पटना: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने जनरल काउंसिल की बैठक में कुछ अहम संकल्प पारित किया है. काउंसिल ने अपना संकल्प न्यूज रिपोर्ट, सोशल मीडिया व बिहार स्टेट बार काउंसिल में निबंधित दो अधिवक्ताओं की शिकायतों के आधार पर पारित किया है.
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काउंसिल ने इस कार्रवाई को काफी गंभीरता से लिया: गौरतलब है कि बिहार स्टेट बार काउंसिल ने अपने सदस्यों के चुनाव के सिलसिले में अधिसूचना जारी करते हुए नामांकन और चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है. काउंसिल ने इस कार्रवाई को काफी गंभीरता से लिया है और कहा है कि ऐसा नियमों का उल्लंघन करके किया गया है. इस तरह की कार्रवाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट के नियम 32 और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स, 2015 का उल्लंघन है.
रूल्स को विभिन्न हाईकोर्ट में चुनौती दी गई: उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में बीसीआई ने बीसीआई सर्टिफिकेट और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स 2015 अधिसूचित किया. स्टेट बार काउंसिल और बीसीआई के प्रयास से सर्टिफिकेट व प्लेस ऑफ प्रैक्टिस के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया की शुरुआत हुई. रूल्स को विभिन्न हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई.
सत्यापन के लिए कोई शुल्क नहीं: वकीलों के शैक्षणिक सर्टिफिकेट के सत्यापन के संबंध में अदालत ने 1 मार्च, 2017 को सभी विश्वविद्यालयों को आदेश देते हुए कहा है कि शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाए. सत्यापन की प्रक्रिया को मॉनिटर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया गया है. कमेटी द्वारा 8 अक्टूबर, 2023 को बुलाई गई अंतिम बैठक में सत्यापन संबंधी मामले को गंभीरता से लिया है.
अधिकांश वकीलों ने नहीं दिया आवेदन: ये देखा गया कि सिर्फ 41.48 फीसदी अधिवक्ताओं ने ही सत्यापन के लिए फॉर्म जमा किये हैं, अधिकांश वकीलों ने अभी तक आवेदन भी नहीं किया है. कमेटी ने अपने संकल्प में कहा यह भी कहा है कि कुछ राज्यों में सत्यापन की गति अपेक्षा के अनुरुप नहीं है.
सर्टिफिकेट का सत्यापन जरूरी: इन सब बातों को देखते हुए बीसीआई के सेक्रेटरी ने देशभर के स्टेट बार काउंसिल के सभी सचिव को अपने पत्र में कहा है कि यह किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं होगा कि सर्टिफिकेट के बगैर सत्यापन के ही ऐसे वकीलों को किसी भी राज्य के स्टेट बार काउंसिल के सदस्य के चुनाव की प्रक्रिया में भाग लेने, वोटर बनने या उम्मीदवार बनने की अनुमति दी जाए.
पूछा गया ये सवाल: काउंसिल के पात्र यह भी कहा गया है कि उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन समेत बिहार स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों नहीं बिहार स्टेट बार काउंसिल द्वारा जारी चुनाव संबंधी अधिसूचना को निरस्त/रद्द कर दिया जाए.
5 नवंबर तक स्पष्टीकरण: उल्लेखनीय है कि जब इस मामले पर काउंसिल द्वारा विचार किया जा रहा था, बीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने अपने को अलग रखा. इस एजेंडा के मामले में बीसीआई के उपाध्यक्ष ने अध्यक्षता की. इस आशय का स्पष्टीकरण शो-कॉज चेयरमैन/सदस्यों को आगामी 5 नवंबर तक देने को कहा गया है.
11 नवंबर को अंतिम निर्णय: शिकायतकर्ताओं ने अंतरिम राहत के तौर पर बिहार स्टेट बार काउंसिल चुनाव पर चुनाव संबंधी अधिसूचना के ऑपेरशन पर रोक लगाने के लिए भी आग्रह किया गया है. हालांकि, काउंसिल ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है और कहा कि इस आग्रह पर स्पष्टीकरण की प्राप्ति के बाद आगामी 11 नवंबर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के केन्द्रीय चुनाव प्राधिकरण के द्वारा अंतिम निर्णय लिया जायेगा.