पटना: बिहार सहित कई राज्यों में प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव तय माना जा रहा है. इन राज्यों में बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड और दिल्ली शामिल हैं. मिली जानकारी के अनुसार पार्टी ने वैसे तमाम राज्यों में प्रदेश नेतृत्व का चेहरा बदलने की तैयारी कर ली है जहां आगामी 2-3 साल में चुनाव नहीं होने हैं. बिहार में सत्ता के करीब पहुंचकर सरकार नहीं बनाने का ठीकरा कांग्रेस पर फूटा है. इसके चलते बिहार प्रदेश कांग्रेस में बदलाव के सुर और अंतर्विरोध ने हवा पकड़ ली है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद होगी समीक्षा
इस मामले में बिहार कांग्रेस के नेता स्पष्ट रूप से बोलने से बच रहे हैं. सभी का एक ही जवाब है कि आलाकमान जो तय करेगा वह सब को स्वीकार होगा. कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने कहा कि हाईकमान समीक्षा कर तमाम निर्णय लेगा. अभी प्रदेश नेतृत्व के बदलाव की कोई सुगबुगाहट नहीं है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद देश भर में पार्टी की समीक्षा होगी.
बिहार चुनाव में कांग्रेस का मेनिफेस्टो तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले कांग्रेसी नेता आनंद माधव का मानना है कि विधानसभा चुनाव में हमारा परफॉर्मेंस खराब रहा. इसके कारण हम सरकार नहीं बना सके. हार के कई कारण हैं. इसकी गहन समीक्षा होनी चाहिए. जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा तब इसकी समीक्षा जरूर होगी. तब यह तय होगा कि बिहार में किस तरह से पार्टी मजबूत की जाएगी.
पार्टी ने पहले ही दे दिए हैं बदलाव के संकेत
जदयू से कांग्रेस में आए ऋषि मिश्रा (जिन्होंने टिकट न मिलने पर कांग्रेस नेतृत्व का खुलकर विरोध किया था) के भी सुर बदल गए हैं. वह प्रदेश नेतृत्व के बदलाव पर कुछ भी कहने से मना कर रहे हैं. ऋषि मिश्रा का मानना है कि पार्टी आलाकमान बिहार प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर निर्णय लेगी. इतना तय है कि राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद बिहार ही नहीं पूरे देश में कांग्रेस मजबूती से खड़ा होगी.
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक दल का नेता अजीत शर्मा को बनाकर पार्टी ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा या अल्पसंख्यक समाज से आने वाला नेता होगा. वहीं, चुनाव परिणाम के बाद से बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल एक बार भी बिहार नहीं आए हैं.