पटना: बिहार विधानसभा का बजट सत्र (Budget Session of Bihar Assembly) चल रहा है. सदन में एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने आवेदन की रिसीविंग नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. अख्तरुल इमान ने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए ध्यानाकर्षण के माध्यम से कहा कि किसी भी सरकारी कार्यालय में रिसीविंग नहीं दी जाती है. यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय से भी नहीं मिलता है. इस सवाल पर प्रभारी मंत्री विजेंद्र यादव ने जवाब जरूर दिया, लेकिन यह जवाब उन्हें संतोषजनक नहीं लगा.
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संतोषजनक नहीं था जवाबः एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने कहा कि मंत्री का जवाब लीपापोती वाला था. प्रभारी मंत्री विजेंद्र यादव ने इसका जवाब दिया था. मैंने कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश है कि तमाम लोगों को आवेदन की रिसीविंग दें, ताकि पता चले कि आवेदन किसे दिया जा रहा है. पूरे बिहार में कहीं भी रिसीविंग नहीं दी जा रही है. आमजनों को छोड़िए विधायकों को भी रिसीविंग नहीं मिलती. आम ऑफिस की क्या बात करें, मुख्यमंत्री के कार्यालय में भी मेरे द्वारा दिए गए आवेदन की रिसीविंग गुजारिश करने पर भी नहीं मिली.
नहीं मिलती रिसीविंगः विधायक ने कहा, मैंने एक लेटर दिया था, 2021 का इनिशियल दिया हुआ है. ना इसमें मुहर है और ना अधिकारी या आवेदन लेने वाले का पूरा नाम लिखा है. इसका मतलब है कि जितने भी गरीब लोग हैं, जो आवेदन देते हैं, उनके आवेदन को फाड़ कर फेंक दिया जाता है. सरकार फिर भी कार्रवाई नहीं करती. हमें प्रभारी मंत्री से लीपापोती वाला जवाब मिला. संतोषजनक जवाब नहीं मिला. यह बिहार में अफसरशाही को बढ़ावा देने वाली हुकूमत है. ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसे पदाधिकारियों को संरक्षण मिल रहा है. गरीबों का शोषण हो रहा है.
सर्वोपरि है आसनः वहीं सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष के बीच हुई तीखी बहस को लेकर विधायक अख्तरुल इमान ने कहा कि मेरा मानना है कि आसन सर्वोपरि है. मुख्यमंत्री भी खड़े होकर आदर करते हैं. सदन में मुख्यमंत्री ने जो भी कहा है, वह उचित नहीं है.
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