पटना : लंबे इंतजार के बाद बिहार में शिक्षक भर्ती नियमावली को हरी झंडी मिल गई है. कैबिनेट ने नई नियमावली पर मुहर लगा दी है. कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षक भर्ती नियमावली को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. राजनीतिक जगत से जुड़े लोग नई नियमावली में कई खामियों की ओर इशारा कर दिया है. नई नियमावली को लेकर महागठबंधन में ही एक राय नहीं दिख रही है. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर जहां पीठ थपथपा रहे हैं, वहीं जदयू की ओर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं. कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चौथी बार विधान परिषद चुनाव जीतने वाले जदयू नेता संजीव कुमार सिंह ने नई नियमावली को लेकर शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया है.
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STET छात्रों ने भी खोला मोर्चा: सबसे मुखर विरोध एसटीईटी पास अभ्यर्थी कर रहे हैं. इनकी संख्या लगभग 80000 के आसपास है. अभ्यर्थियों का कहना है कि हमने परीक्षा पास की है और सरकार ने इसी आधार पर नौकरी के लिए आश्वासन दिया था. अब परीक्षा देने की बात की जा रही है. पहले जो नौकरी में शिक्षक हैं वह भी विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों का तर्क है कि हर 3-4 साल पर नई नियमावली हमारे लिए ला दिया जाता है. तीन चार बार हम परीक्षा पास कर चुके हैं. एक बार और फिर परीक्षा के लिए कहा जा रहा है.
JDU एमएलसी भी नई नियमावली से हैरान: विधान परिषद में शिक्षकों के मुद्दे को प्रमुखता से रखने वाले विधान पार्षद और जदयू नेता संजीव कुमार सिंह ने नई नियमावली पर हैरानी जताई है. जदयू नेता ने कहा कि नई नियमावली नए शिक्षकों के लिए तो सही है लेकिन जो पुराने शिक्षक हैं 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं, उनके लिए नियमावली सही नहीं है. लगता है अधिकारियों ने बिना सोचे समझे नियमावली को कैबिनेट में ला दिया है. जो पुराने शिक्षक हैं उन्हें वरीयता के आधार पर तवज्जो दी जानी चाहिए थी. एक बार फिर परीक्षा लेने की बात समझ से परे है. पुराने शिक्षकों को वरीयता के आधार पर राज्य कर्मियों का दर्जा दिया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ मैं शिक्षक संगठन से जुड़े लोगों से अनुरोध करता हूं कि फैसले के खिलाफ होकर विरोध जताएंं.
BJP पहले से हमलावर: शिक्षकों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाले विधान पार्षद और भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने नीतीश सरकार पर चौतरफा हमला बोला है. नवल किशोर यादव ने कहा है कि नई नियमावली पूर्व से कार्यरत शिक्षकों के साथ धोखा और TET/STET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए भी छलावा है. पूर्व से कार्यरत शिक्षक सरकार से उम्मीद लगाए बैठे थे की नई नियमावली के साथ हीं उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा मिल जाएगा. सत्तारूढ़ दल द्वारा समान काम समान वेतन और पुरानी पेंशन देने के किए गए चुनावी वायदे को सरकार पूरा करेगी लेकिन नई नियमावली से एक नए संवर्ग का जन्म हो गया.
''पूर्व से जो 9 हजार से अधिक नियोजन इकाइयाँ थी वह पूर्ववत बनी ही रह गईं तो इस नियमावली से किसी को क्या फायदा होगा? जो TET और CTET उत्तीर्ण अभ्यर्थी हैं उन्होंने जब B.Ed का एंट्रेंस एग्जाम दिया तब उनका नामांकन B.Ed में हुआ फिर B.Ed में उन्होंने दो बार परीक्षा दी तब जाकर वह B.Ed पास किए और B.Ed पास करने के बाद TET और CTET जैसा कंपटीशन पास करके बहाली की प्रतीक्षा कर रहे थे. अब उन्हें फिर एक नई परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ेगा. बिहार के नौजवान जीवन भर इम्तिहान ही देते रहेंगे?''- नवल किशोर यादव, एमएलसी, बीजेपी
'अभ्यर्थियों के साथ खड़ी है बीजेपी': एमएलसी नवल किशोर ने कहा कि नई नियमावली के साथ ही पूर्व से कार्यरत शिक्षकों को उम्मीद थी कि उनका स्थानांतरण हो जाएगा. लेकिन जब नियोजन इकाई खत्म नहीं हुई तो उनका स्थानांतरण कैसे होगा? मैं इस छलावा नियमावली का पुरजोर विरोध करता हूंँ. इसके लिए सड़क से लेकर सदन तक शिक्षकों के साथ खड़ा रहूँगा. शिक्षकों के पक्ष में भी संगठन आवाज बुलंद कर रहे हैं.
कैबिनेट के फैसले का छात्र कर रहे विरोध: अखिल भारतीय शिक्षा मंच बिहार के प्रदेश अध्यक्ष आलोक आजाद ने कहा है कि पुराने शिक्षकों को लेकर सरकार ने उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाया है. सरकार के फैसले का मैं विरोध करता हूं. वेतन को लेकर भी लगातार सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन ठोस फैसला नहीं लिया गया. सरकार ने वरीयता के आधार पर भी शिक्षकों के लिए कुछ नहीं किया. एसटीईटी पास अभ्यर्थियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है, वह आंदोलन भी कर रहे हैं.
''हम लोगों ने परीक्षा पास की थी और सरकार के मंत्री ने आश्वासन भी दिया था लेकिन अब फिर परीक्षा देने की बात कही जा रही है, यह हमारे साथ अन्याय पूर्ण रवैया है हम आंदोलन चलाएंगे.''- राकेश कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी