पटना: पूर्व प्रधानंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का क्रांति की भूमि बिहार से गहरा लगाव था. अटल जी खुद को बिहारी कहा करते थे. अटल जी ने बिहार के गांवों के दर्द को समझा और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत की. इलाके के लोगों को राजधानी से जोड़ने के लिए जेपी सेतु पुल की आधारशिला रखी. इसके अलावा पटना में एक एम्स अटल जी के प्रयासों से ही स्थापित हो पाया.
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"अटल जी को हम लोगों ने भी बिहारी समझा और वह भी खुद को बिहारी कहते थे. अटल जी ने बिहार के विकास की खूब चिंता की. एक और जहां जेपी सेतु पुल दिया वहीं दूसरी तरफ एम्स की भी आधारशिला रखी. अटल जी के लिए बिहारी कहलानी गर्व की बात थी."- रत्नेश कुशवाहा, प्रदेश मंत्री, भाजपा
बक्सर से करते थे चुनाव अभियान की शुरुआतः संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने अटल बिहार वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी से समर्थन और सहयोग मांगा था. पटना में आंदोलन के दौरान जब जयप्रकाश नारायण की पिटाई हुई थी तब अटल जी उनसे मिलने गए थे. फिर जेपी के साथ बर्बरता के मसले को जोर शोर से उठाया था. अटल बिहारी खुद को बिहारी कहने में गुरेज नहीं करते थे. वे चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भगवान राम की कर्मभूमि बक्सर से करते थे. बक्सर के बाद ही अटल बिहारी का चुनाव अभियान शुरू होता था.
वाकपटुता से विरोधियों का भी दिल जीत लेते थे: अटल बिहारी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में थे. 1968 से 1973 तक अटल बिहारी बाजपेयी जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने राष्ट्रधर्म पंचजन्य वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. चार दशक तक भारत की राजनीति के केंद्र में रहने वाले अटल बिहारी बाजपेयी ने अपनी वाकपटुता से विरोधियों का भी दिल जीतने का काम किया. अटल बिहारी बाजपेयी 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए. दो बार उन्हें राज्यसभा जाने का अवसर मिला.
बिहार के विकास की थी चिंताः बिहार भाजपा के प्रदेश मंत्री रत्नेश कुशवाहा ने कहा कि अटल जी खुद को बिहारी कहते थे. अटल जी ने बिहार के विकास की खूब चिंता की एक और जहां जेपी सेतु पुल दिया वहीं दूसरी तरफ एम्स की भी आधारशिला रखी. राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि अटल बिहारी बाजपेयी को बिहार के लोगों का खूब समर्थन मिला. उन्हें इस बात का इल्म था कि बिहार के बगैर पार्टी मजबूत नहीं हो सकती. राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य बिहार को साधना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल था.