पटना: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर पटना जिला प्रशासन ने विशेष तैयारी की है. गंगा के डेंजर लेबल को देखते हुए ये फैसला लिया गया है कि शहर के 28 पार्को में छठ व्रतियों के लिए अर्घ्य देने की व्यवस्था की है. इस मामले की जानकारी देते हुए पटना जिला प्रशासन ने बताया इस वर्ष गंगा के जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है. ऐसे में वहां छठा मनाने और अर्घ्य देने में सावधानी बरतने की जरूरत है. लिहाजा एहतियातन पटना के अंदर 28 पार्को में छठ व्रतियों को अर्घ्य देने की व्यवस्था (Arrangement of offering Arghya in Patna) की जा रही है.
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इन 28 पार्को में अर्घ्य देने की व्यवस्था: जिन पार्कों में अर्घ्य देने की व्यवस्था की जा रही है, उनमें पटना का पुनाइचाक पार्क, शिवाजी पार्क रेंटल फ्लैट पार्क 34, राम सुंदर दास पार्क, शहीद किशोर कुणाल पार्क, के सेक्टर पार्क, जनता फ्लैट पार्क, जी 22 पार्क, डॉक्टर कॉलोनी जी 9 पार्क, डिफेंस कॉलोनी पार्क, बी हाउस पार्क, एमआइजी पार्क बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी पार्क, वीकर सेक्शन पार्क, मुन्ना पाठक जे सेक्टर पार्क, ग्रीन पार्क भवर पोखर पार्क, राजेंद्र नगर पार्क, श्री कृष्णा नगर पार्क, सीआईडी कॉलोनी पार्क, बैंक ऑफ इंडिया पार्क, पुलिस कॉलोनी पार्क, पुलिस कॉलोनी सेक्टर डी पार्क, शिवपुरी पार्क, मैकडॉवेल गोलंबर पार्क, एजी कॉलोनी पार्क और पेंशनर भवन पार्क शामिल हैं.
दरअसल गंगा का जलस्तर रविवार को खतरे के निशान से 31 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा था और इसको देखते हुए पटना के गंगा घाटों पर जाने वाली सड़क को के चौड़ीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर जाने के लिए 6 मीटर चौड़ी सड़क बनाई गई है. इस सड़क के जरिए छठ व्रती और श्रद्धालु कारगिल चौक से कलेक्ट्रेट घाट तक पहुंच सकते हैं. हालांकि इस घाट पर भी अभी गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ नजर आ रहा है.
कब है छठ पूजा?: दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा का महापर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है. इस बार छठ पूजा 30 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी. 30 अक्टूबर रविवार का दिन है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाते हैं. यह पर्व पूरे चार दिनों तक बेहद धूमधाम से लोग मनाते हैं. पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. उसके बाद खरना होता है और फिर तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर आखिरी दिन सुबह को लोग सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन करते हैं.