पटना: न्याय की गुहार लेकर थाना आने वाली महिलाओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए बिहार सरकार (Bihar Government) ने राज्य के सभी थानों में महिला डेस्क बनाने का फैसला किया है. डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी की तैनाती होगी. महिला पुलिसकर्मी फरियादी महिलाओं की मदद करेंगी.
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पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters) ने सभी थानों में महिला डेस्क शुरू करने का निर्देश दिया है. 1064 थानों में महिलाओं की सुविधा के लिए महिला डेस्क बनाया जाएगा. एफआईआर (FIR) दर्ज कराना हो या सनहा देना. थाना में किसी तरह का काम होने पर महिला पुलिसकर्मी फरियादी महिलाओं की मदद करेंगी. थाना आने वाली महिलाओं को कानूनी पहलुओं से भी अवगत कराया जाएगा.
थाना आने वाली महिलाएं अपनी समस्या पुरुष पुलिसकर्मी के सामने खुलकर रखने में असमर्थ महसूस करती हैं. इसके अलावा बच्चे भी अपनी समस्या पुरुष पुलिसकर्मी की तुलना में महिला पुलिसकर्मी से अधिक आसानी से साझा करते हैं. इसे देखते हुए सभी थानों में महिला डेस्क बनाने का फैसला लिया गया है.
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा, 'बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां सरकारी विभागों के साथ-साथ पुलिस विभाग में भी महिलाकर्मी के लिए 35% आरक्षण है. कुछ समय पहले करीब 20 हजार सिपाहियों का चयन हुआ है, इनमें 35% महिलाएं हैं. इसके अलावा लगभग 2 हजार अवर निरीक्षक के पद के लिए हुए चयन में भी 700 महिला अवर निरीक्षक की भर्ती हुई है. राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि सरकारी सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़े. पुलिस विभाग इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रही है.'
"बिहार के कुल पुलिस कर्मियों में 20% महिला पुलिसकर्मी हैं. राज्य सरकार के निर्देशानुसार हमारे पास जितनी भी महिला पुलिसकर्मी हैं उनमें से 35% महिलाओं को थानों में तैनात किया गया है. थाना आने वाली फरियादी महिलाओं को बेहतर माहौल मिल सके इसके लिए महिला डेस्क हर थाना में बनाया जाएगा. महिलाएं महिला पुलिसकर्मी के सामने अपनी समस्याएं बेहतर तरीके से प्रकट कर सकेंगी."- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पति और रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं पर किए जाने वाले अत्याचार के मामले में बिहार का स्थान देश में 25वां है. बिहार में प्रति 1 लाख पर 4.55 ऐसे मामले हुए हैं. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 19.54 है. राष्ट्रीय औसत से बिहार में एक तिहाई से भी कम ऐसे मामले हुए. हालांकि सच्चाई यह भी है कि बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे मामले थाना तक नहीं पहुंचते हैं. अपनों के हाथों अत्याचार सहने वाली महिलाएं पुरुष पुलिसकर्मी के सामने परेशानी बताने में असहज महसूस करती हैं.
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