पटना: बिहार एटीएस (Bihar ATS) की तरफ से देर रात राजधानी पटना के पॉश इलाके में गांधी मैदान थाना क्षेत्र में एक निजी होटल में ऑपरेशन टेररिस्ट (Operation Terrorist) चलाया गया. दरअसल, बिहार के दरभंगा पार्सल ब्लास्ट (Darbhanga Blast) घटना के बाद बिहार एटीएस की टीम अलर्ट मोड पर है. एटीएस की टीम ने बिहार में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं.
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आतंकियों के वहां छिपे होने की खबर मिलने के बाद एटीएस की टीम पहुंची और इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया गया. हालांकि, यह कोई आतंकी हमला नहीं था, बल्कि एटीएस द्वारा मॉक ड्रिल (Mock Drill) किया गया था. इस वजह से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल हो गया.
दरअसल, राजधानी पटना के एक निजी होटल में एटीएस द्वारा चलाया गया टेरेरिस्ट ऑपरेशन के मॉक ड्रिल में स्थानीय थाने के साथ-साथ पटना के एसएसपी तक को सूचना नहीं थी. आखिर राजधानी पटना के होटल में एटीएस को मॉक ड्रिल करने की क्यों नौबत आन पड़ी. इस पर रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि बिहार शुरू से ही आतंकियों के पनाहगाह के लिए माना जाता रहा है.
''बिहार में जिस तरह से एक के बाद एक बम ब्लास्ट हो रहे हैं और उसका कनेक्शन बिहार, यूपी, तेलंगाना और मुंबई से जुड़ रहा है और इसका कनेक्शन कहीं ना कहीं लश्कर और आईएसआई से सामने आ रहे हैं. जिसको लेकर बिहार एटीएस अलर्ट हो गई है.''- ललन सिंह, रक्षा विशेषज्ञ
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार आगामी दिनों में बिहार में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और चुनाव के दौरान किसी आतंकी घटना को अंजाम ना दिया जा सके, उसको लेकर बिहार एटीएस अलर्ट हो गई है या फिर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से बिहार एटीएस को कुछ सूचना प्राप्त हुई है, जिस आधार पर बिहार एटीएस अलर्ट नजर आ रही है.
सबसे बड़ा सवाल है कि आतंकी बिहार को ही सबसे सुरक्षित क्यों मानते है? इसका जवाब यह है कि आतंकवादी बिहार को इसलिए भी चुनते हैं कि यहां उत्तरी बिहार नेपाल से सटा हुआ है. इसी वजह से आतंकियों का भारत में घुसना और बाहर निकलना आसान हो जाता है. उत्तर बिहार के कई जिले आतंकवादियों के पनाहगाह हैं. जिसमें दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी का नाम सामने आता है. इस मार्ग से आतंकी बगैर किसी रोक टोक के आवाजाही कर सकते हैं.
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बता दें कि पूर्व डीजीपी अभयानंद ने अपने कार्यकाल में राजधानी पटना सहित बिहार के अन्य बड़े जिलों के होटल मालिकों के साथ बैठक के दौरान यह निर्देश दिया था कि उनके होटलों में रहने वाले सभी अतिथियों का ब्यौरा रखा जाए. साथ ही साथ उनके होटल में रहने आए किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के बारे में उन्हें शक हो तो तुरंत निजी थाने को सूचित करें.
इसके अलावा बिहार के सभी थानों के अंतर्गत होटल को समय-समय पर जांच करने का निर्देश भी थानेदार को दिया गया था. परंतु ऐसा नहीं होता दिखता है. हालांकि, राजधानी पटना में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और कुछ पर्व त्यौहार पर या चुनाव के समय जरूर कुछ चिन्हित होटलों की छानबीन की जाती है.
रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने बताया कि बिहार में आगामी दिनों में पंचायत चुनाव होने वाले हैं. जिसका सिंबल भी जारी कर दिया गया है. पंचायत चुनाव के मद्देनजर किसी अप्रिय घटना ना घटित हो सके उसको लेकर भी एटीएस ने कमर कस रखी है. जिस वजह से राजधानी पटना के निजी होटल में मॉक ड्रिल चलाया गया है. यह भी माना जा सकता है कि पंचायत चुनाव मे आतंकी किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि समय-समय पर राजधानी पटना समेत बिहार के अन्य जिलों के थानेदारों को और वहां की पुलिस को सर्च अभियान चलाते रहना चाहिए.
बता दें कि 2000 में पहली बार सीतामढ़ी से दो आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी. जिसमें आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य मकबूल और जहीर की गिरफ्तारी की गई थी. उसके बाद फिर 2006 से आतंकी बिहार में दोबारा सक्रिय हुए और धीरे-धीरे सीमांचल और मिथिलांचल में लगातार आतंकियों के तार जुड़ते रहे हैं, जिस वजह से कईयों की गिरफ्तारी भी हुई है.
साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में बम ब्लास्ट की घटना के बाद पहली बार मधुबनी जिले का भी नाम आतंकी घटना में सामने आया था. तब बासोपट्टी के मोहम्मद कमाल को एटीएस टीम ने गिरफ्तार किया था. 2006 में आतंकवादी नए ठिकानों के तौर पर दरभंगा में पनाह लेते रहे हैं. यहां से असादुल्लाह रहमान उर्फ दिलकश कफील अहमद नकी अहमद जैसे सरगना पकड़े जा चुके हैं.
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हैदराबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद तहसील का नाम इंडियन मुजाहिदीन के सक्रिय सदस्य के तौर पर सामने आया था और वह समस्तीपुर का रहने वाला है. वहीं, मोतिहारी की बात करें तो इसकी सीमा से इंडियन मुजाहिदीन की यासीन भटकल, अब्दुल अजहर और हड्डी को गिरफ्तार किया गया था. अगस्त 2019 में बिहार के गया से बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन का सदस्य गिरफ्तार हुआ था. वहीं, फरवरी 2021 में बिहार के सारण से रिटायर्ड शिक्षक महफूज अंसारी का बेटा जावेद गिरफ्तार हुआ था. जावेद पर आतंकियों को हथियार मुहैया कराने का आरोप है.