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बिहार सूचना आयोग कोर्ट ने BSEB पर लगाया 21 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है वजह - penalty on Bihar board

16 छात्रों ने बिहार बोर्ड से मौट्रिक परीक्षा की कॉपियां मांगी थी. लेकिन, बोर्ड की ओर से छात्रों को कॉपी उपलब्ध नहीं कराया गया. जिसको लेकर यह विवाद हुआ है.

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Published : Dec 2, 2019, 5:28 PM IST

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर बड़ी गाज गिरी है. राज्य सूचना आयोग ने बीएसईबी के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही बरतने को लेकर सूचना आयोग कोर्ट ने बोर्ड को 21 लाख का जुर्माना लगाया है. राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ओम प्रकाश की आदालत में यह फैसला सुनाया गया.

दरअसल, 16 छात्रों ने बिहार बोर्ड से मौट्रिक परीक्षा की कॉपियां मांगी थी. लेकिन, बोर्ड की ओर से छात्रों को कॉपी उपलब्ध नहीं कराया गया. जिसके बाद छात्रों ने सूचना आयोग(आरटीआई) के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी. लेकिन, बिहार बोर्ड के अधिकारी लापरवाही बरतते हुए छात्रों को इसकी भी जानकारी नहीं दी. बताया ये भी जाता है कि उन कपियों को नष्ट कर दिया गया.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोर्ट ने लगाया जुर्माना
इसके बाद मामला सूचना आयोग के कोर्ट पहुंचा. जहां कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार विद्यालय परिक्षा समिति को 21 लाख का जुर्माना लगाया है. जिसमें कोर्ट ने आरटीआई एक्ट की धारा 19 (8) (B) के तहत तीन छात्रों को 5-5 लाख, 4 छात्रों को 1- 1 लाख और एक छात्र को 2 लाख रुपये बतौर मुआवजे के देने का आदेश दिया है.

ये भी पढ़ें :-युवा JDU के लिए पदाधिकारियों की सूची जारी, बनाये गए 20 उपाध्यक्ष, 67 महासचिव और 50 सचिव

इन अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
इसके अलावा 16 मामलों में 7 ऐसे मामले हैं. जिनमें आयोग ने सूचना उपलब्ध नहीं कराने के लिए तत्कालीन लोक सूचना पदाधिकारी, स्टाफ और सेक्शन ऑफिसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर बड़ी गाज गिरी है. राज्य सूचना आयोग ने बीएसईबी के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही बरतने को लेकर सूचना आयोग कोर्ट ने बोर्ड को 21 लाख का जुर्माना लगाया है. राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ओम प्रकाश की आदालत में यह फैसला सुनाया गया.

दरअसल, 16 छात्रों ने बिहार बोर्ड से मौट्रिक परीक्षा की कॉपियां मांगी थी. लेकिन, बोर्ड की ओर से छात्रों को कॉपी उपलब्ध नहीं कराया गया. जिसके बाद छात्रों ने सूचना आयोग(आरटीआई) के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी. लेकिन, बिहार बोर्ड के अधिकारी लापरवाही बरतते हुए छात्रों को इसकी भी जानकारी नहीं दी. बताया ये भी जाता है कि उन कपियों को नष्ट कर दिया गया.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कोर्ट ने लगाया जुर्माना
इसके बाद मामला सूचना आयोग के कोर्ट पहुंचा. जहां कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार विद्यालय परिक्षा समिति को 21 लाख का जुर्माना लगाया है. जिसमें कोर्ट ने आरटीआई एक्ट की धारा 19 (8) (B) के तहत तीन छात्रों को 5-5 लाख, 4 छात्रों को 1- 1 लाख और एक छात्र को 2 लाख रुपये बतौर मुआवजे के देने का आदेश दिया है.

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इन अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
इसके अलावा 16 मामलों में 7 ऐसे मामले हैं. जिनमें आयोग ने सूचना उपलब्ध नहीं कराने के लिए तत्कालीन लोक सूचना पदाधिकारी, स्टाफ और सेक्शन ऑफिसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

Intro:बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 21 लाख का जुर्माना ठोका गया है। यह जुर्माना समिति के अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण देना पड़ेगा।
यह आदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ओम प्रकाश की अदालत में सुनाया गया है।
दरअसल 16 छात्रों आरटीआई के तहत मैट्रिक परीक्षा की कॉपी मांग की थी।
बावजूद इसके बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड द्वारा छात्रों को कॉपी उपलब्ध नहीं कराया गया।
बल्कि जानकारी यह मिली कि उन कपियों को नष्ट कर दिया गया है।


Body:इसके बाद ही राज्य सूचना आयोग ने अपने आदेश में कहा कि आरटीआई के तहत कॉपियां मांगने पर बिहार बोर्ड ने आवेदकों को कॉपियां उपलब्ध नहीं कराई।
इतना ही नहीं बिहार बोर्ड ने आरटीआई के तहत कॉपियां मांगने के बाद इसे नष्ट कर दिया।
इसलिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति आरटीआई एक्ट की धारा 19 (8) (B) के तहत तीनों आवेदकों को जुर्माना देना पड़ेगा।
इसके अलावा 16 मामलों में 7 ऐसे मामले हैं । जिनमें आयोग ने सूचना उपलब्ध नहीं कराने के लिए तत्कालीन लोक सूचना पदाधिकारी, स्टाफ और सेक्शन ऑफिसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है।


Conclusion:राज्य सूचना आयोग के पास इस तरह के कुल 16 मामले पहुंचे थे। जिसमें बिहार बोर्ड ने आवेदक को आरटीआई के तहत मूल्य अंकित कॉपी उपलब्ध नहीं कराई।
इन मामलों की सुनवाई के बाद आयोग ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर जुर्माना लगाया है।
इनमें 3 आवेदकों को 5 - 5 लाख, 4 आवेदकों को 1- 1 लाख और एक आवेदक को 2 लाख रूपये बतौर मुआवजे के देने का आदेश दिया है।
आरटीआई मामले में राज्य सूचना आयोग द्वारा यह करा और गंभीर फैसला माना जा रहा है।
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