पटना : बिहार समेत देशभर में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. कोरोना काल में जहां लोगों ने ऑनलाइम माध्यमों से रुपयों का लेन-देन करना शुरू किया. वहीं, लोगों को ठगने के लिए साइबर ठगों ने अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया. टेक्नोलॉजी और इंटरनेट को महज यूज करने वाले लोग, उनके झांसे में आने लगे और अपने अकाउंट में सेंधमारी करवा बैठे. पहले जिस तरह आम लोगों के खाते से क्लोन चेक के जरिए ठगी होती थी, वो बदस्तूर जारी है. वहीं, इंटरनेट को भी ठगों ने हथियार बना लिया है. ऐसे में ईटीवी भारत लगातार लोगों को जागरूक कर रहा है.
2 दिन पहले राजधानी पटना के जक्कनपुर थाना अंतर्गत जयप्रकाश नगर स्थित प्राकृतिक स्कूल के खाते से क्लोन चेक से 9 लाख 75 हजार रुपये निकाल लिए गये. अपराधियों ने इस पैसे को राजस्थान की एसबीआई बैंक में ट्रांसफर कर दिया. स्कूल के प्रिंसिपल ने जक्कनपुर थाने में अज्ञात के खिलाफ 420 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है. इस पूरे मामले में एक बात निकलकर सामने आई है कि जालसाजों ने खाते से पैसा निकालते समय रजिस्टर मोबाइल नंबर को दो दिनों के लिए हैक कर लिया था. जानकारी मुताबिक ये पूरी रकम राजस्थान के सुनील मदार के एसबीआई अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है.
एक और मामला
वहीं, दूसरा मामला राजधानी पटना के अगमकुआं थाना अंतर्गत कुमरार चाणक्य नगर निवासी राहुल रंजन वर्मा से जुड़ा है. जिनके खाते से साइबर अपराधियों ने 70 हजार रुपये की अवैध निकासी कर ली. पीड़ित ने थाने में लिखित आवेदन देते हुए बताया कि अपराधियों ने उनका फर्जी एटीएम कार्ड बनाकर ये पैसे निकाल लिए. पीड़ित के अनुसार, ये निकासी पाटलिपुत्र क्षेत्र के किसी एटीएम से हुई है. पुलिस ने दोनों मामलों को दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई कर रही है. लेकिन सवाल यहां ये उठता है कि आखिर कैसे, आपको पता लगे बिना ये जालसाजी हो जाती है.
एक्सपर्ट की प्रतिक्रिया
इस बाबत, ईटीवी भारत ने आर्थिक अपराध नियंत्रण इकाई के एक्सपर्ट अभिनव सौरभ से बात की. उन्होंने कहा कि दोनों मामलों में गलती बैंक की दिखाई पड़ती है. पहले मामले में क्लोन चेक के जरिए ठगी हुई है, अपराधियों ने स्कूल को निशाना बनाया. रकम ज्यादा थी इसलिए बैंक को चाहिए था कि वो ये पता लगाए कि उस चेक नंबर से इतनी बड़ी रकम का लेन देन किया गया है या नहीं.
दूसरे मामले में साइबर अपराधियों ने एटीएम को क्लोन कर लिया. उसके बाद उनके पैसे की निकासी की गई है. इसमें भी बैंक की ही गलती है. एटीएम क्लोन, एटीएम मशीन में ही होता है. अक्सर ऐसी घटनाओं की शिकार आम जनता हो जाती है. एटीएम में साइबर अपराधियों द्वारा क्लोन करने वाली एक मशीन लगा दी जाती है, जिससे उनके एटीएम दोनों हाथ और आसानी से उनके जेब में उनके एटीएम होने के बावजूद भी दूसरे टीम के माध्यम से पैसे निकाल लिए जाते हैं. इन दोनों मामलों में बैंक और पुलिस अपने स्तर से छानबीन कर रही है.
एहतियात बरतना जरूरी
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि उम्मीद है कि दोनों लोगों के पैसे वापस मिल जाएगा. इस मामले में तकरीबन तीन महीने का समय लग सकता है. लोगों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है.
- लोगों को चाहिए कि वो अपना मोबाइल फोन से घर के बाहर वाईफाई का इस्तेमाल करने से बचें.
- अपने मोबाइल फोन या डेक्सटॉप को दूसरे सिस्टम या वाईफाई से कनेक्ट ना करें.
- एटीएम में पैसे निकालने से पहले, जिसमें कार्ड डालने वाला स्लॉट होता है. उसे पहले ही सही से देखकर पैसे की निकासी करें.
- एटीएम बूथ पर सिक्योरिटी गार्ड ना हो, तो पैसे की निकासी करने से बचें.
- अपना एटीएम पिन समय-समय पर बदलते रहें, इसे किसी से साझा ना करें.
- बैंक किसी को फोन नहीं करता. ऐसी फोन कॉल से बचें, जो आपसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की मांग करता है.