पटना: बिहार विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को नई विद्युत दर की घोषणा की है. जिसके अनुसार उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसे कम चार्ज देना पड़ेगा. लेकिन बिहार के उद्योगपति नई विद्युत दर से खुश नहीं हैं. उद्योगपतियों का मानना है कि बिजली खरीदने में पहले से कम पैसा कंपनी को लग रहा है. साथ ही संचरण में भी अब कम पैसा ही खर्च किया जा रहा है. निश्चित तौर पर जो विद्युत दर में कटौती की गई है वह बहुत कम है. कम से कम 10 से 15 प्रतिशत की कमी विद्युत दर में होनी चाहिए थी.
'10 प्रतिशत की होनी चाहिए थी कमी'
बिहार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट संजय भरतीय ने कहा कि आयोग ने जो विद्युत दर में कमी की है. उससे आम आदमी को भी कोई खास राहत नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी राज्य के मुताबिक बिहार में बिजली पहले से ही महंगी है और निश्चित तौर पर जो नई टैरिफ लागू की गई है. उससे बिहार में किसी भी कीमत पर उद्योग को बढ़ावा नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में बिजली की दर में कम से कम 10 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए थी. जिससे उपभोक्ताओं को और उद्योगपतियों को भी राहत मिलता.
'एक से डेढ़ रुपये की दी जाए सब्सिडी'
बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के इंडस्ट्री सब कमेटी कन्वीनर सुभाष पटवारी ने कहा कि कहीं न कहीं जो विद्युत दर बिहार में है, उससे पुराने उद्योग बंद हो रहे हैं और उद्योगपति परेशान हैं. हमें ऐसा लगता था कि विनियामक आयोग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई अच्छी पहल करेगी. लेकिन जब आयोग का फैसला सामने आया तो ऐसा लगा कि कहीं न कहीं आयोग ने उद्योगपतियों के बातों को नहीं सुना है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि कम से कम विद्युत दर में एक से डेढ़ रुपये तक सब्सिडी दी जाए. जिससे पुराने उद्योग को बचाया जा सके और नई उद्योग लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके.