीति को लेकर एक बार फिर राजद और जदयू में विवाद हुआ.
RJD नहीं ले पा रही स्टैंड: राजद जहां बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करना चाहती थी. वहीं जदयू का इस मुद्दे पर विरोध था. राजद के मेनिफेस्टो में डोमिसाइल नीति को लागू करना शामिल है, लेकिन नीतीश कुमार के दबाव के बाद राजद को फिर से पीछे हटना पड़ा.ताजा विवाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह को लेकर हुआ है. केके पाठक मंत्री की नहीं सुन रहे हैं और शिक्षा मंत्री की नाराजगी कई बार सामने आ चुकी है. एक बार फिर से राज्य का सियासी पारा चढ़ गया.
आखिर अब सरकार का क्या होगा?: बिहार में महागठबंधन सरकार भले ही गठबंधन में सबकुछ ठीक होने का दावा कर रही है, लेकिन मंत्री और अधिकारी के विवाद में दोनों पार्टी के नेताओं का कूद पड़ना, कुछ और ही कहानी कह रहा है.सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार इस संकट से पार लगा पाएंगे और महागठबंधन में दो फाड़ की बयार को रोक पाएंगे.
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