पटना: अमित शाह के दौरे (Amit Shah Bihar visit) के बाद बिहार का सियासी तापमान चढ़ गया है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि अमित शाह ने अपनी सभा में बिहार के लिए अपमान जनक भाषा का इस्तेमाल किया है. उस सभा में उन्होंने बिहार की सरकार को दंगाइयों की सरकार कहा. उन्होंने यह भी कहा कि लोग मारे जा रहे हैं, जबकि बिहार सरकार की ओर से बताया गया कि सासाराम और बिहार शरीफ़ में एक एक व्यक्ति की मौत हुई है. बिहार सरकार का मानना है कि दोनों जगहों का गंभीर साज़िश का परिणाम है.
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"देश के गृहमंत्री ने बिहार के हालात की जानकारी के लिए मुख्यमंत्री से बात नहीं की बल्कि राज्यपाल से हालत का जायजा लिया. गृहमंत्री भूल गए कि बिहार में भी एक सरकार है. हमारे देश में शासन का संघीय ढांचा, संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों की स्पष्ट सूची बनी हुई है. उनको याद रखना चाहिए था कि जैसे दिल्ली में नरेंद्र मोदी की सरकार है उसी प्रकार बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है"- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजद
सरकार बना पाना मुमकिन नहीं: शिवानंद तिवारी ने कहा कि भाजपा बिहार को लेकर डरी हुई है. वह 2015 भूल नहीं पा रही है. उस समय भी लालू-नीतीश का गठबंधन बना था. नतीजा हुआ कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह बिहार की गली गली का ख़ाक छानते रहे, लेकिन दो तिहाई बहुमत से बिहार में उस गठबंधन की सरकार बनी थी. इस मर्तबा इस गठबंधन में वाम पार्टियां भी जुड़ गई हैं. लोकसभा के अगले चुनाव में नरेंद्र मोदी की सरकार देश में बन पायेगी या नहीं यह बिहार से तय होने वाला है. बिहार का मौजूदा महा गठबंधन लोकसभा के पिछले नतीजा को उलट देने वाली स्थिति में दिखाई दे रहा है. भाजपा को डर है कि ऐसा हो गया तो देश में अगली सरकार उनके लिए बना पाना मुमकिन नहीं हो पाएगा. अमित शाह की भाषा पर इसी डर का प्रभाव दिखाई दे रहा था.
बिहार ने बीजेपी को सबक सिखाया थाः बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव एवं एजाज़ अहमद ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी करते हुए भाजपा नेता सह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को याद दिलाया कि 2015 में महागठबंधन ने जिस तरह से भाजपा को परास्त किया था, शायद वह भूल रहे हैं. अगर उन्हें यह बात याद रहती तो वह 2024 की बात नहीं कहे होते. उन्हें भी पता है कि 2024 में वह सत्ता में वापस नहीं आने वाले हैं. देश की जनता बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती गरीबी, अदानी और अंबानी के साथ वाली यारी सहित भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से तंग आ चुकी है और अब बदलाव चाहती है. परिवर्तन का मन बना चुकी है.
भीड़ नहीं होने के कारण बौखलाहटः इन प्रवक्ताओं ने आगे कहा कि भाजपा के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण में भीड़ नहीं होने के कारण बौखलाहट है. उससे स्पष्ट होता है कि भाजपा को जनता और जनता के मुद्दों से मतलब नहीं है. उन्हें सिर्फ लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ प्रलाप करने में ही रहा. एक बार भी बिहार की जनता को अमित शाह ने यह नहीं बताया कि वह विशेष राज्य का दर्जा कब देने जा रहे हैं ? विशेष पैकेज और बिहार के विकास के लिए केंद्रीय योजनाओं में बिहार का हिस्सा कब देंगे, और बिहार के साथ जो सौतेलेपन का व्यवहार हो रहा है उसे समाप्त करने की दिशा में वह कौन सा कदम उठाने जा रहे हैं?
कागजी शेर के सहारे : इनका यह भी कहना था कि बिहार में कागजी शेर के सहारे बेड़ा पार करने का जो सपना देख रहे हैं, वह मुगालते में हैं. शायद उनको पता नहीं है कि उनके पास अपना एक नेतृत्वकर्ता भी नहीं है. जो दूसरे दल का सहारा लेकर के अपने पार्टी का अध्यक्ष बनाने का काम करते हैं, उस पर अमित शाह इतरा रहे हैं. बिहार में वैसे लोगों को जनता हमेशा नकारती रही है जो जनता के लिए कुछ सोच नहीं रखते हो. यह बिहार है और यहां पर उन्माद और उन्मादी तत्वों को न पहले पनपने का मौका दिया गया है और न आगे मौका दिया जाएगा. जो भी इस तरह के मामलों में लिप्त रहे हैं, उनको अंतिम मुकाम तक पाताल से भी ढूंढकर पहुंचाने का काम किया जाएगा. दंगा के मामले में किसकी संलिप्तता रही है, यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है.