पटना: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए राज्य पुलिस छापेमारी और गिरफ्तारी के दौरान पूरी एहतियात बरत रही है. पुलिस अनावश्यक गिरफ्तारी से बच रही है. लिहाजा गिरफ्तारी का ग्राफ लगातार तेजी से गिरता जा रहा है. राजधानी पटना सहित बिहार के सभी जिलों में ये ट्रेंड देखने को मिल रहा है. हालांकि पुलिस मुख्यालय इन मामलों में खुलकर कुछ भी कहने से बच रहा है.
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गिरफ्तारी से बच रही पुलिस
पुलिस मुख्यालय एडीजी जितेंद्र कुमार की माने तो कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण ने बिहार पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव ला दिया है. कल तक जो बिहार पुलिस हर एक अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में विश्वास रखती थी और कार्रवाई करती थी वो बिहार पुलिस कोरोना काल के दौरान 7 साल से नीचे की सजा के तहत आने वाले अपराध में शामिल अत्यधिक अपराधियों को सिर्फ हिदायत और बांड भरवा कर थाना स्तर पर ही छोड़ रही है.
पुलिस मुख्यालय की अपनी दलील
हालांकि, पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की मानें तो सीआरपीसी की धारा 41 में कुछ साल पहले ये संशोधन किया गया था कि 7 साल से कम सजा वाले मामले में गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाएगा, जिसका हवाला पुलिस मुख्यालय कोरोना के दौरान देकर 7 साल से कम सजा वाले अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है. पुलिस मुख्यालय सहित आर्थिक अपराध इकाई, सीआईडी, पटना केकई थानेदार और पुलिसकर्मियों के साथ अन्य जिलों के कई पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
गिरफ्तारी के ग्राफ में गिरावट
पटना के बेउर जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार पटना के बेउर जेल में पहले औसतन प्रतिदिन 80 से 90 बंदी आते थे, लेकिन कोरोना बीमारी के दौरान 43 से 47 के बीच ही कैदी बेउर जेल में आ रहे हैं. बेउर जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार की माने तो जेल में आने वाले बंदियों की संख्या घटी है. इसका एक पहलू ये भी है कि राज्य में 59 जेलों में कुल 43 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है और इस वक्त 55 हजार कैदी बिहार की विभिन्न जेलों में बंद हैं.
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कैदियों को नहीं मिल पा रही बेल
क्षमता से अधिक कैदियों के जेल में बंद होने के पीछे कोरोना काल में न्यायालय का पूर्ण रूप से संचालन नहीं होना भी है, जिसकी वजह से कैदियों को समय पर बेल मिलने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के थानेदारों को छोटी घटना जैसे चोरी, छेड़खानी आदि में बांड भरवा कर छोड़ने के निर्देश दिए हैं.
''कोविड का दौर है, इसलिए हमने अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है. हालांकि, जो आदतन अपराधी है या जिसके बारे में केस के आईओ को लगता है कि ये शख्स सबूत को टेंपर्ड कर सकता है या गवाह को डरा धमका सकता है उसकी गिरफ्तारी में हमने कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसे अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजने का निर्देश दिया है.''- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
पुलिस मुख्यालय ने दिए निर्देश
थानों में तैनात पुलिसकर्मी लगातार कोरोना से संक्रमित हो रहे थे, जिस वजह से पुलिस मुख्यालय ने सभी थानों के पुलिस कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए पुलिस मुख्यालय के द्वारा बिहार के सभी थानों में आने वाले फरियादियों को लेकर थाने के बाहर ड्रॉप बॉक्स बनाने का निर्देश दिया है, ताकि वो अपनी शिकायत उस ड्रॉप बॉक्स के माध्यम से थाने को दे सकते हैं. साथ ही फरियाद लेकर पहुंचने वाले फरियादियों को थाने में एक जगह बैठाकर उनकी फरियाद सुनने के निर्देश दिए गए हैं.
गिरफ्तारी को लेकर दिशा-निर्देश
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार के मुताबिक गृह विभाग और जेल प्रशासन ने निर्णय लिया है कि जेलों तक कोरोना संक्रमण ना पहुंच सकें, जिसे लेकर बिहार के सभी थानेदारों को निर्देश दिया है कि अगर किसी भी अपराधी को गिरफ्तार करते हैं तो सबसे पहले वह उस अपराधी को गिरफ्तार करने के बाद उसका कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य है. कोविड टेस्ट के आधार पर ही कैदियों को 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखने के बाद सामान्य कैदियों के साथ रखने का निर्णय लिया है.
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कोरोना को लेकर पुलिस कर्मी सचेत
हालांकि, पुलिस मुख्यालय के एडीजी का कहना है कि पुलिसकर्मी अपनी सुरक्षा के साथ-साथ जनता की सुरक्षा में इस महामारी के समय में भी फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में काम कर रहे हैं और पुलिसकर्मियों के उत्साह में कोई फर्क नहीं दिख रहा है. एडीजी जितेंद्र कुमार की माने तो आम इंसान की कोरोना को लेकर जो धारणा है, वही धारणा पुलिस की भी है. पुलिस भी आम इंसान की तरह ही कोरोना को लेकर सचेत है.