पटनाः बिहार में शिक्षक बहाली (Bihar Teacher Recruitment) से डोमिसाइल हटने के बाद से बवाल मचा है. शिक्षक अभ्यर्थी लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लाठी खाने के बाद भी शिक्षक अभ्यर्थी अपनी मांग पर डटे हैं. शनिवार को पटना में प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षक अभ्यर्थियों पर एक-दो नहीं बल्कि 4-4 बार लाठी बरसाई गई, लेकिन अभ्यर्थियों में आक्रोश कम नहीं हो रहा. इधर, लाठी वाली सरकार भी पीछे नहीं है.
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प्रदर्शन करने वालों को मिली लाठीः शनिवार को प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर जमकर लाठी चलाई गई. गांधी मैदान और कोतवाली पुलिस ने करीब 18 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर लिया है. शिक्षा विभाग का कहना है कि नियमावली के विरोध में जो प्रदर्शन करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सवाल है कि क्या शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है? पहली बार नहीं है, जब अभ्यर्थियों पर लाठी चलाई गई है. बिहार सरकार ने इतनी बार लाठी चलवाई है कि गिनती भूल जाएंगे.
तीन साल में 12 बार लाठी चार्जः सिर्फ शिक्षा और रोगजागर मामले में बिहार सरकार ने 10 जून 2019 से लेकर 1 जुलाई 2023 तक 12 बार अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज (Lathi Wali Sarkar) करवाया है. इसमें सबसे गंभीर मामला 22 अगस्त 2022 का है, जिसमें लॉ एंड ऑर्डर ADM केके सिंह ने दरभंगा से आए शिक्षक अभ्यर्थी को इतना पीटा था कि उसकी हालत गंभीर हो गई थी. अभ्यर्थी तिरंगा हाथ में लिए थे, फिर भी ADM दनादन लाठी चला रहे थे. इस अधिकारी पर सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की उल्टे प्रमोशन दे दिया.
दिनभर चलती रही लाठीः शिक्षक नियमावली में बदलाव का विरोध करने पर शनिवार को एक बार फिर लाठी चार्ज शुरू हो गया है. पटना की सड़कों पर हजारों की संख्या में शिक्षक अभ्यर्थी डोमिसाइल नीति को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. अभ्यर्थियों ने गांधी मैदान से प्रदर्शन शुरू किया तो पहले पुलिस ने रोक दिया, लेकिन अभ्यर्थियों ने राजभवन तक मार्च निकाला. एक बार फिर पुलिस ने मार्च को जेपी गोलंबर पर रोक दिया. इसी वक्त से लाठी चार्ज शुरू हो गया. इसके बाद शनिवार को दिनभर पुलिस, अभ्यर्थियों को खदेड़ती रही और लाठी बरसाती रही. इसमें कई अभ्यर्थी घायल भी हुए.
सरकार हो गई अराजकः महिला शिक्षक अभ्यर्थियों ने कहा कि "सरकार उन लोगों का हक छीनने का काम कर रही है. सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है. बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की बात करती है, लेकिन जब बेटियां हक मांगने सड़क पर उतरती है तो लाठीचार्ज किया जाता है. पुलिस ने उनके ऊपर लाठीचार्ज की है. इससे वह काफी दुखी है". महिला अभ्यर्थियों ने कहा कि "यह सरकार अराजक हो गई है. वे लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने लाठी चार्ज कर जख्मी कर दिया है."
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युद्ध का मैदान बना रहा पटना शहरः शनिवार की बात करें तो रुक रुकर पुलिस अभ्यर्थियों पर लाठी चलाती रही, लेकिन प्रदर्शन कम नहीं हुआ. दिनभर पटना शहर युद्ध का मैदान बना रहा. शनिवार की सुबह 10:15 बजे शिक्षक अभ्यर्थी गांधी मैदान के पास एकत्रित हुए. इस दौरान पुलिस ने गांधी मैदान के सभी गेट को बंद करा दिया. गांधी मैदान के अंदर से शिक्षक अभ्यर्थी अभिषेक कुमार झा को हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद 11:30 बजे गांधी मैदान के गेट नंबर 5 से अभ्यर्थियों ने राजभवन मार्च निकाला.
लाठी चलने से और आक्रोशित हो गए अभ्यर्थीः दोपहर 12:00 बजे के करीब अभ्यर्थी जेपी गोलंबर पर पहुंच गए, जहां पुलिस ने उन्हें रोक दिया. 15 मिनट तक पुलिस ने काफी समझाने बुझाने का काम किया, लेकिन अभ्यर्थी नहीं हटे और गांधी मैदान पीर अली खान के पास एकजुट हो गए. 12:30 बजे के आसपास पुलिस ने लाठी चलानी शुरू कर दी और अभ्यर्थियों को खदेड़ने लगी. इससे आक्रोशित अभ्यर्थी ने डाक बंगला चौराहे पर एकत्रित होने लगे. मिनटों में हजारों की संख्या में अभ्यर्थी जुट गए.
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डाकबंगला पर लाठी चार्जः 12:45 बजे एक बार फिर पुलिस ने शिक्षक अभ्यर्थियों को पुलिस ने लाठी से पिटाई करते हुए खदेड़ दिया. डाकबंगला चौराहे से बुद्धा पार्क तक अभ्यर्थियों को पुलिस ने खदेड़ा. 10 मिनट के अंदर अभ्यर्थी एक बार फिर से डाक बंगला चौराहे पर जमा हो गए. 1:10 बजे अभ्यर्थी सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे तो फिर से लाठी चार्ज की गई. इस दौरान कई महिला और पुरुष अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया गया.
पटना स्टेशन तक खदेड़ाः पुलिस के लाठीचार्ज के बाद 1:20 बजे अभ्यर्थियों की भीड़ में से पुलिस के ऊपर कुछ पत्थर चला और इसके बाद फिर से पुलिस ने लाठियां चटकाते हुए अभ्यर्थियों को पटना स्टेशन तक खदेड़ दिया. 2:00 बजे तक पुलिस ने डाक बंगला चौराहा पर प्रदर्शन करने और एकत्रित होकर अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी कर रहे 30 से अधिक अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया और अभ्यर्थियों को कोतवाली थाना लेकर गई. लेकिन अभी भी छात्रों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है.
क्या है मामलाः बता दें कि 27 जून को सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट बैठक में शिक्षक नियुक्ति से डोमिसाइल को हटा दिया गया. पहले शिक्षक बहाली में बिहार के स्थायी निवासी होना अनिवार्य था, लेकिन डोमिसाइल हटाने के बाद से यह अनिवार्यता खत्म हो गई है. अब देश के किसी भी राज्य के अभ्यर्थी बिहार में शिक्षक बन सकते हैं. इसी को लेकर बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.