पटना: रहीम का दोहा है, 'जो रहीम उत्तम प्रकृति, काकरी सकत कुसंग. चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.' इसका अर्थ है, रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते. बिहार की राजनीति में इस दोहे का काफी असर रहा है.
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पता है नीतीश जी सजायाफ्ता लालू जी और बेल पर बाहर तेजस्वी जी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ेंगे??
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क्योंकि उन्होंने ने ही कभी कहा था कि "चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटत रहत भुजंग"
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प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल (Bihar BJP President Sanjay Jaiswal)ने पुराने ट्वीट का स्क्रीन शॉट लेते हुए इसपर अपनी बात रखी है. जायसवाल ने कहा, 'पता है नीतीश जी सजायाफ्ता लालू जी और बेल पर बाहर तेजस्वी जी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ेंगे? क्योंकि उन्होंने ही कभी कहा था कि "चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग". नीतीश जी बताएं कि इस 'ठगबंधन' में 'चंदन' कौन है और 'भुजंग' कौन?'
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दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनाव में एक व्यक्ति ने लालू यादव पर शंका जाहिर करते हुए नीतीश से सवाल पूछा था कि यदि इस चुनाव में आप राजद के साथ जीतते हैं और अगर उनकी सीटों की संख्या ज्यादा होती है तो आप लालू के साथ बिहार का विकास कैसे करेंगे? इसका जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने रहीम के प्रसिद्ध दोहे 'जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग, चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग' का जिक्र किया था. इसको लेकर उसवक्त जमकर राजनीति हुई थी.