बाढ़: प्रदेश भर में छठ की तैयारियां अंतिम चरण चरण पर हैं. बाढ़ के कचहरी स्थित सीढ़ी घाट में छठ पूजा की तैयारियां तेज हो गई हैं. छठ माता की प्रतिमाओं का निर्माण अंतिम चरण में है. कारीगरों के हाथ तेजी से चल रहे हैं. प्रतिमाओं को अंतिम आकर्षक रूप देने में कारीगर जुटे हुए है.
![प्रतिमाओं को अंतिम रूप देता कलाकार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4937618_2.jpg)
1983 से हो रही है पूजा
इस बाबत पूजा समिति के सचिव धीरज कुमार का कहना है कि यहां पर 1983 से ही अनवरत रूप से भगवान सूर्यनारायण की पूजा-अर्चना होते आ रही है. पूजा की तैयारी विगत माह से ही चल रही है. यह पूजा पंडाल शहर का एकमात्र सबसे चर्चित पूजा पंडाल है. यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है. आज भगवान भास्कर की विधिवत पूजा अर्चना के बाद दर्शकों के लिए पट खोल दिए जाएंगे.
आज दिया जाएगा पहला अर्ध्य
आज छठ पर्व पर पहला अर्घ्य दिया जाएगा. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय गंगा जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्हीं को दिया जाता है. संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं.
![बाढ़ पूजा पंडाल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4937618_1.jpg)
गंगा से जुड़ा है छठी मईया का नाम
बताया जाता है कि गंगा ने एक छह स्कंद वाले पुत्र को जन्म दिया. उसके बाद गंगा ने उसे सरकंडा के वन में छोड़ दिया. उस वन में छह कृतिकाएं रहती थीं, उन्होंने बालक का पालन-पोषण की. ये कृतिकाएं षष्टी माता कहलाई. इन्हीं कृतिकाओं के नाम पर कार्तिक मास का नाम पड़ा. कृतिकाओं को गंगा के पुत्र षष्टी तिथि को मिला था. इसलिए इस व्रत में छठी मईया का जिक्र आता है.
हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है छठ
बता दें कि पूरे प्रदेश में लोक आस्था का पर्व धूमधाम से मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में इसे सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इसमें व्रती चार दिनों को व्रत रहते हैं. वहीं, मिथिला पांचांग के अनुसार इस बार षष्ठी को अपराह्न 5:30 में सूर्यास्त होगा. उसके पहले सायंकालीन अर्घ्य दे देना है. जबकि सप्तमी को पूर्वाह्न 6:32 में सूर्योदय होगा. उसी समय प्रातःकालीन अर्घ्य देना है.