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Bihar Caste Based Survey: मांझी ने मांगी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी, बोले रत्नेश सदा- उनकी बातों को वैल्यू नहीं देता - Bihar Caste Survey

'जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी', बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट (Bihar Caste Based Survey) जारी होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यही मांग की है. हालांकि जेडीयू कोटे से मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि आने वाले समय पर इस बारे में कोई फैसला लिया जाएगा, अभी कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है.

मंत्री रत्नेश सदा
मंत्री रत्नेश सदा
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 4, 2023, 3:26 PM IST

मंत्री रत्नेश सदा

पटना: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद से सियासत गरमायी हुई है. कोई आकंड़े को लेकर सवाल उठा रहा है तो कोई जाति की आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग उठा रहा है. इसी कड़ी में हम संरक्षक और मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करने की मांग की है. अब इस मांग पर उन्हीं की जाति से आने वाले मंत्री रत्नेश सदा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मांझी को इस बारे में बोलने का कोई हक नहीं है.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Survey: 'बर्खास्त करिए मंत्रिमंडल'.. जातीय गणना की रिपोर्ट पर जीतन राम मांझी की CM नीतीश से बड़ी मांग

"ये तो हमारे मुख्यमंत्री की सोच है, जीतनराम मांझी की सोच नहीं. जब नीतीश कुमार जी ने व्यक्तिगत तौर पर रुचि लेकर जाति आधारित गणना करवाया है तो फिर मांझी के बयान पर कुछ बोलने की जरूरत नहीं है. जहां तक आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की बात है तो समय आने पर उस बारे में फैसला होगा"- रत्नेश सदा, मंत्री, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग, बिहार सरकार

मांझी पर भड़के मंत्री रत्नेश सदा: जीतनराम मांझी के बयान पर एससी-एसटी मंत्री रत्नेश सदा ने कहा जातीय गणना कराना यह तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच थी यह तो जीतन राम मांझी की सोच नहीं थी. रत्नेश सदा ने कहा कि यदि मांझी की सोच होती तो इस तरह की भाषा का प्रयोग वे नहीं करते. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत तौर पर बिहार में जातिय आधारित गणना कराया है. इसके माध्यम से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति को लेकर हर धर्म और समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए विकास के कार्य होंगे. मंत्री ने कहा कि वह मांझी की बातों का कोई वैल्यू नहीं देते हैं.

क्या कहा था मांझी ने?: दरअसल जीतनराम मांझी ने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा था, "जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करें, जिससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाए. दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा."

कौन हैं मंत्री रत्नेश सदा?: रत्नेश सदा एससी-एसटी मंत्री तब बने, जब जीतन मांझी के बेटे संतोष सुमन ने इस्तीफा दिया था. जीतन मांझी ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया था. जिसके बाद नीतीश कुमार ने मांझी के बेटे के इस्तीफा के तुरंत बाद ही रत्नेश सदा को एससी-एसटी मंत्री बना दिया था. इसलिए जीतनराम मांझी के खिलाफ रत्नेश सदा हमेशा मोर्चा खोलने और जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं.

मंत्री रत्नेश सदा

पटना: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद से सियासत गरमायी हुई है. कोई आकंड़े को लेकर सवाल उठा रहा है तो कोई जाति की आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग उठा रहा है. इसी कड़ी में हम संरक्षक और मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करने की मांग की है. अब इस मांग पर उन्हीं की जाति से आने वाले मंत्री रत्नेश सदा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मांझी को इस बारे में बोलने का कोई हक नहीं है.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Survey: 'बर्खास्त करिए मंत्रिमंडल'.. जातीय गणना की रिपोर्ट पर जीतन राम मांझी की CM नीतीश से बड़ी मांग

"ये तो हमारे मुख्यमंत्री की सोच है, जीतनराम मांझी की सोच नहीं. जब नीतीश कुमार जी ने व्यक्तिगत तौर पर रुचि लेकर जाति आधारित गणना करवाया है तो फिर मांझी के बयान पर कुछ बोलने की जरूरत नहीं है. जहां तक आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की बात है तो समय आने पर उस बारे में फैसला होगा"- रत्नेश सदा, मंत्री, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग, बिहार सरकार

मांझी पर भड़के मंत्री रत्नेश सदा: जीतनराम मांझी के बयान पर एससी-एसटी मंत्री रत्नेश सदा ने कहा जातीय गणना कराना यह तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच थी यह तो जीतन राम मांझी की सोच नहीं थी. रत्नेश सदा ने कहा कि यदि मांझी की सोच होती तो इस तरह की भाषा का प्रयोग वे नहीं करते. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत तौर पर बिहार में जातिय आधारित गणना कराया है. इसके माध्यम से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति को लेकर हर धर्म और समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए विकास के कार्य होंगे. मंत्री ने कहा कि वह मांझी की बातों का कोई वैल्यू नहीं देते हैं.

क्या कहा था मांझी ने?: दरअसल जीतनराम मांझी ने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर लिखा था, "जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करें, जिससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाए. दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा."

कौन हैं मंत्री रत्नेश सदा?: रत्नेश सदा एससी-एसटी मंत्री तब बने, जब जीतन मांझी के बेटे संतोष सुमन ने इस्तीफा दिया था. जीतन मांझी ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया था. जिसके बाद नीतीश कुमार ने मांझी के बेटे के इस्तीफा के तुरंत बाद ही रत्नेश सदा को एससी-एसटी मंत्री बना दिया था. इसलिए जीतनराम मांझी के खिलाफ रत्नेश सदा हमेशा मोर्चा खोलने और जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं.

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