पटना: बिहार में कोरोना संकट ने सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है. कोरोना के पहले लहर का मुकाबला बिहार सरकार ने डटकर किया था. प्रखंड स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे. टेस्टिंग और ट्रैकिंग पर सरकार ने बेहतर काम किया था. लेकिन दूसरी लहर में सरकार आंकलन करने में असफल साबित हुई, नतीजा यह हुआ कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ सरकार के हाथ पांव फूल रहे हैं.
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हर रोज मौत के आंकड़ों ने लोगों को डराना शुरू किया
बिहार में जिस रफ्तार से मरीज संक्रमित हो रहे हैं, सरकार उस हिसाब से इंतजाम नहीं कर पा रही है. पिछले 24 घंटों में 89 लोगों की मौत हुई है. अब तक कोरोना वायरस ने 2480 लोगों की जानें ले ली है. बिहार में दूसरी लहर के दौरान पिछले 20 दिनों में लगभग 1000 लोगों की मौत हो चुकी है. वर्तमान में बिहार में सक्रिय मरीजों की संख्या 1,00,821 है. बिहार की रिकवरी रेट भी गिरकर 70% के आसपास सिमट चुका है.
होली के दौरान भी नहीं बढ़ाई गई जांच की रफ्तार
संक्रमण की रफ्तार इतनी तेजी से बढ़ी है कि सरकारी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रहे हैं. दरअसल पहली वेव के बाद बिहार सरकार की पूरी मशीनरी चुनाव में जुट गई थी. जांच भी 15000 से 20000 के बीच सिमट गयी थी. होली के दौरान भी टेस्टिंग नहीं बढ़ाए गए. जिसका नतीजा कोरोना विस्फोट के रूप में सामने आया. दूसरे लहर में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन सरकार लॉकडाउन की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. अगर लॉकडाउन समय रहते लगा दिया गया होता तो स्वास्थ्य विभाग के संसाधनों पर दबाव नहीं पड़ता. लोगों के जानमाल की रक्षा भी की जा सकती थी.
'सरकार पहले लहर के बाद निश्चिंत हो गई थी. अधिकारियों को यह लगने लगा था कि खतरा अब टल गया है. पहले से की गई तैयारियों में भी कमी आ गई. दूसरे लहर में संक्रमण की रफ्तार तेज है. जिसके चलते अस्पतालों पर दबाव बढ़ा है. लॉकडाउन लगा दिया गया होता तो आज अफरातफरी की स्थिति नहीं होती. सरकार के पास संसाधनों का अभाव है. जिसके चलते सरकार लॉकडाउन लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. प्रधानमंत्री के संदेश को लेकर भी बिहार सरकार दबाव में है.' -केशव कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
जिलाधिकारी कर सकते हैं अपने स्तर पर कार्रवाई
'हम लगातार परिस्थितियों की समीक्षा कर रहे हैं. हर 10 दिन पर समीक्षा के बाद सख्ती भी बढ़ाई जा रही है. सरकार ने जिलाधिकारियों को भी पूरी छूट दे रखी है. अगर हालात बिगड़े तो जिलाधिकारी अपने स्तर से कार्रवाई कर सकते हैं.' -मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री
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