पटनाः बिहार में 90 के दशक में जो राजनीति लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) ने शुरू की, उसे 'सामाजिक न्याय की राजनीति' का नाम दिया गया. लालू यादव ने अपने कार्यकाल में गरीबों और पिछड़ों को ऊपर उठाने और उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए कई ऐसे चौंकाने वाले राजनीतिक और सामाजिक फैसले लिए, जो आज भी लोगों के जेहन में है. उनको चाहने वाले लोग उन्हें 'गरीबों का मसीहा' बताते हैं. एक बार फिर अपने सियासी फैसले से लालू ने सबको चौंका दिया है. दरअसल, आरजेडी ने एक गरीब तबके से आने वाली अपनी कार्यकर्ता मुन्नी रजक (RJD MLC Candidate Munni Rajak) को एमएलसी चुनाव के लिए टिकट दिया है. जिसके बाद हर तरफ इसकी चर्चा होने लगी है. कुछ लोग तो इसके बाद गया की भगवती देवी को याद करने लगे. जिन्हें 1995 में लालू यादव ने बिहार विधानसभा भेजा था.
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रजक समाज की मुन्नी देवी को दिया टिकटः दरअसल, आरजेडी ने विधान परिषद चुनाव के लिए अपने 3 उम्मीदवारों में एक दलित महिला मुन्नी देवी को चुना है, जो काफी गरीब हैं. किसी तरह कपड़े धोकर इनका गुजारा चलता है. टिकट मिलने के बाद मुन्नी देवी ने आरजेडी सुप्रीमो और अन्य राजद नेताओं का अभार प्रकट किया. मुन्नी देवी ने कहा कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे एमएलसी टिकट मिलेगा. हमारे सुप्रीमो लालू यादव ने एक गरीब महिला का ख्याल रखा. मीडिया से बात करते हुए भावुक होकर मुन्नी देवी ने बताया कि किसी तरह आज भी कपड़ा धोकर अपना घर चलाते हैं. अब ये कहना गलत नहीं होगा कि 27 साल बाद लालू यादव ने एक बार फिर किसी दलित महिला को बिहार की राजनीति का हिस्सा बनाकर सामाजिक न्याय की अपनी विचारधारा को मजबूत किया है. वो भी उस समय जब बिहार की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है.
'मुझे घर से बुलाकर ले गए, हम तो डर गए थे, लेकिन इस कपड़ा धोने वाली को इतना बड़ा गिफ्ट दिया है, हम तो सपने में भी नहीं सोंचे थे कि विधान परिषद भेजा जाएगा. बधाई है हमारे सुप्रीमो लालू जी, राबड़ी मईया, तेजस्वी भईया और मीसा दीदी का जो हमको इतना सम्मान दिया. एक गरीब महिला का ख्याल रखा. मेरे पास मोबाइल भी नहीं था, अगल-बगल के मोबाइल पर फोन आया कि तुमको आना है. फिर मोबाइल भी दिया. किसी तरह हमारा परिवार चलता है, आज भी कपड़ा धोकर अपना घर चलाते हैं'- मुन्नी देवी, आरजेडी उम्मीदवार, विधान परिषद
भगवती देवी को विधानसभा से लोकसभा पहुंचायाः आपको याद दिला दें कि ठीक ऐसे ही 1995 में सीएम रहे लालू प्रसाद ने भगवती देवी को बुलाकर एमएलए का टिकट दिया था और वो विधायक बनीं, वो भी महादलित समाज से आती थीं और मजदूरी करती थीं. ठीक एक साल बाद जनता दल ने उन्हें गया से लोकसभा की जंग में भी उतार दिया और एमपी बनकर वो दिल्ली की संसद में पहुंच गईं. भगवती देवी हालांकि इससे पहले वो लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 1969 में बाराचट्टी से जीत कर विधानसभा में जा चुकी थीं, 1977 में एक बार फिर वो जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीतीं थी. लेकिन अस्सी के दशक में भगवती देवी राजनीति से दूर चलीं गईं, जिन्हें दोबारा लालू यादव ने 1995 में एमएलए का टिकट दिया. बाद में उनकी बेटी समता देवी भी आरजेडी के टिकट पर 1998 के उप चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बनीं.
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आधार वोट को साधने की कोशिशः आपको बता दें कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का फैसला एक बार फिर सुर्खियों में है. राज्यसभा की तरह विधान परिषद (एमएलसी) के लिए भी राजद ने सबसे पहले सोमवार को अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया. आरजेडी ने युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद कारी सोहैब, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव मुन्नी देवी और रोहतास के अशोक कुमार पांडेय को टिकट दिया. इस बार लालू ने एक कपड़ा धोने वाली मुन्नी देवी पर भी भरोसा जताया जो अचानक चर्चा में आ गई लेकिन इस चर्चा के साथ ही लालू यादव का विधान परिषद प्रत्याशियों के चयन के जरिए अपने आधार वोट को साधने की भी चर्चा है. वहीं, इस फैसले से आरजेडी ने ए टू जेड समीकरण को साधने की कोशिश की है.
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