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Bihar Hate Speech Allegations : बिहार के इतने सांसद और विधायक के खिलाफ हैं हेट स्पीच के आरोप, ADR Report में खुलासा - Hate Speech

सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद हेट स्पीच के मामलों में कमी नहीं आ रही है. एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के तीन सांसद और तीन विधायकों के खिलाफ भी हेट स्पीच के मामले दर्ज है.

बिहार के सांसद और विधायक पर हेट स्पीच के आरोप
बिहार के सांसद और विधायक पर हेट स्पीच के आरोप
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 3, 2023, 11:00 PM IST

पटना: हेट स्पीच यानी नफरत फैलाने वाली भाषा. एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के रिपोर्ट की मानें तो देशभर में 107 सांसदों और विधायकों पर हेट स्पीच देने के आरोप में मामले दर्ज हैं. आकड़ों की मानें पिछले 5 सालों में 480 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिन पर नफरत फैलाने के आरोप में मामले दर्ज हैं.

ये भी पढ़ें: ADR Report 2023: बिहार के 73 फीसदी 'माननीयों' के खिलाफ क्रिमिनल केस, हैरान कर देगी रिपोर्ट

नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: बता दें कि चुनावी सुधार पर काम करने वाली संस्था, एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सांसदों व विधायकों के उनके चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया है. अब आइये जानते हैं कि बिहार में कितने सांसद और विधायक नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोपी हैं.

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बिहार के 3 सांसद के खिलाफ हेट स्पीच के मामले: एडीआर रिपोर्ट की माने तो चुनावी हलफनामे में 33 सांसदों ने अपने खिलाफ हेट स्पीट के मामलों की जानकारी दी है. जिनमें यूपी के 7, तमिलनाडु के 4, तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार के 3-3, महाराष्ट्र, असम, गुजरात और पश्चिम बंगाल के 2-2 और ओडिशा, केरल, मध्यप्रदेश, झारखंड और पंजाब से 1-1 शामिल हैं. इन 33 सांसदों में से 22 सांसद बीजेपी के यानी 66 फीसदी हैं.

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बिहार के विधायकों के खिलाफ भी हेट स्पीच के मामले: वहीं विधायकों के बात करें तो, 74 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. एडीआर रिपोर्ट की मानें तो जिन 74 विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया, उनमें यूपी और बिहार के 9-9, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 6-6, तमिलनाडु और असम के 5-5, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गुजरात के 4-4, उत्तराखंड और झारखंड के 3-3, पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक के 2-2 और मध्यप्रदेश-ओडिशा के 1-1 शामिल हैं.

क्या है हेट स्पीच?: हेट स्पीच, यह शब्द हम अक्सर चुनाव के दौरान सुनते है. इसकी कोई कानूनी परिभाषा तो नहीं है लेकिन हेट स्पीच यानी नफरत फैलाने वाली भाषा का मतलब, कोई भी ऐसी बात जिसे बोलकर या फिर सोशल मीडिया में लिखकर हिंसा भड़काना या किसी धर्म समूह को आहत करना हेट स्पीच के अंतर्गत आती है.

भारत में क्या हैं इसके खिलाफ कानून: देशभर में हेट स्पीच को लेकर अलग अलग तरह के कानून हैं. भारतीय दंड संहिता के अनुसार, धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 153ए, धारा 153बी, 295ए (तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान) और 298, धारा 505 (1) और (2) के तहत सजा का प्रावधान हैं. वहीं जन प्रतिनिधि कानून के तहत भी कार्रवाई की जाती है.

हेट स्पीच पर क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?: पिछलों दिनों महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हेट स्पीच या नफरत फैलाने वाली भाषा का मामला सामने आए तो बिना देरी किए तुरंत शिकायत FIR दर्ज करें. इंतजार न करे कि कोई शिकायतकर्ता शिकायत लेकर आएगा. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर केस दर्ज करने में देरी होगी तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.

पटना: हेट स्पीच यानी नफरत फैलाने वाली भाषा. एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के रिपोर्ट की मानें तो देशभर में 107 सांसदों और विधायकों पर हेट स्पीच देने के आरोप में मामले दर्ज हैं. आकड़ों की मानें पिछले 5 सालों में 480 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिन पर नफरत फैलाने के आरोप में मामले दर्ज हैं.

ये भी पढ़ें: ADR Report 2023: बिहार के 73 फीसदी 'माननीयों' के खिलाफ क्रिमिनल केस, हैरान कर देगी रिपोर्ट

नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: बता दें कि चुनावी सुधार पर काम करने वाली संस्था, एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सांसदों व विधायकों के उनके चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया है. अब आइये जानते हैं कि बिहार में कितने सांसद और विधायक नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोपी हैं.

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बिहार के 3 सांसद के खिलाफ हेट स्पीच के मामले: एडीआर रिपोर्ट की माने तो चुनावी हलफनामे में 33 सांसदों ने अपने खिलाफ हेट स्पीट के मामलों की जानकारी दी है. जिनमें यूपी के 7, तमिलनाडु के 4, तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार के 3-3, महाराष्ट्र, असम, गुजरात और पश्चिम बंगाल के 2-2 और ओडिशा, केरल, मध्यप्रदेश, झारखंड और पंजाब से 1-1 शामिल हैं. इन 33 सांसदों में से 22 सांसद बीजेपी के यानी 66 फीसदी हैं.

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बिहार के विधायकों के खिलाफ भी हेट स्पीच के मामले: वहीं विधायकों के बात करें तो, 74 विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. एडीआर रिपोर्ट की मानें तो जिन 74 विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया, उनमें यूपी और बिहार के 9-9, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 6-6, तमिलनाडु और असम के 5-5, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गुजरात के 4-4, उत्तराखंड और झारखंड के 3-3, पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक के 2-2 और मध्यप्रदेश-ओडिशा के 1-1 शामिल हैं.

क्या है हेट स्पीच?: हेट स्पीच, यह शब्द हम अक्सर चुनाव के दौरान सुनते है. इसकी कोई कानूनी परिभाषा तो नहीं है लेकिन हेट स्पीच यानी नफरत फैलाने वाली भाषा का मतलब, कोई भी ऐसी बात जिसे बोलकर या फिर सोशल मीडिया में लिखकर हिंसा भड़काना या किसी धर्म समूह को आहत करना हेट स्पीच के अंतर्गत आती है.

भारत में क्या हैं इसके खिलाफ कानून: देशभर में हेट स्पीच को लेकर अलग अलग तरह के कानून हैं. भारतीय दंड संहिता के अनुसार, धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 153ए, धारा 153बी, 295ए (तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान) और 298, धारा 505 (1) और (2) के तहत सजा का प्रावधान हैं. वहीं जन प्रतिनिधि कानून के तहत भी कार्रवाई की जाती है.

हेट स्पीच पर क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?: पिछलों दिनों महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हेट स्पीच या नफरत फैलाने वाली भाषा का मामला सामने आए तो बिना देरी किए तुरंत शिकायत FIR दर्ज करें. इंतजार न करे कि कोई शिकायतकर्ता शिकायत लेकर आएगा. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर केस दर्ज करने में देरी होगी तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.

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