पटना: इतिहास भी खुद को दोहराता है. बिहार में एक बार फिर इतिहास 28 साल पीछे के राजनीतिक घटनाक्रम की ओर घूम गया है. उपेन्द्र कुशवाहा ने जेडीयू के सामने जो मांग रखी है ठीक उसी तरह की डिमांड 1994 में नीतीश ने लालू यादव के सामने रखी थी. इस डिमांड के ठीक 10 साल बाद ही बिहार की सियासत बदल गई थी. हिस्सा मांगने वाला सीएम बन गया. 2023 में फिर एक बार उपेन्द्र कुशवाहा ने वही मांग दोहराई है और हिस्सेदारी की बात छेड़ दी है. जेडीयू अटैकिंग मौड में है तो आरजेडी वेट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रही है. इस मामले में जब बिहार के आईटी विभाग के मंत्री इसराइल मंसूरी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे जेडीयू का आंदरुनी मामला बताकर निकल गए.
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''उपेन्द्र कुशवाहा जो कुछ कह रहे हैं वो जदयू के लिए कह रहे हैं. जेडीयू से अपनी हिस्सेदारी मांग रहे हैं. वो ही इस मामले में जवाब देंगे. इसमें हम क्या कुछ बोल सकते हैं. उन्होंने महागठबंधन में खींचतान के मसले पर सवाल के जवाब में कहा कि महागठबंधन में सब कुछ ऑल इस वेल है. महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार और लालू यादव हैं.''- इसराइल मंसूरी, मंत्री, बिहार सरकार
बस साल नया, मांग 1994 वाली ? : जब उनसे पूछा गया कि उपेंद्र कुशवाहा उस बात का जिक्र भी कर रहे हैं कि जिस तरह से नीतीश कुमार ने वर्ष 1994 में लालू प्रसाद यादव से हिस्सेदारी मांगी थी, उसी तरह वह भी जदयू में रहकर हिस्सेदारी मांग रहे हैं. मंत्री इसराइल मंसूरी इस सवाल का जवाब देने से बचते नजर आए. फिलहाल बिहार में उपेंद्र कुशवाहा के बयान के बाद सियासत काफी तेज हो गई है.
कौन लिख रहा उपेन्द्र कुशवाहा की स्क्रिप्ट? : हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल के नेता यह कहते नजर आ रहे हैं कि किसी न किसी के इशारे पर उपेंद्र कुशवाहा इस तरह का बयानबाजी कर रहे हैं. स्क्रिप्ट कहीं और लिखी जा रही है वहीं, मंगलवार को राजद कोटे के मंत्री ने साफ-साफ कह दिया कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक है. उनके नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. कुल मिलाकर देखें तो राजद कोटे के मंत्री 'जदयू' के अंदर चल रही सियासत से अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से परहेज कर रहे हैं.