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आप पटना में सांस नहीं जहर खींच रहे हैं, राजधानी की आब-ओ-हवा प्रदूषित

पटनावासियों के सामने कोरोना के अलावा एक और विकराल समस्या मुंह बाये खड़ी है. पटना की हवा अब सांस लेने लायक नहीं बची है. अगर आप पटना में सांस ले रहे हैं तो समझिए कि आप दोमघोटू हवा को भीतर खींच रहे हैं. जहरीली हवा सांस के जरिए शरीर के ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचा रही है.

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Published : Apr 12, 2021, 5:07 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 6:19 PM IST

पटना: बिहार के शहरों में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या बन चुकी है. राजधानी पटना(Patna) का हाल तो और भी बुरा है. लगातार बढ़ रहे तापमान के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को जहां सरकार रोकने में विफल दिख रही है, वहीं इसका बुरा असर लोगों के सेहत पर भी पड़ रहा है.

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यह भी पढ़ें- पटना: CM की अध्यक्षता में बिहार विकास मिशन की बैठक, कई योजनाओं पर की गई समीक्षा

पटना में बढ़ता एयर पॉल्यूशन
पटना की हवा दमघोंटू हो गई है. प्रदूषित हवा के चलते लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां हो रही है. बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई कारण है. सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वे नाकाफी साबित हो रहे हैं.

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वाहनों के अत्यधिक दबाव से बढ़ा प्रदूषण
राजधानी पटना में वर्ष 2019 के आंकड़े के अनुसार 13 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं जिसमे 10 लाख से ज्यादा छोटे बड़े वाहन का परिचालन अभी भी पटना के सड़कों पर होता है. जिसमें से अधिकांश डीजल और पेट्रोल से चलते हैं.

सीएनजी का नहीं हो रहा इस्तेमाल
वैसे इस समय पटना में चलने वाले 50 हजार ऑटो में 13 हजार ऑटो ऐसे जरूर हैं, जो बैटरी से चल रहे हैं. सरकार की घोषणा के बाद भी राजधानी में चलने वाले ऑटो को अभी तक सीएनजी में परिवर्तित नहीं किया गया है. जबकि सरकार ने मार्च 2021 तक राजधानी पटना में सीएनजी या बैटरी चलित ऑटो को ही सड़कों पर चलाने की बात कही थी.

इस हवा में सांस लेना दूभर
12 अप्रैल 2021 दोपहर 12 बजे तक के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद चिंताजनक हैं. मुरादपुर, पटना- BSPCB का एक्यूआई सबसे ज्यादा 318 रहा जबकि डीआएम ऑफिस दानापुर का इंडेक्स 162 रहा. वहीं आईजीएससी पेलैनेटोरियम कॉम्पलेक्स का 221 रहा. ऐसी हवा में सांस लेना लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है.

गंगा की धारा का दूर होना बड़ा कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की रिपोर्ट के अनुसार पटना की वायु गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने का बड़ा कारण गंगा की धारा का शहर से दूर होना है. दीघा से काली घाट तक शहर के किनारे चार किलोमीटर तक बालू ही बालू निकल आया है. हिमालय (Himalaya) से आने वाली हवा गंगा के बालू को साथ लेकर शहर की ओर आती है. इसका कोई उपाय नहीं निकल सका है. पटना शहरी क्षेत्र में बालू खनन (Sand Mining) तो जरूर बंद हुआ है, लेकिन इसका खुले में परिवहन (Transportation)जारी है.

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)

'पिछले दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो लगातार एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट आ रहा है और सड़क पर अभी भी धुंआ उड़ाती गाड़ियां नजर आती है. सबसे बड़ी समस्या सड़क पर डीजल-पेट्रोल से चलनेवाली गाड़ियां हैं. साथ ही राजधानी पटना में पेड़ पौधों की कमी भी है. अन्य शहरों की तरह पटना में भी ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक या सीएनजी वाहन सड़क पर होने चाहिए.'- विद्यार्थी विकास, एक्सपर्ट

बिल्डिंग निर्माण के समय नियमों की अनदेखी
जब भी कोई कंस्ट्रक्शन का काम किया जाता है तो उसके कुछ नियम होते हैं. जिनका पटना में बिल्कुल पालन नहीं किया जाता. अगर कोई बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है तो उसके चारों तरफ उसकी स्क्रीनिंग करनी पड़ती है यानी उसके चारों ओर बैरिकेडिंग करनी पड़ती है. ताकि निर्माण के समय धूल कण ना उड़े लेकिन इसका पालन कोई नहीं करता. और अगर कोई करता भी है तो नाम मात्र के लिए. कुछ दिन निर्माणाधिन इमारत के चारों ओर हरे रंग का कवर लगा दिया लेकिन उसके फटने के बाद ध्यान नहीं दिया जाता.

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बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण शहर में चल रहे गाड़ियों से ही हो रहा है. साथ ही शहर में चल रहे सड़क या भवन निर्माण कार्य से उड़ने वाले धूल कण हवा में मिल रहे हैं जो वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. हमलोग वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय कर रहे है. भवन निर्माण या सड़क निर्माण करने वाले लोगों को हिदायत दे रखा है कि काम करें लेकिन सामान को ढंक कर रखें. साथ ही शहर में अंगीठी जलाकर लोग धुंआ नहीं फैलाये.- अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

ये हैं वायु प्रदूषण की तीन प्रमुख वजहें

  1. शहर के उत्तरी हिस्से में औसत तीन किलोमीटर तक गंगा के किनारे की रेत
  2. शहरी क्षेत्र में निर्माण एवं विध्वंस कार्यस्थल पर पानी का छिड़काव नहीं
  3. राजधानी की सड़कों पर वाहनों का अत्यधिक दबाव, ट्रैफिक जाम (Traffic jam) की समस्या
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    वाहनों के अत्यधिक दबाव से बढ़ा प्रदूषण

धुआं बड़ी परेशानी
पटना में वायु प्रदूषण जांच केंद्र की कमी नही है. सभी पेट्रोल पंप में यह सुविधा उपलब्ध है. समय समय पर उसके मशीन को चेक भी किया जाता है. आपको बता दें कि केवल पटना में 65 वायु प्रदूषण केंद्र हैं जहां वाहन का प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट दिया जाता है. पटना शहर में प्रशासन द्वारा समय-समय पर गाड़ियों का प्रदूषण जांच भी किया जाता है. बावजूद इसके सड़कों पर धुआं उड़ाती गाड़ियां अभी भी नजर आती हैं.

यह भी पढ़ें- पटना में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, 373 पर पहुंचा एयर क्वालिटी इंडेक्स

प्रदूषण से बचाव के लिए क्या करें?
प्रदूषण से बचने के लिए घरों के अंदर ही रहें. काम पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें. सांस लेने में दिक्कत होने, चक्कर आने, आंख में समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें. फेफड़े या हृदय रोगियों को अपनी दवा उपलब्ध रखनी चाहिए. अगर मास्क इस्तेमाल करते हैं तो एन-95 सर्टिफाइड मास्क का ही इस्तेमाल करें. खाना बनाने या गर्म करने के लिए धुआं रहित गैस या बिजली का ही उपयोग करें.

यह भी पढ़ें- डार्क रेड जोन में पहुंचा नोएडा और ग्रेटर नोएडा, AQI 500 के करीब

पटना: बिहार के शहरों में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या बन चुकी है. राजधानी पटना(Patna) का हाल तो और भी बुरा है. लगातार बढ़ रहे तापमान के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है. बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को जहां सरकार रोकने में विफल दिख रही है, वहीं इसका बुरा असर लोगों के सेहत पर भी पड़ रहा है.

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यह भी पढ़ें- पटना: CM की अध्यक्षता में बिहार विकास मिशन की बैठक, कई योजनाओं पर की गई समीक्षा

पटना में बढ़ता एयर पॉल्यूशन
पटना की हवा दमघोंटू हो गई है. प्रदूषित हवा के चलते लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां हो रही है. बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई कारण है. सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं वे नाकाफी साबित हो रहे हैं.

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वाहनों के अत्यधिक दबाव से बढ़ा प्रदूषण
राजधानी पटना में वर्ष 2019 के आंकड़े के अनुसार 13 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं जिसमे 10 लाख से ज्यादा छोटे बड़े वाहन का परिचालन अभी भी पटना के सड़कों पर होता है. जिसमें से अधिकांश डीजल और पेट्रोल से चलते हैं.

सीएनजी का नहीं हो रहा इस्तेमाल
वैसे इस समय पटना में चलने वाले 50 हजार ऑटो में 13 हजार ऑटो ऐसे जरूर हैं, जो बैटरी से चल रहे हैं. सरकार की घोषणा के बाद भी राजधानी में चलने वाले ऑटो को अभी तक सीएनजी में परिवर्तित नहीं किया गया है. जबकि सरकार ने मार्च 2021 तक राजधानी पटना में सीएनजी या बैटरी चलित ऑटो को ही सड़कों पर चलाने की बात कही थी.

इस हवा में सांस लेना दूभर
12 अप्रैल 2021 दोपहर 12 बजे तक के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद चिंताजनक हैं. मुरादपुर, पटना- BSPCB का एक्यूआई सबसे ज्यादा 318 रहा जबकि डीआएम ऑफिस दानापुर का इंडेक्स 162 रहा. वहीं आईजीएससी पेलैनेटोरियम कॉम्पलेक्स का 221 रहा. ऐसी हवा में सांस लेना लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है.

गंगा की धारा का दूर होना बड़ा कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की रिपोर्ट के अनुसार पटना की वायु गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने का बड़ा कारण गंगा की धारा का शहर से दूर होना है. दीघा से काली घाट तक शहर के किनारे चार किलोमीटर तक बालू ही बालू निकल आया है. हिमालय (Himalaya) से आने वाली हवा गंगा के बालू को साथ लेकर शहर की ओर आती है. इसका कोई उपाय नहीं निकल सका है. पटना शहरी क्षेत्र में बालू खनन (Sand Mining) तो जरूर बंद हुआ है, लेकिन इसका खुले में परिवहन (Transportation)जारी है.

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एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)

'पिछले दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो लगातार एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट आ रहा है और सड़क पर अभी भी धुंआ उड़ाती गाड़ियां नजर आती है. सबसे बड़ी समस्या सड़क पर डीजल-पेट्रोल से चलनेवाली गाड़ियां हैं. साथ ही राजधानी पटना में पेड़ पौधों की कमी भी है. अन्य शहरों की तरह पटना में भी ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक या सीएनजी वाहन सड़क पर होने चाहिए.'- विद्यार्थी विकास, एक्सपर्ट

बिल्डिंग निर्माण के समय नियमों की अनदेखी
जब भी कोई कंस्ट्रक्शन का काम किया जाता है तो उसके कुछ नियम होते हैं. जिनका पटना में बिल्कुल पालन नहीं किया जाता. अगर कोई बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है तो उसके चारों तरफ उसकी स्क्रीनिंग करनी पड़ती है यानी उसके चारों ओर बैरिकेडिंग करनी पड़ती है. ताकि निर्माण के समय धूल कण ना उड़े लेकिन इसका पालन कोई नहीं करता. और अगर कोई करता भी है तो नाम मात्र के लिए. कुछ दिन निर्माणाधिन इमारत के चारों ओर हरे रंग का कवर लगा दिया लेकिन उसके फटने के बाद ध्यान नहीं दिया जाता.

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बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण शहर में चल रहे गाड़ियों से ही हो रहा है. साथ ही शहर में चल रहे सड़क या भवन निर्माण कार्य से उड़ने वाले धूल कण हवा में मिल रहे हैं जो वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. हमलोग वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कई उपाय कर रहे है. भवन निर्माण या सड़क निर्माण करने वाले लोगों को हिदायत दे रखा है कि काम करें लेकिन सामान को ढंक कर रखें. साथ ही शहर में अंगीठी जलाकर लोग धुंआ नहीं फैलाये.- अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

ये हैं वायु प्रदूषण की तीन प्रमुख वजहें

  1. शहर के उत्तरी हिस्से में औसत तीन किलोमीटर तक गंगा के किनारे की रेत
  2. शहरी क्षेत्र में निर्माण एवं विध्वंस कार्यस्थल पर पानी का छिड़काव नहीं
  3. राजधानी की सड़कों पर वाहनों का अत्यधिक दबाव, ट्रैफिक जाम (Traffic jam) की समस्या
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    वाहनों के अत्यधिक दबाव से बढ़ा प्रदूषण

धुआं बड़ी परेशानी
पटना में वायु प्रदूषण जांच केंद्र की कमी नही है. सभी पेट्रोल पंप में यह सुविधा उपलब्ध है. समय समय पर उसके मशीन को चेक भी किया जाता है. आपको बता दें कि केवल पटना में 65 वायु प्रदूषण केंद्र हैं जहां वाहन का प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट दिया जाता है. पटना शहर में प्रशासन द्वारा समय-समय पर गाड़ियों का प्रदूषण जांच भी किया जाता है. बावजूद इसके सड़कों पर धुआं उड़ाती गाड़ियां अभी भी नजर आती हैं.

यह भी पढ़ें- पटना में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण, 373 पर पहुंचा एयर क्वालिटी इंडेक्स

प्रदूषण से बचाव के लिए क्या करें?
प्रदूषण से बचने के लिए घरों के अंदर ही रहें. काम पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें. सांस लेने में दिक्कत होने, चक्कर आने, आंख में समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें. फेफड़े या हृदय रोगियों को अपनी दवा उपलब्ध रखनी चाहिए. अगर मास्क इस्तेमाल करते हैं तो एन-95 सर्टिफाइड मास्क का ही इस्तेमाल करें. खाना बनाने या गर्म करने के लिए धुआं रहित गैस या बिजली का ही उपयोग करें.

यह भी पढ़ें- डार्क रेड जोन में पहुंचा नोएडा और ग्रेटर नोएडा, AQI 500 के करीब

Last Updated : Apr 12, 2021, 6:19 PM IST
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