पटना: सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले देश के नामी गिरामी उद्योगपति अनिल अग्रवाल अक्सर बिहार से बाहर रहने का अपना दर्द बयां करते हैं. उनका बिहार से गहरा लगाव है. यही कारण है कि जब भी वे बिहार आते हैं तो अपने दौरे की एक-एक चीज को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं. एक बार फिर से अनिल अग्रवाल ने बिहार से बाहर रहने के अपने दर्द को सोशल मीडिया के माध्यम से बयां किया है. अनिल अग्रवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट में एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने अपनी एक फोटो भी शेयर की है. फोटो में अनिल अग्रवाल के हाथों में लिट्टी-चोखा की थाली है.
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बोले अनिल अग्रवाल- ''बिहार की बात हटकर है': अनिल अग्रवाल ने अपने ट्वीट में होमसिक (Homesick) का मतलब समझाया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि आप सभी जानते हैं कि इंग्लिश मेरी पहली भाषा नहीं है. लेकिन जब मुझे काम के लिए बिहार से बाहर जाना पड़ा, बिहार छोड़ना पड़ा तो मुझे homesick का मतलब समझ में आया. आगे उन्होंने लिखा कि इस जगह (बिहार) के लिए मेरे प्यार की व्याख्या करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं है. यहां की हर बात दुनिया से हट कर है.
'लिट्टी चोखा से अच्छा खाना कुछ नहीं': आगे अपने अनुभव साझा करते हुए अनिल अग्रवाल लिखते हैं कि सबसे पहले मैंने लिट्टी को धनिया चटनी और बैगन चोखा के साथ खाया...एक दम लाजवाब.. मुझे अभी भी याद है कि सर्दियों के दिनों में सभी बच्चे आग के चारों ओर बैठते थे और बड़ों को लिट्टी चोखा बनाने में मदद करते थे. पूरी दुनिया देखी इससे अच्छा खाना कुछ नहीं. आगे अनिल अग्रवाल कहते हैं कि घर वहीं है जहां तेरा दिल है...मेरा दिल, मेरा बचपन, मेरा सब कुछ इस खाने की थाली में है.
'बिहार आने का मतलब बचपन में वापस आना': बिहार लौटने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए अनिल अग्रवाल कहते हैं जैसे ही बिहार का रोड साइन दिखाना शुरू होता है, मैं बस खुश हो जाता हूं...बिहार वापस आने का मतलब है अपने बचपन में वापस आना जो प्यार, हंसी और अच्छे भोजन से भरा हुआ था. मुझे हाल ही में उन गलियों में वापस जाने का मौका मिला है, जहां मैं पला-बढ़ा हूं.
कौन हैं अनिल अग्रवाल: अनिल अग्रवाल एक भारतीय अरबपति हैं जो वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष हैं और बिहार के टॉप रईस लोगों में से एक हैं. 24 जनवरी 1954 को अनिल अग्रवाल का जन्म पटना में हुआ था. अक्सर अनिल अग्रवाल अपने संघर्षों की कहानी बताकर लोगों का हौसला बढ़ाते हैं.