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पटना: हड़ताली ANM और फार्मासिस्ट को नहीं मिली धरना-प्रदर्शन की अनुमति

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की एएनएम और फार्मासिस्ट मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 29 जून से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. बुधवार को आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट का एक प्रतिनिधि मंडल धरना-प्रदर्शन की अनुमति मांगने जिला नियंत्रण कक्ष पहुंचे.

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Published : Jul 1, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 9:08 PM IST

पटना: देश में आज डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है. वहीं राज्य में सरकार के रवैये से कई स्वास्थ्य कर्मी नाराज चल रहे हैं. राज्य की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की एएनएम और फार्मासिस्ट मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 29 जून से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. वहीं हड़ताल के 3 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से इनसे वार्ता को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं की गयी. बुधवार को आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट का एक प्रतिनिधि मंडल धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगने जिला नियंत्रण कक्ष पहुंचे.

नहीं मिली धरना करने की अनुमति
बता दें कि राज्य में 1500 आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट हैं. इसमें 550 की संख्या में फार्मासिस्ट हैं और अन्य एएनएम हैं. बुधवार को आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट का एक प्रतिनिधि मंडल धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगने जिला नियंत्रण कक्ष पहुंचा. जहां उन्हें बताया गया कि अनलॉक-टू में 31 जुलाई तक किसी प्रकार के धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. इस कारण उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी.

देखें रिपोर्ट

मिले उचित मानदेय
अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव राजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि आरबीएसके के फार्मासिस्ट एएनएम और आयुष चिकित्सकों कि एक साथ बहाली हुई थी. इसमें आयुष चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाकर एलोपैथ के बराबर कर दिया गया. मगर उन लोगों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में फार्मासिस्ट का मानदेय 37,000 और एएनएम का 35,000 है. उनकी मांग है कि उन्हें उनका उचित मानदेय दिया जाए. बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की एएनएम का वेतन 10,500 और फार्मासिस्ट का 11,000 रुपया है.

एएनएम -फार्मासिस्ट सरकार से उपेक्षित
बिहार आरबीएसके एएनएम संघ की उपाध्यक्ष जूली कुमारी ने बताया कि कोरोनावायरस काल में उन्होंने कोरोना वॉरियर्स के रुप में काम किया हैं. संकट की घड़ी में लोगों के घर-घर जाकर सरकार की योजनाओं को पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि उनके साथ ही जिन आयुष चिकित्सकों की बहाली हुई थी, उनका मानदेय बढ़ाकर 44 हजार के करीब कर दिया गया. लेकिन एएनएम और फार्मासिस्ट को सरकार ने उपेक्षित कर दिया है.

मिले समान काम के लिए समान वेतन
उन्होंने कहा कि राज्य में एएनएम के लिए 35,000 रूपया मानदेय निर्धारित है. जबकि उन्हें मात्र 10,500 रुपये ही मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए. इन्हीं मांगों को लेकर वे हड़ताल पर है. जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी, वे हड़ताल नहीं तोड़ेंगें.

मांग पूरी होने तक करेंगे हड़ताल
वहीं बिहार आरबीएसके एएनएम संघ की महासचिव उषा कुमारी ने बताया कि वह समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं और इन्हीं मांगों को लेकर गर्दनीबाग में धरना-प्रदर्शन करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि धरना-प्रदर्शन के लिए जिला नियंत्रण कक्ष में अनुमति लेने पहुंची तो उन्हें बताया गया कि 31 जुलाई तक राज्य में किसी प्रकार के धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य समिति की एएनएम और फार्मासिस्ट तबतक हड़ताल पर रहेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है.

पटना: देश में आज डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है. वहीं राज्य में सरकार के रवैये से कई स्वास्थ्य कर्मी नाराज चल रहे हैं. राज्य की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की एएनएम और फार्मासिस्ट मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 29 जून से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. वहीं हड़ताल के 3 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से इनसे वार्ता को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं की गयी. बुधवार को आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट का एक प्रतिनिधि मंडल धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगने जिला नियंत्रण कक्ष पहुंचे.

नहीं मिली धरना करने की अनुमति
बता दें कि राज्य में 1500 आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट हैं. इसमें 550 की संख्या में फार्मासिस्ट हैं और अन्य एएनएम हैं. बुधवार को आरबीएसके के एएनएम और फार्मासिस्ट का एक प्रतिनिधि मंडल धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगने जिला नियंत्रण कक्ष पहुंचा. जहां उन्हें बताया गया कि अनलॉक-टू में 31 जुलाई तक किसी प्रकार के धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. इस कारण उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी.

देखें रिपोर्ट

मिले उचित मानदेय
अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव राजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि आरबीएसके के फार्मासिस्ट एएनएम और आयुष चिकित्सकों कि एक साथ बहाली हुई थी. इसमें आयुष चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाकर एलोपैथ के बराबर कर दिया गया. मगर उन लोगों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में फार्मासिस्ट का मानदेय 37,000 और एएनएम का 35,000 है. उनकी मांग है कि उन्हें उनका उचित मानदेय दिया जाए. बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की एएनएम का वेतन 10,500 और फार्मासिस्ट का 11,000 रुपया है.

एएनएम -फार्मासिस्ट सरकार से उपेक्षित
बिहार आरबीएसके एएनएम संघ की उपाध्यक्ष जूली कुमारी ने बताया कि कोरोनावायरस काल में उन्होंने कोरोना वॉरियर्स के रुप में काम किया हैं. संकट की घड़ी में लोगों के घर-घर जाकर सरकार की योजनाओं को पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि उनके साथ ही जिन आयुष चिकित्सकों की बहाली हुई थी, उनका मानदेय बढ़ाकर 44 हजार के करीब कर दिया गया. लेकिन एएनएम और फार्मासिस्ट को सरकार ने उपेक्षित कर दिया है.

मिले समान काम के लिए समान वेतन
उन्होंने कहा कि राज्य में एएनएम के लिए 35,000 रूपया मानदेय निर्धारित है. जबकि उन्हें मात्र 10,500 रुपये ही मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग है कि समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए. इन्हीं मांगों को लेकर वे हड़ताल पर है. जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी, वे हड़ताल नहीं तोड़ेंगें.

मांग पूरी होने तक करेंगे हड़ताल
वहीं बिहार आरबीएसके एएनएम संघ की महासचिव उषा कुमारी ने बताया कि वह समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं और इन्हीं मांगों को लेकर गर्दनीबाग में धरना-प्रदर्शन करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि धरना-प्रदर्शन के लिए जिला नियंत्रण कक्ष में अनुमति लेने पहुंची तो उन्हें बताया गया कि 31 जुलाई तक राज्य में किसी प्रकार के धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य समिति की एएनएम और फार्मासिस्ट तबतक हड़ताल पर रहेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है.

Last Updated : Jul 18, 2020, 9:08 PM IST
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