पटना: बिहार विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान एआईएमआईएम विधायकों ने 'वंदे मातरम' गाने से इनकार कर दिया है. राज्य एआईएमआईएम प्रमुख और अमौर से विधानसभा के सदस्य, अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Iman) ने कहा कि उन्होंने और पार्टी के चार अन्य विधायकों ने शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन राष्ट्रीय गीत गाने से इनकार कर दिया था और 25 फरवरी को शुरू होने वाले बजट सत्र में भी ऐसा ही करेंगे.
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वंदे मातरम को लेकर एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान ने साफ कहा कि, 'हमारा रुख साफ है, हम विरोध करेंगे और विधानसभा में इसे नहीं गाएंगे. धार्मिक आस्था किसी पर थोपना नहीं चाहिए और नहीं अघात पहुंचाना चाहिए. आस्था का पालन और दूसरे का आदर हमारे पूर्वजों ने सिखाया है, लेकिन उनके पास ताकत है तो ताकत के बल पर जो करना चाहे कर ले. लेकिन इसको लेकर हमारे बुजुर्गों ने पहले ही फैसला ले रखा है. यहां तक कि संविधान सभा में भी चर्चा हुई है सेकुलर देश में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश होनी चाहिए.'
स्पीकर के आदेश पर विवाद: इमान का बयान स्पीकर विजय कुमार सिन्हा द्वारा विधानसभा और परिषद के प्रत्येक विधायक एमएलसी को राष्ट्रगान (जन गण मन) और राष्ट्रीय गीत (वंदे मातरम) गाने के लिए कहने के एक दिन बाद आया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं. इसलिए हर देशवासी को उन्हें सार्वजनिक रूप से गाना चाहिए.
अख्तरुल इमान ने क्या कहा?: इमान ने कहा, वंदे मातरम एक भूमि के टुकड़े और अन्य चीजों की पूजा करने का आभास देता है, जिसका इस्लाम में उल्लेख नहीं है. और ना ही संविधान में कहीं नहीं लिखा. इसलिए, हम इसे किसी भी मंच पर गाने से इनकार करते हैं. बिहार में एनडीए सरकार बहुमत में है. वे विधानसभा की कार्यवाही से राष्ट्रीय गीत को गाए जाने के फैसले को वापस लेने का निर्णय ले सकते हैं. लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर पेश करने के लिए उन्हें हर जाति और धर्म का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें राष्ट्रगान गाने में कोई झिझक या आपत्ति नहीं है.
शीतकालीन सत्र में भी हुआ था विरोध: बता दें कि इससे पहले शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन जब राष्ट्रीय गीत गाया जा रहा था, तो उसी दौरान ओवैसी की पार्टी के पांचों विधायकों ने राष्ट्रीय गीत गाने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं, विधायकों ने ये भी कहा था कि स्पीकर जबरन राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाने की परंपरा थोप रहे हैं.
दरअसल, शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने सत्र के पहले दिन राष्ट्रगान (जन-गण-मन) और आखिरी दिन राष्ट्रगीत (वंदे मातरम) गाने की परंपरा शुरू की थी. उन्होंने इस बात को फिर से दोहराया कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत हमारे देश के एकता अखंडता को बताते हैं. सभी जगह पर राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत होने चाहिए, जो सार्वजनिक तौर पर आयोजित होते हैं.
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