पटना : आज पूरे देशभर में दीपावली मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर ही पूरे देश में दीपावली मनाई जाती है. आज के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. आज के दिन शुभ मुहूर्त में ही लक्ष्मी माता की पूजा होती है. ऐसे में आज कब से कब तक लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त है और इस मुहूर्त में पूजन के क्या लाभ मिलेंगे. इस बारे में पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने विस्तृत जानकारी दी है.
प्रदोष काल में शुरू होगी पूजा : मनोज मिश्रा ने बताया कि आज दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है. दिवाली पर अमावस्या तिथि यानी आज दोपहर करीब 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगी. व्यापारियों के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5:30 से लेकर 7:35 तक है. इस समय में व्यापारियों को पूजा करने से व्यापार में बढ़ोतरी और तरक्की मिलेगी. प्रदोष लग्न 5:29 से लेकर 8:08 तक है. प्रदोष लग्न में सभी दुकानदार भाई पूजा करें.
"वहीं वृषभ लग्न में जो घर में लोग गणेश लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना चाहते हैं वो लोग शाम 5:39 से लेकर 7:35 तक पूजा करें. इससे माता लक्ष्मी और गणेश जी प्रसन्न होंगे. मध्य रात्रि की पूजा रात 12:12 मिनट से 2:30 तक सिंह लग्न में की जाएगी. दीपावली पर इस तरह का शुभ योग कई दशकों के बाद बना है. ऐसे में इस शुभ योग में दिवाली सभी के लिए सुख-समृद्धि और मंगलकामना साबित होगी."- आचार्य मनोज मिश्रा
पूजा के लिए जरूरी सामग्री : आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि घर में या दुकान में पूजा अर्चना करने के समय गणेश जी और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो को एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर स्थान दें. शुद्ध जल से स्नान कराकर अपने शरीर को भी जल से स्वच्छ करें. अक्षत लाल फूल, कमल और गुलाब के फूल माला, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन, माता लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पित करें.
पूजा करने की विधि : आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि दूब, पान का पत्ता, सुपारी, केसर, फल कमलगट्टा पीली कौड़ियां. धान का लावा, बताशा, मिठाई, खीर, मोदक, लड्डू, शहद, दूध, दही, तेल, लौंग, इलायची चढ़ाएं और इसके बाद आरती उतारे. माता रानी का मंत्र अगर याद हो तो कमलगट्टा के माला से 11 बार जपे, नहीं तो एक बार भी जाप कर पूजा की जा सकती है.
भगवान श्री राम के लौटने पर दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई : मनोज मिश्रा ने बताया कि दीपावली से पुरानी कथा भी जुड़ी हुई है. रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे, तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमग हो गई थी और भगवान राम को 14 वर्ष वनवास काटकर आने के उपलक्ष्य में दीपोत्सव का त्योहार मनाया गया था. उसी के बाद से यह दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. त्रेता युग से भी दीपावली त्योहार जुड़ा हुआ है.
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