पटना: बिहार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नौकरी महिलाओं के लिए तो दूर बल्कि पुरुषों के लिए भी जंगल में और वन्य प्राणियों के बीच नौकरी करना बेहद कठिन माना जाता है. इन सब के बीच बिहार की महिलाओं ने ना केवल इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. बल्कि कार्यस्थल पर बेहतर कार्य-निष्पादन के कई उदाहरण भी प्रस्तुत किये हैं.
'बेहतर तरीके से कर रही ड्यूटी'
इसको लेकर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि वन विभाग की नौकरी में पहले पुरुषों का दबदबा हुआ करता था. लेकिन समय के साथ अब बिहार की महिलाएं कदमताल करके चल रही है, वे अब वन विभाग में भी अपना जौहर दिखा रही है.
'महिलाओं के लिए अवसर के नये द्वार'
दीपक कुमार ने बताया कि हाल ही में लंबे समय के बाद 879 फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्ति हुई है. जिसमें से 285 महिलाएं फॉरेस्ट गार्ड के रूप में नियुक्त की गई हैं. इसके अलावा बिहार वन सेवा से भी कुल 8 अधिकारी चुनकर आए हैं. जिनमें से 3 महिलाएं हैं. इसके अलावे भारतीय वन सेवा से सिर्फ एक महिला अधिकारी अभी बिहार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में सेवा दे रही हैं.
उन्होंने बताया कि आने वाले समय में नई नियुक्तियों में और बड़ी संख्या में महिलाएं फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ज्वाइन करेंगी. जो महिलाएं के लिए एक बेहतर और बेहद उत्साहजनक अवसर होगा. दिपक कुमार ने बताया कि वन विभाग विशेष रूप से जंगलों में ड्यूटी करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम होता है. लेकिन बिहार की बेटियां ने इस सेवा को भी अपने करियर के रूप में चुन रही है. जो बेहद खुशी की बात है.
सरकारी नौकरियों 35 प्रतिशत सीट रिजर्व
बता दें कि जब से बिहार सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए जब से 35 प्रतिशत सीट रिजर्व करने का प्रावधान किया गया है, तब से वन विभाग जैसे क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. अब महिलाएं की नियुक्ती भी बड़ी संख्या में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में हो रही है. वन विभाग के कई प्रमुख पदों पर बीते कई साल से भर्ती नहीं हुई थी. प्रधान सचिव का कहना है कि जैसे-जैसे नई नियुक्तियां हो रही है, इस क्षेत्र में महिलाएं की भागीदारी भी देखने को मिल रही है. यह महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण अवसर है.
गौरतलब है कि इकसवीं शताब्दी में महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है. बीते तीन दशकों में महिलाओं ने सामाजिक नैतिकता की बाध्यताओं को पार करते हुए घर से निकलकर खुद को साबित किया है. महिलाओं ने अब तक हर क्षेत्र में बेहतर कार्य-निष्पादन के कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं.