पटना: पिछले 5 साल से चल रहे स्वच्छ विद्यालय प्रतियोगिता में बिहार के सरकारी स्कूल फिसड्डी साबित हुए. बिहार शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के मुताबिक महज 9 फीसदी स्कूलों ने ही अपनी दावेदारी पेश की थी. अब ज्यादा से ज्यादा स्कूलों को स्वच्छता प्रतियोगिता (Cleanliness Competition For Bihar Goverment School) में भाग लेने की कवायद शुरू की गई है. जिसे लेकर स्कूलों को एक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
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बता दें कि वर्ष 2016 में ही केंद्र सरकार ने देश भर के स्कूलों के बीच स्वच्छता प्रतियोगिता की शुरुआत की थी. 2 साल तक चली इस प्रतियोगिता में बिहार के महज 9 फीसदी स्कूलों ने ही अपनी दावेदारी पेश की थी. यानी बिहार के स्कूल इस मामले में पूरी तरह फिसड्डी साबित हुए. अब एक बार फिर बिहार के शिक्षा विभाग ने यूनिसेफ की मदद से बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्रतियोगिता शुरू की है.
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बिहार के सभी करीब 80,000 सरकारी स्कूलों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इस प्रतियोगिता का आयोजन एक साल में दो बार किया जाएगा. इस वर्ष नवंबर और दिसंबर माह में पहली बार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए सभी स्कूल प्रतियोगिता में भाग लेंगे. पहले सभी स्कूलों को मूल्यांकन करके ऑनलाइन अपना अंक भरना होगा. जिसके बाद विभाग की एक कमेटी उसका मूल्यांकन करेगी.
कुल 100 अंक के साथ इंडिकेटर पर विद्यालय में सुरक्षित और पर्याप्त जल की आपूर्ति, छात्र-छात्रा के लिए क्रियाशील अलग-अलग शौचालय, साबुन से हाथ की धुलाई, समय-समय पर क्षमता वर्धन कार्यक्रम, स्थाई व्यवहार परिवर्तन के लिए संवाद, वाश सुविधाओं का परिचालन और सामुदायिक स्वामित्व एवं सहयोगी तंत्र पर पुरस्कार तय किया जाएगा.
तय मानकों के आधार पर 1 से लेकर 5 स्टार तक की रेटिंग स्कूलों को मिलेगी. प्रखंड स्तर पर 10 और जिला स्तर पर 8 विद्यालय को पुरस्कार दिया जाएगा. राज्य स्तर पर 60 सबसे बेहतरीन विद्यालयों को 10,000 रुपये के पुरस्कार जबकि तीन सर्वश्रेष्ठ स्कूलों को 50,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा.