पटना: यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि हॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता टॉम क्रूज, लियोनार्दो डिकैप्रियो, जॉनी डीप जैसे कई अभिनेताओं का बिहार से कनेक्शन है. ऐसा इसलिए क्योंकि हॉलीवुड के 60 फीसदी से अधिक फिल्मों का वीएफएक्स (Patna Visual Effects In Many Hollywood Films) कार्य बिहार की राजधानी पटना में किया जाता है. इन दिग्गज अभिनेताओं के फिल्मों के दृश्य को बेहतरीन वीएफएक्स डालकर सीन में जान डाल दी जाती है.
पढ़ें- अली फजल : बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक बजा रहे हुनर का डंका
हॉलीवुड फिल्मों में पटना का VFX इफेक्ट: पटना में वीएफएक्स इंडस्ट्री (VFX effect of Patna in Hollywood movies) का एक बड़ा रेंज है और दर्जनों वीएफएक्स स्टूडियो चलते हैं. यह सभी वीएफएक्स स्टूडियो बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों के वीएफएक्स का काम नहीं करते हैं और ना ही इन फिल्मों का काम उठाते हैं क्योंकि यह सभी वीएफएक्स स्टूडियो हॉलीवुड फिल्मों का ही वीएफएक्स तैयार करते हैं. हॉलीवुड फिल्मों के वीएफएक्स तैयार करने से ही फुर्सत नहीं मिलती की वह भारतीय फिल्मों की तरफ रुख करें.
1 फ्रेम का न्यूनतम ₹1000 चार्ज: पटना की वीएफएक्स स्टूडियो चलाने वाले यह भी कहते हैं कि हॉलीवुड फिल्मों से वीएफएक्स के लिए अच्छा पेमेंट उन्हें मिल जाता है लेकिन बॉलीवुड फिल्में अधिक खर्च करना नहीं चाहते हैं. ऐसे में कोई स्टूडियो भी जल्दी वीएफएक्स के लिए तैयार नहीं होते हैं. वीएफएक्स आर्टिस्ट बताते हैं कि एक सेकंड में मिनिमम 24 फ्रेम होता है और कुछ केस में 30 फ्रेम निकालना होता है. एक फ्रेम पर वीएफएक्स का काम करने के लिए न्यूनतम ₹1000 चार्ज किया जाता है. आर्टिस्ट के अनुभव के हिसाब से यह चार्ज बढ़ भी सकता है. यानी कुल मिलाकर कहें तो 1 सेकंड का यदि वीएफएक्स तैयार करना है तो उसके लिए ₹24000 खर्च कर रहे होंगे. बताते चलें कि पटना में मिशन इंपॉसिबल, टाइटेनिक 3D, 300, लाइफ ऑफ पाई, पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन जैसे सैकड़ों फिल्में हैं जिनके वीएफएक्स कार्य पटना के स्टूडियो में कंप्लीट हुए हैं.
वीएफएक्स संचालक ने कही ये बात: पटना की सगुना मोड़ इलाके में रेड टेक्नो एंटरटेनमेंट (Red Techno Entertainment VFX Studio Patna) के नाम से वीएफएक्स स्टूडियो चलाने वाले अभिमन्यु ( Patna VFX Studio Director Abhimanyu) बताते हैं कि साल 2012 में उन्होंने पटना में अपना वीएफएक्स स्टूडियो शुरू किया था. पटना में वीएफएक्स स्टूडियो का इतिहास 1995 से है. ऐसे में यहां उन्हें स्टूडियो शुरू करने में काफी सपोर्ट भी मिला. उन्होंने बताया कि बिहार में वीएफएक्स के इतिहास को देखें तो मुगल ए आजम टू ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म आई थी उसका कलर्ड फॉर्म पटना के डायनेक्स स्टूडियो में तैयार किया गया था जिसका नाम बदलकर अब यूनो डिजिटल हो गया है.
"हम सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों का ही वीएफएक्स कार्य करते हैं लेकिन हम नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट से बंधे हुए रहते हैं. ऐसे में यह डिस्क्लोज नहीं कर सकते कि किस फिल्म का वीएफएक्स तैयार किया है. लेकिन इतना कह सकते हैं कि स्पाइडर-मैन, लाइफ ऑफ पाई, मूवी 300, फास्ट एंड फ्यूरियस, पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन जैसे अनगिनत मूवी हैं जिनका यहां पर आर्टिस्ट्स ने वीएफएक्स क्रिएट किया है. फिल्म के सीन को शानदार बनाया है."- अभिमन्यु, वीएफएक्स स्टूडियो के संचालक
'साउथ की फिल्मों में होता है ज्यादा VFX इफेक्ट': उन्होंने कहा कि कई वीएफएक्स स्टूडियो बंद हो गए हैं. कई वीएफएक्स स्टूडियो अभी चल रहे हैं. पटना में कई अन्य वीएफएक्स स्टूडियो भी बड़े पैमाने पर स्टूडियो शुरू करने की तैयारी में है क्योंकि लॉकडाउन के बाद से एक बार फिर से फिल्म निर्माण में तेजी आई है और आर्टिस्ट को काम मिलने लगा है. अभिमन्यु ने बताया कि इंडियन फिल्मों में वीएफएक्स का काम काफी कम किया जाता है और इंडियन फिल्मों की बात करें तो बॉलीवुड की फिल्मों की अपेक्षाकृत साउथ फिल्म इंडस्ट्री में वीएफएक्स का काफी अधिक यूज किया जाता है.
ऐसे मिलता है काम: VFX संचालक आगे कहते हैं कि बॉलीवुड में जो वीएफएक्स का काम होता है उसके लिए मुंबई के स्टूडियो ही काफी हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास जब भी काम आता है तो उनके पास मूवी का सीन उपलब्ध कराया जाता है और उसके साथ प्री टास्क दिया जाता है कि इसमें क्या करना है. वीएफएक्स में पेंटिंग का काम होता है, कंपोस्टिंग का काम होता है और अन्य कई सारे काम होते हैं. ऐसे में कोई एक या दो काम के लिए अधिकतर प्रोजेक्ट उनके पास आते हैं. जो भी डायरेक्टर के निर्देश होते हैं उस पर टच कंप्लीट करके भेज दिया जाता है.
VFX इफेक्ट में इन बातों पर रखा जाता है खास ध्यान: उन्होंने बताया कि उनकी टीम में 12 लोग हैं जो वीएफएक्स का काम करते हैं. वीएफएक्स के काम में कुछ भी रिमूव नहीं किया जाता बल्कि ऐडऑन किया जाता है. इनमें से कुछ हटाना भी है तो उसके ऊपर सेम सीन तैयार करके ऐड किया जाता है. यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आर्टिस्ट के सोचने की क्षमता कितनी है और किसी सीन को वह कितना विजुअलाइज कर सकता है. अभिमन्यु ने बताया कि कोरोना के बाद से वर्क फ्रॉम होम कल्चर भी बढ़ा है और एक अन्य ट्रेंड यह बढ़ा है कि कुछ समय बाहर काम करने के बाद लोग अपने गृह राज्य में ही आकर काम करना पसंद कर रहे हैं. ऐसे में यदि बिहार में इंटरनेट की सुविधा को और बेहतर बढ़ाया जाए और कनेक्टिविटी को मजबूत किया जाए तो बिहार में वीएफएक्स इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP