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बिहार में बरगद और कुएं की हुई शादी, जानिए क्या है परंपरा - faith or superstition

इसे आस्था (Faith) कहे या अंधविश्वास (Superstition) पटना जिले में बरगद और कुएं की शादी कराई गई. निमडा गांव में पिछले 150 सालों से ये परंपरा निभाई जा रही है. आखिर क्या है इसकी वजह, पढ़ें रिपोर्ट.

पटना
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Published : Jun 19, 2021, 9:40 PM IST

पटना: बिहार के पटना में एक ऐसा गांव है जहां पर बारिश के दिनों में बरगद (Banyan) और कुएं (Well) को परिणय सूत्र में बांधा जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कुएं और बरगद के पेड़ को एक सूत्र में बांधकर उसकी शादी (Wedding) कराई जाती है.

ये भी पढ़ें- 61 साल के मरीज के पेट से निकला 2 Kg का ट्यूमर, AIIMS ने डॉक्टरों ने बचाई जान

शादी की अनोखी परंपरा
बताया जाता है कि कुआं इंद्र के सबसे करीब माना जाता है, वहीं बरगद जो लंबे समय तक जीने वाला वृक्ष है, ऐसे में दोनों की शादी करवा कर प्राकृतिक संतुलन बनाया जाता है. एक तरफ मानसून आने से हर तरफ बारिश का नजारा देखने को मिल रहा है. वहीं, एक ऐसी अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है.

बरगद और कुएं की शादी
बरगद और कुएं की शादी

क्या है परंपरा?
बरगद और कुएं की शादी की परंपरा तकरीबन 150 सालों से गांव में ये परंपरा आज तक निभाई जा रही है. पटना जिले के मसौड़ी अनुमंडल के नीमडा गांव में कुआं और बरगद के वृक्ष की शादी कराई जाती है. पूरे रस्मों रिवाज के तहत ये शादी कराई जाती है. सिंदूरदान से लेकर विदाई समारोह तक सभी रस्में इस शादी में निभाई जाती है.

150 साल पुरानी परंपरा
150 साल पुरानी परंपरा

''धार्मिक ग्रंथों में इस तरह की शादी का वर्णन है. तर्क की कसौटी पर भी इसके कई मायने हैं. बरगद पेड़ लंबे समय तक जीने वाला वृक्ष है. वहीं, कुआं प्रकृति की पटरानी है. महिलाएं वटवृक्ष के समक्ष पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. प्रकृति की पटरानी कुआं इंद्र के सबसे करीबी मानी जाती है. मान्यता ये भी है कि जब तक बरगद की शादी नहीं होती प्रकृति की यह दो पालनहार आपस में संतुलन नहीं बनाते हैं, तब तक प्रकृति का संतुलन नहीं बनता है.''- आचार्य अनुज पांडे

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शादी के साक्षी बनते हैं कई लोग
पिछले कई सालों से नीमडा गांव में पूरे विधि विधान से बरगद के पेड़ और कुआं की शादी कराई जाती है और शादी भी ऐसा कि जो लड़की और लड़का का पूरा विधि-विधान के साथ मटकोर और सिंदूरदान से लेकर पंचरत्न विवाह पद्धति के बीच संपन्न किया जाता है और सैकड़ों महिला-पुरुष इस इस विवाह के साक्षी बनते हैं. वट वृक्ष और कुआं की ये अनोखी शादी शायद ही कहीं देखने को मिलती है.

पटना: बिहार के पटना में एक ऐसा गांव है जहां पर बारिश के दिनों में बरगद (Banyan) और कुएं (Well) को परिणय सूत्र में बांधा जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कुएं और बरगद के पेड़ को एक सूत्र में बांधकर उसकी शादी (Wedding) कराई जाती है.

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शादी की अनोखी परंपरा
बताया जाता है कि कुआं इंद्र के सबसे करीब माना जाता है, वहीं बरगद जो लंबे समय तक जीने वाला वृक्ष है, ऐसे में दोनों की शादी करवा कर प्राकृतिक संतुलन बनाया जाता है. एक तरफ मानसून आने से हर तरफ बारिश का नजारा देखने को मिल रहा है. वहीं, एक ऐसी अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है.

बरगद और कुएं की शादी
बरगद और कुएं की शादी

क्या है परंपरा?
बरगद और कुएं की शादी की परंपरा तकरीबन 150 सालों से गांव में ये परंपरा आज तक निभाई जा रही है. पटना जिले के मसौड़ी अनुमंडल के नीमडा गांव में कुआं और बरगद के वृक्ष की शादी कराई जाती है. पूरे रस्मों रिवाज के तहत ये शादी कराई जाती है. सिंदूरदान से लेकर विदाई समारोह तक सभी रस्में इस शादी में निभाई जाती है.

150 साल पुरानी परंपरा
150 साल पुरानी परंपरा

''धार्मिक ग्रंथों में इस तरह की शादी का वर्णन है. तर्क की कसौटी पर भी इसके कई मायने हैं. बरगद पेड़ लंबे समय तक जीने वाला वृक्ष है. वहीं, कुआं प्रकृति की पटरानी है. महिलाएं वटवृक्ष के समक्ष पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. प्रकृति की पटरानी कुआं इंद्र के सबसे करीबी मानी जाती है. मान्यता ये भी है कि जब तक बरगद की शादी नहीं होती प्रकृति की यह दो पालनहार आपस में संतुलन नहीं बनाते हैं, तब तक प्रकृति का संतुलन नहीं बनता है.''- आचार्य अनुज पांडे

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शादी के साक्षी बनते हैं कई लोग
पिछले कई सालों से नीमडा गांव में पूरे विधि विधान से बरगद के पेड़ और कुआं की शादी कराई जाती है और शादी भी ऐसा कि जो लड़की और लड़का का पूरा विधि-विधान के साथ मटकोर और सिंदूरदान से लेकर पंचरत्न विवाह पद्धति के बीच संपन्न किया जाता है और सैकड़ों महिला-पुरुष इस इस विवाह के साक्षी बनते हैं. वट वृक्ष और कुआं की ये अनोखी शादी शायद ही कहीं देखने को मिलती है.

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