पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग ने बोरा के रेट के बाद शिक्षकों के लिए कबाड़ बेचने का भी रेट फिक्स (Teachers will sell junk in Bihar) कर दिया है. इससे बिहार के शिक्षकों में नाराजगी देखने को मिल रही है. शिक्षकों का कहना है कि उन लोगों ने राज्य कर्मी का दर्जा मांगा तो सरकार उन्हें अपमानित करने के लिए लगातार ऐसे फरमान जारी कर रही है. कबाड़ बचने के निर्देश के बाद अब समाज में उन्हें कबाड़ी वाले शिक्षक लोग कहने लगे हैं, जिससे काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है.
कबाड़ का रेट तयः दरअसल, बीते दिनों शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को मिड डे मील का बोरा बेचने का निर्देश जारी किया. इसके लिए रेट भी फिक्स कर दिया गया है. पुराना रेट ₹10 प्रति बोरा को बढ़ाकर 20 रुपए प्रति बोरा तय कर दिया गया है. यह मामला थमा भी नहीं था कि शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी कर दिया कि शिक्षक विद्यालय में पड़े कबाड़ को बचेंगे. इस निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने अलग-अलग प्रकार के कबाड़ का भी रेट फिक्स कर दिया.
'कबाड़ी वाला शिक्षक कह रहे': टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने कहा कि बोरा बेचने का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को कबाड़ बेचने का निर्देश जारी कर दिया. यह भी निर्देश दे दिया कि शिक्षक किस दर पर कबाड़ बेचेंगे. इस फैसले के बाद समाज में अब उन लोगों को लोग कबाड़ी वाला शिक्षक कह रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी शिक्षकों का उपहास उड़ाया जा रहा है.
"समाज में शिक्षकों की जो प्रतिष्ठा है, उसपर गहरा आघात पहुंचा है. जब लोग शिक्षकों को कबाड़ी वाला शिक्षक और बोरा बेचने वाला शिक्षक कह कर बुला रहे हैं तो काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है." -राजू सिंह, प्रदेश संयोजक, टीईटी शिक्षक संघ
कबाड़ बेचने के उपाय: राजू सिंह ने सरकार को कबाड़ बेचने के उपाय भी बताए. कहा कि यदि सरकार को विद्यालयों का कबाड़ हटाना ही था तो राज्य स्तर पर अथवा जिला स्तर पर एजेंसी को टेंडर जारी करना चाहिए था. यह एजेंसी प्रखंड स्तर पर विद्यालयों में घूम-घूम कर सभी कबाड़ इकट्ठा करती और इसे बेचकर राज्य के खाते में जमा करा देती. लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जिस प्रकार से ऐसे उलूल-जुलूल फैसले लिए जा रहे हैं, इससे स्पष्ट है कि नियोजित शिक्षकों के राज्य कर्मी के दर्जा की मांग को लेकर सरकार खुन्नस में है.
'शिक्षकों को अपमानित होना पड़ रहा': टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजीत भारती ने कहा कि शिक्षक पढ़ाएंगे या अलग-अलग प्रकार के कबाड़ को ले जाकर बेचते फिरेंगे. सरकार का यह निर्णय शिक्षकों के मान सम्मान के खिलाफ है. इससे शिक्षकों को अपमानित होना पड़ रहा है. सरकार से और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से आग्रह करेंगे कि शिक्षकों की नियुक्ति जिस कार्य के लिए हुई है वही कराया जाए.
"शिक्षकों से सिर्फ बच्चों का पठन-पाठन कार्य कराया जाए. कबाड़ को हटाकर राज्य सरकार पैसा प्राप्त करना चाहती है तो इसके लिए राज्य स्तर पर ही शिक्षा विभाग कोई एजेंसी तय कर ले. शिक्षकों को कबाड़ बेचने के आदेश को तुरंत निरस्त किया जाए, क्योंकि इस फैसले से शिक्षकों को समाज में अपमानित होना पड़ रहा है." -संजीत भारती, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ
शिक्षकों में आक्रोशः बता दें कि बिहार सरकार ने 2021 में ही शिक्षकों को मिड-डे मिल का बोरा बेचने का आदेश दिया था. उस समय 10 रुपए प्रति बोरा बेचना था. नहीं तो शिक्षक का वेतन रोकने का निर्देश दिया था. इस बार बोरा का दाम 20 रुपए कर दिया गया है. ऊपर से शिक्षकों को स्कूल का कबाड़ बेचनने के लिए भी निर्देश दिया गया है. इसके बाद से शिक्षकों में आक्रोश है.