पटनाः जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (JDU Workers Complaint Against RCP Singh) पर उनकी ही पार्टी ने आय से अधिक संपति के गंभीर आरोप लगाए हैं. इसे लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. पक्ष और विपक्ष सभी अपने-अपने हिसाब से इस पर बयानबाजी (Political Parties Reaction On RCP Property Issue) करने में लग गए हैं. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे भ्रष्टाचार के मामले पर पार्टी का जीरो टॉलरेंस रहता है जो बातें सामने आई है पार्टी ने आरसीपी सिंह को उसको लेकर नोटिस जारी किया है उनके जवाब का इंतजार हैं. वहीं, एनडीए गठबंधन के घटक दलों ने इसे पार्टी का अंदरूनी मामला बताया है. जबकि विपक्षी पार्टी के नेताओं ने इसे लेकर सीएम नीतीश कुमार तक पर अंगुली उठाई है.
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'वह जो कुछ भी बोलेंगे उसके बाद ही पार्टी कोई कदम उठाएगी. मामला कैसे सामने आया किस तरह से संज्ञान में आया यह महत्वपूर्ण बातें नहीं है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर जो धन अर्जन करने की बातें सामने आई हैं, उसके बारे में आरसीपी सिंह क्या जवाब देते हैं. उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. इस मामले में अगर जांच एजेंसी स्वत: संज्ञान लेकर जांच करती है, तो पार्टी जांच एजेंसी को पूरी तरह से सहयोग करेगी. पार्टी भ्रष्टाचार के मामले पर शुरू से ही जीरो टॉलरेंस रखती है और विश्वास करती है. इसीलिए मामला जैसे भी सामने आया हो, लेकिन इस मामले का खुलासा होना चाहिए जनता भी सच्चाई जानना चाहती है"- उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड
क्या बोले एनडीए घटक दल के नेताः वहीं, एनडीए के मुख्य घटक दल भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा है कि यह जदयू का आंतरिक मामला है और पार्टी के स्तर पर फैसला लिया गया है. मामले की जांच कराई जाएगी और दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. जबकि हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हम जदयू के फैसले का स्वागत करते हैं. हम विपक्ष की तरह नहीं हैं, जो भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम करते हैं. जदयू की ओर से भ्रष्टाचार को लेकर साहसिक कदम उठाया गया है.
क्या है विपक्षी पार्टियों का कहनाः उधर इस खुलासे के बाद सरकार मुख्य विपक्षी दल के निशाने पर आ गई है. आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई बीरेंद्र ने कहा है कि आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द रहते थे और अब जदयू के लोगों को बताना चाहिए कि आरसीपी सिंह ने इतनी संपत्ति कैसे अर्जित की है. इसके अलावा भाजपा और जदयू में कई धनकुबेर हैं. कईयों ने तो शराब से अकूत संपत्ति अर्जित कर रखी है. उनकी भी जांच होनी चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता अशीत नाथ तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर किसी हिम्मत है तो नीतीश कुमार की संपत्ति की जांच करके दिखाए.
इस्लामपुर में खरीदी गई करीब 40 बीघा जमीनः दरअसल जेडीयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे आरसीपी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेडीयू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आरसीपी सिंह ने 9 साल में 58 प्लाट खरीदे हैं. ये भी बाताया गया है कि आरसीपी और उनके घर वालों ने 2013 से अब तक नालंदा जिले के सिर्फ दो प्रखंड अस्थावां और इस्लामपुर में करीब 40 बीघा जमीन खरीदी है. कई और जिलों में भी उनकी संपत्ति होने की बात सामने आई है. पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के खिलाफ माना है और आरसीपी को कठघरे में खड़ा करते हुए इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है. दिलचस्प बात यह है कि इस संपत्ति का ब्योरा जदयू के नेताओं ने ही जुटाया है. अब उनके तथाकथित संपत्ति पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.
अस्थावां में खरीदे गए 34 प्लॉट आरसीपी के नामः जदयू के दस्तावेज के अनुसार खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी (गिरजा सिंह) और दोनों बेटियों (लिपि सिंह, लता सिंह) के नाम पर है. एक आरोप यह भी है कि आरसीपी ने खासकर 2016 के अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है. नालंदा के इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए. यह खरीद 2013 से 2016 के दौरान हुई. ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी. बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी. अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉट आरसीपी का ही नाम है. इनमें 4 प्लॉट 2011- 2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर खरीदे गए. जिसमें पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है. बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया. 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 और 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए.
जेडीयू ने आरसीपी सिंह से मांगा जवाबः इन तमाम आरोपों का जवाब प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से आरसीपी सिंह से मांगा है. चर्चा यह भी है कि सब कुछ ललन सिंह के इशारे पर हो रहा है. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए, इसकी वजह भी ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. चर्चा थी कि ललन सिंह केंद्रीय मंत्री बनेंगे, लेकिन आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए. इसके बाद यूपी चुनाव बीजेपी से गठबंधन नहीं होने पर भी ललन सिंह ने इसका ठीकरा आरसीपी पर फोड़ा था. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से आरसीपी सिंह को पार्टी में हाशिये पर पहुंचाने के बाद अब पार्टी से निकालने की भी तैयारी शुरू हो गई है. उमेश कुशवाहा ने जिस प्रकार से पत्र लिखा है, उससे साफ है आने वाले दिनों में पार्टी कोई बड़ी कार्रवाई उन पर कर सकती है.
जेडीयू की तरफ से पत्र में लिखी गई ये बातः जानकारी के अनुसार उमेश कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को पत्र में लिखा है कि नालंदा जिला जदयू के दो कार्यकर्ताओं का साक्ष्य के साथ परिवाद पत्र प्राप्त हुआ है. इसमें उल्लेख है कि अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार आपके द्वारा आपके परिवार के नाम से वर्ष 2013 से 2022 तक अकूत संपत्ति निबंधित कराई गई है. इसमें कई प्रकार की अनियमितता दृष्टि गोचर होती है. आप लंबे समय तक दल के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के साथ अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं. आपको हमारे माननीय नेता ने दो बार राज्यसभा का सदस्य, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्र में मंत्री के रूप में भी कार्य करने का अवसर पूर्ण विश्वास एवं भरोसा के साथ दिया है. आप इस तथ्य से भी अवगत हैं कि माननीय नेता भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस पर काम कर रहे हैं और इतने लंबे समय सार्वजनिक जीवन के बावजूद उन पर कभी दाग नहीं लगा और ना ही उन्होंने कभी कोई संपत्ति बनाई. पार्टी आपसे अपेक्षा करती है कि इस परिवाद पर बिंदुवार अपनी स्पष्ट राय से पार्टी को तत्काल अवगत कराएंगे.