पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection In Bihar) की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और ओमीक्रोन के खतरे के बीच ज्योतिषाचार्य का मानना है कि, 29 जनवरी के बाद इसका असर कम होने लगेगा. ज्योतिष के जानकारों (astrology prediction for end of coronavirus in india) के अनुसार भले ही कोरोना इस साल देश दुनिया से मिटता नहीं दिख रहा है, लेकिन इसका असर अत्यंत सीमित होने की संभावना है.
हाल ही में मकर संक्रांति का त्योहार देशभर में संपन्न हुआ है. देश भर में इस त्योहार को कई नामों से मनाया जाता है. सनातन परंपरा के अनुसार माना जाता है कि, संक्रांति के बाद से साल बदलता है और पुराना साल खत्म होकर नए साल की शुरुआत होती है. ऐसे में संक्रांति के बाद नए वर्ष में प्रदेश में कोरोना संक्रमण में कमी आने की संभावना ज्योतिष के जानकार जता रहे हैं.
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पंडित प्रेम सागर पांडे ने बताया कि, अभी के समय में मकर राशि में सूर्य है और वहां शनि बैठे हुए हैं. मकर और कुंभ दोनों का स्वामी शनि है. 29 जनवरी को शनि वक्री होकर धनु राशि में चले जाएंगे. ऐसे में अगर कोरोना के दृष्टिकोण से देखा जाए तो, जब तक मकर राशि में सूर्य और शनि है, स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है. इस दौरान संक्रमण के मामले अभी बढ़ेंगे.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार संक्रमण की स्थिति अभी और भयावह होगी. 29 जनवरी के बाद जब शनि वक्री होकर धनु राशि में जाएंगे, स्थिति नियंत्रित होना शुरू होगी. 15 मार्च (end of coronavirus date is declared through astrology) को जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे तब बड़ा बदलाव होगा. उसके बाद संक्रमण की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में होगी. 15 मार्च तक प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के भी आसार दिख रहे हैं, जैसे- भूस्खलन, वज्रपात इत्यादि जिसमें जान माल का नुकसान होने की संभावना है.
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ज्योतिषाचार्य 29 जनवरी तक लोगों को पूर्ण सावधानी बरतने की नसीहत दे रहे हैं. उनका कहना है कि इस काल में हर राशि को सतर्क रहना होगा. लेकिन 29 जनवरी के बाद कोरोना संक्रमण कमजोर पड़ने लगेगा. साथ ही पंडित प्रेम सागर पांडे ने बताया कि, अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखे तो 29 जनवरी तक प्रदेश में सरकार के अंदर तल्खी बढ़ती हुई देखने को मिलेगी. हालांकि सरकार बदलने की संभावनाएं बिल्कुल ना के बराबर है. सरकार में बदलाव के आसार नहीं बन रहे हैं. 29 जनवरी तक मकर राशि में ही सूर्य और शनि दोनों हैं.
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वहीं जानकारों के अनुसार पूर्व में भी सन् 1918 में स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu) नाम से एक महामारी फैली थी. स्पेन से शुरु हुई इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे. उस समय इसका कारण गुरु-केतु का योग माना गया था. वहीं सन 2005 में H-5 N-1 नाम से एक बर्ड फ्लू (Bird Flu) फैला और इस समय में भी गोचर में गुरु-केतु का योग बना था. इसके अलावा 1991 में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस ऑस्ट्रेलिया में सामने आया, जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्विक स्तर पर बड़े नुकसान किए, उस समय भी गोचर में गुरु-केतु का योग बना हुआ था.
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