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मेडिकल की पढ़ाई के लिए एनिमल वर्चुअल डिसेक्शन टेबल का प्रयोग शुरू, छात्रों को मिलेगी मदद

शरीर रचना विभाग के प्रमुख डॉ. संजय कुमार भारती का कहना है कि भारत सरकार ने पढ़ाई के लिए मृत वन्य प्राणी के शरीर को उपयोग नहीं करने की एडवाइजरी जारी की है. इसकी वजह से विद्यार्थियों को पढ़ाने में दिक्कत हो रही थी. इस संयंत्र के आ जाने से स्टूडेंट्स को जानकारी देने में आसानी होती है.

एनिमल वर्चुअल टेबल दिखाते डॉ सर
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Published : Jul 26, 2019, 11:26 PM IST

पटना: बिहार में विश्वविद्यालयों को विश्व स्तर का बनाया जा रहा है. उसी क्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में एशिया का पहला एनिमल वर्चुअल डिसेक्सन टेबल लगाया गया है. यह संयंत्र शरीर के रचना विभाग में लगाया गया है. जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ाने में सहूलियत हो रही है. इस संयंत्र से 3D पिक्चर के माध्यम से सभी अंग साफ-साफ दिखाई देते हैं.

मृत पशुओं के अंग की कोई जरूरत नहीं
पशु क्रूरता अधिनियम आने के बाद स्टूडेंट को पढ़ाने में दिक्कत हो रही थी. ऐसे में वर्चुअल डिसेक्शन टेबल की महत्ता बढ़ गई है. इसके आ जाने से मृत जानवरों के अंगों को प्रयोगशाला में रखने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. संयंत्र के आ जाने से अब मृत पशु के अंग का उपयोग पढ़ाई करने में नहीं लाया जाता है. शरीर रचना विभाग के प्राध्यापक यह मानते हैं कि अब स्लॉटर हाउस से मृत पशुओं के अंग को पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में लाने की कोई जरूरत नहीं है.

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

यह गर्व की बात है
निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा प्रयोग है. आपको बता दें कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पशु चिकित्सा के अध्ययन के लिए बिहार का एकमात्र संस्थान है. इस संस्थान से अधिकांश पशु चिकित्सक बिहार में पशुपालन कार्य को आगे बढ़ाने में किसानों की सहायता करते हैं. ऐसे में अगर पढ़ाई के लिए नए संयंत्र लगाए गए हैं, तो बिहार के लिए गर्व की बात है. छात्रों की सुविधा के लिए यह एक अनोखी पहल है. अब वह दिन दूर नहीं कि प्रैक्टिकल के लिए पशु अंग स्लॉटर हाउस से लाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी.

पटना: बिहार में विश्वविद्यालयों को विश्व स्तर का बनाया जा रहा है. उसी क्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में एशिया का पहला एनिमल वर्चुअल डिसेक्सन टेबल लगाया गया है. यह संयंत्र शरीर के रचना विभाग में लगाया गया है. जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ाने में सहूलियत हो रही है. इस संयंत्र से 3D पिक्चर के माध्यम से सभी अंग साफ-साफ दिखाई देते हैं.

मृत पशुओं के अंग की कोई जरूरत नहीं
पशु क्रूरता अधिनियम आने के बाद स्टूडेंट को पढ़ाने में दिक्कत हो रही थी. ऐसे में वर्चुअल डिसेक्शन टेबल की महत्ता बढ़ गई है. इसके आ जाने से मृत जानवरों के अंगों को प्रयोगशाला में रखने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. संयंत्र के आ जाने से अब मृत पशु के अंग का उपयोग पढ़ाई करने में नहीं लाया जाता है. शरीर रचना विभाग के प्राध्यापक यह मानते हैं कि अब स्लॉटर हाउस से मृत पशुओं के अंग को पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में लाने की कोई जरूरत नहीं है.

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

यह गर्व की बात है
निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा प्रयोग है. आपको बता दें कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पशु चिकित्सा के अध्ययन के लिए बिहार का एकमात्र संस्थान है. इस संस्थान से अधिकांश पशु चिकित्सक बिहार में पशुपालन कार्य को आगे बढ़ाने में किसानों की सहायता करते हैं. ऐसे में अगर पढ़ाई के लिए नए संयंत्र लगाए गए हैं, तो बिहार के लिए गर्व की बात है. छात्रों की सुविधा के लिए यह एक अनोखी पहल है. अब वह दिन दूर नहीं कि प्रैक्टिकल के लिए पशु अंग स्लॉटर हाउस से लाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी.

Intro:एंकर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में एशिया का पहला एनिमल वर्चुअल डिसेक्सन टेबल लगाया गया है शरीर रचना विभाग में यह संयंत्र लगाया गया है जिससे विद्यार्थियों को पढ़ाने में सहूलियत हो रही है शरीर रचना विभाग के प्रमुख डॉ संजय कुमार भारती का कहना है कि हाल ही में भारत सरकार ने पढ़ाई के लिए मृत वन्य प्राणी के शरीर को उपयोग नहीं करने की एडवाइजरी जारी किया है इसके बाद विद्यार्थियों को पढ़ाने में दिक्कत हो रही थी लेकिन यह संयंत्र आ जाने से विद्यार्थियों को पशु के अंग के बारे में जानकारी देने में आसानी होती है यह सही है और इससे आसानी से पशु के अंगों के बारे में बताया जा सकता है बिहार के लिए यह गर्व की बात है कि एशिया में सबसे पहला विश्वविद्यालय बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बना यहां इसके उपयोग से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है


Body:पशु क्रूरता अधिनियम के आने के बाद स्टूडेंट को पढ़ाने में दिक्कत हो रही थी लेकिन ऐसे समय में वर्चुअल डिसेक्शन टेबल की महत्ता बढ़ गई है इसके आ जाने के बाद मृत जानवरों के अंगों को प्रयोगशाला में रखने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी 3D पिक्चर के माध्यम से सभी अंग साफ साफ दिखाई देते हैं और विद्यार्थी इसे आसानी से समझ भी लेते हैं इस यंत्र के द्वारा विभिन्न पशु के अंग को साफ साफ दिखाया जाता है और उसके आने के बाद अब मृत पशु के अंग का उपयोग कर पढ़ाई करने की व्यवस्था भी बंद हो जाएगी शरीर रचना विभाग के प्राध्यापक यह मानते हैं कि अब स्लॉटर हाउस से मृत पशुओं के अंग को पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में लाने की कोई जरूरत नहीं है


Conclusion:निश्चित तौर पर यह एक बहुत बड़ा प्रयोग है और कहीं ना कहीं पशु अंग को उपलब्ध कर जो लैबोरेट्री में पहले रखे जाते थे उसकी अवगत भी ऐसे विश्वविद्यालय को नहीं पड़ेगी जहां पशु विज्ञान की पढ़ाई की जाती है आपको बता दें कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पशु चिकित्सा के अध्ययन के लिए बिहार का एकमात्र संस्थान है और इस संस्थान से अधिकांश पशु चिकित्सक की बिहार में पशुपालन कार्य को आगे बढ़ाने में किसानों की सहायता करते रहे ऐसे में अगर पढ़ाई के लिए नए संयंत्र लगाए गए हैं तो बिहार के लिए गर्व की बात है छात्रों की सुविधा का भी अनोखी पहल है अब वह दिन दूर नहीं कि प्रैक्टिकल के लिए पशु अंग स्लॉटर हाउस से लाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी
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