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JDU ने भरा दंभ तो BJP ने दिखाया आईना, UP में 'खराब परफॉर्मेंस' को कैसे दुरुस्त करेंगे नीतीश! - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पिछले कुछ दिनों से जेडीयू और बीजेपी में टकराव (Conflict Between JDU and BJP) बढ़ता जा रहा है. ऊपर से यूपी चुनाव के लिए दोनों के बीच गठबंधन भी नहीं हो पाया है. जिसके बाद जेडीयू ने अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है लेकिन उसके लिए पिछले चुनाव के खराब प्रदर्शन को दुरुस्त करना बड़ी चुनौती होगी.

यूपी चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में गठबंधन नहीं
यूपी चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में गठबंधन नहीं
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Published : Jan 23, 2022, 9:56 PM IST

पटना: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में बिहार की भी कई पार्टियां दमखम दिखाने जा रही हैं. एनडीए के घटक दल दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली पार्टी जेडीयू और बीजेपी बीच बात नहीं बनी और गठबंधन नहीं हो सका. ऐसे में जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब जब वह यूपी चुनाव लड़ रही है. इसके पहले भी 2012 में जेडीयू चुनाव लड़ी थी और 403 में से 219 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. हालांकि सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को 270303 मत मिले थे, जो कुल मतदान का 0.36% था.

ये भी पढ़ें: UP में मोदी-योगी के खिलाफ नीतीश करेंगे प्रचार तो कहीं बिहार में BJP-JDU गठबंधन में न बढ़ जाए दरार!

ऐसे में अब जब यूपी चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में गठबंधन नहीं (No Alliance Between JDU and BJP in UP Election) हो पाया है, तब पार्टी के लिए बेहतर प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती होती. बिहार में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा कहते हैं कि हर दल को चुनाव लड़ने का लोकतांत्रिक अधिकार है. जेडीयू उत्तर प्रदेश में पहले भी चुनाव लड़ चुकी है और नतीजा सबको पता है. यूपी में बिहार के किसी भी राजनीतिक दल को कुछ हाथ नहीं लगने वाला है, क्योंकि वहां एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की सरकार बड़े मतों के अंतर से बनने जा रही है.

उधर, आरजेडी मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जेडीयू को बीजेपी ने औकात बताने का काम किया है. वैसे भी जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी है. उत्तर प्रदेश में पार्टी का वजूद नहीं है. ऐसे में जेडीयू के नेताओं ने चाहे जितना भी बीजेपी के सामने कटोरा लेकर सीटों की मांग की हो, लेकिन बीजेपी ने जरा भी भाव नहीं दिया.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि चुनाव लड़ना किसी भी राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है. यूपी में ऐसे कई दल चुनाव लड़ रहे हैं. जेडीयू वहां बीजेपी के साथ चुनाव लड़ना चाहती थी. पार्टी को उम्मीद थी कि गठबंधन होने से वहां खाता खुल जाएगा, लेकिन दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनी. वे कहते हैं कि बीजेपी को शायद ऐसा लगा होगा कि जेडीयू को गठबंधन में लाने से फायदा नहीं होगा. इस वजह से बात नहीं बनी. वहीं, जेडीयू के समक्ष चुनौती अपने पिछले परफारमेंस को सुधारने की होगी.

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पटना: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में बिहार की भी कई पार्टियां दमखम दिखाने जा रही हैं. एनडीए के घटक दल दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली पार्टी जेडीयू और बीजेपी बीच बात नहीं बनी और गठबंधन नहीं हो सका. ऐसे में जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब जब वह यूपी चुनाव लड़ रही है. इसके पहले भी 2012 में जेडीयू चुनाव लड़ी थी और 403 में से 219 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. हालांकि सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को 270303 मत मिले थे, जो कुल मतदान का 0.36% था.

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ऐसे में अब जब यूपी चुनाव में जेडीयू और बीजेपी में गठबंधन नहीं (No Alliance Between JDU and BJP in UP Election) हो पाया है, तब पार्टी के लिए बेहतर प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती होती. बिहार में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा कहते हैं कि हर दल को चुनाव लड़ने का लोकतांत्रिक अधिकार है. जेडीयू उत्तर प्रदेश में पहले भी चुनाव लड़ चुकी है और नतीजा सबको पता है. यूपी में बिहार के किसी भी राजनीतिक दल को कुछ हाथ नहीं लगने वाला है, क्योंकि वहां एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की सरकार बड़े मतों के अंतर से बनने जा रही है.

उधर, आरजेडी मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जेडीयू को बीजेपी ने औकात बताने का काम किया है. वैसे भी जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी है. उत्तर प्रदेश में पार्टी का वजूद नहीं है. ऐसे में जेडीयू के नेताओं ने चाहे जितना भी बीजेपी के सामने कटोरा लेकर सीटों की मांग की हो, लेकिन बीजेपी ने जरा भी भाव नहीं दिया.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि चुनाव लड़ना किसी भी राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है. यूपी में ऐसे कई दल चुनाव लड़ रहे हैं. जेडीयू वहां बीजेपी के साथ चुनाव लड़ना चाहती थी. पार्टी को उम्मीद थी कि गठबंधन होने से वहां खाता खुल जाएगा, लेकिन दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनी. वे कहते हैं कि बीजेपी को शायद ऐसा लगा होगा कि जेडीयू को गठबंधन में लाने से फायदा नहीं होगा. इस वजह से बात नहीं बनी. वहीं, जेडीयू के समक्ष चुनौती अपने पिछले परफारमेंस को सुधारने की होगी.

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