पटना: राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ के एक नशा मुक्ति केंद्र में एडीएम के बेटे की संदिग्ध परिस्थिति (Suspicious Death Of ADM Son In Patna) में मौत मामले को लेकर इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी और बिहार साइकेट्रिक सोसाइटी (Bihar Psychiatric Society) ने रविवार को पटना के आईएमए सभागार में प्रेस वार्ता की. वार्ता में शामिल डॉक्टरों ने मीडिया में चल रही खबरों को भ्रामक बताया. साथ ही कहा कि डॉक्टर पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है.
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पुलिस को सौंपे जा चुके हैं सबूत: चिकित्सकों ने कहा कि पीड़ित परिवार के प्रति सभी की संवेदनाएं हैं लेकिन जिस प्रकार चिकित्सक और नर्सिंग होम पर बच्चे के साथ मारपीट का आरोप लगाया जा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है. अस्पताल के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. पुलिस को सभी साक्ष्य दिए जा चुके हैं. चिकित्सक और नर्सिंग होम संचालक जांच में सहयोग कर रहे हैं. चिकित्सकों ने अपील की है कि ऐसी भ्रामक खबरें नहीं चलाई जाएं, क्योंकि कोई भी चिकित्सक अपने मरीज का बुरा नहीं चाहता है.
नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के दौरान मौत: दरअसल, पटना प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यालय में तैनात एडीएम सूरत सिन्हा के पुत्र को नशे का आदी होने के कारण इलाज के लिए 21 दिसंबर 2022 को फुलवारी शरीफ स्थित मानस हॉस्पिटल (मानसिक रोग निवारण व नशा मुक्ति केंद्र) में भर्ती कराया गया. इसके बाद परिवार वालों को 12 जनवरी को अस्पताल के चिकित्सक डॉ संतोष कुमार ने फोन कर सूचना दी कि उनकी बेटे की तबीयत खराब है और उसे एम्स में एडमिट किया जा रहा है.
जब एडीएम एम्स पहुंचे तो पता चला कि उनकी बेटे को आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर पर रखा गया है. थोड़ी देर बाद उनके बच्चे की मौत की सूचना मिलती है. इसके बाद एडीएम ने अस्पताल प्रबंधन पर अपने बेटे के साथ बुरी तरह मारपीट का आरोप लगाया. उनका आरोप है कि अस्पताल के एक कर्मी ने उनके बच्चे की बुरी तरह पिटाई की. जिसकी शिकायत की पहले की गयी थी.
'पीड़ित परिवार का आरोप निराधार': प्रेस वार्ता के दौरान आरोपी चिकित्सक डॉक्टर संतोष कुमार ने कहा कि पीड़ित परिवार के प्रति उनकी संवेदना है. लेकिन उनके बच्चे के साथ किसी प्रकार की कोई मारपीट नहीं की गई थी. बच्चा रिहैब कर रहा था और उसकी स्थिति में सुधार हो रही थी. लेकिन अचानक उस दिन तीन से चार उल्टियां हुई. जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. सीपीआर देकर उसे पटना एम्स में एडमिट कराया गया. एम्स में इलाज के क्रम में बच्चे की मौत हो गई.
'पुलिस को सभी साक्ष्य दे दिए गए': इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी की बिहार शाखा के प्रेसिडेंट और पटना एम्स के साइकेट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज कुमार ने बताया कि मीडिया में डॉक्टर संतोष कुमार को लेकर बेबुनियाद खबरें चल रही है. घटना बहुत ही दुखद है. पीड़ित परिवार के प्रति उन लोगों की संवेदनाएं हैं. उनकी शिकायत पर थाने को सभी साक्ष्य उपलब्ध करा दिए गए हैं. जांच की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच की जाएं.
डॉक्टर पंकज कुमार ने आगे कहा कि कोई भी डॉक्टर अपने मरीज का बुरा नहीं चाहता है, वह नहीं चाहता है कि उसके अंडर जिस मरीज का इलाज चल रहा है उसकी जान जाए. डॉक्टर चाहता है कि उसका केस सफल रहे ताकि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और उनका व्यवसाय आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि आरोप लगाने से पहले सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन को ध्यान में रखना चाहिए. इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी समाज की संवेदनाएं और पीड़ित परिवार की संवेदनाओं को समझता है.
"बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद घटना है. उल्टी के क्रम में बच्चे की सांस की नली में कुछ अन्न फंस गया होगा जिस वजह से ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी. बच्चा रिहैब कर रहा था और उसकी स्थिति में सुधार हो रही थी" - डॉक्टर संतोष कुमार, आरोपी चिकित्सक
"डॉक्टर संतोष कुमार नालंदा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर है और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं. मानस हॉस्पिटल में वह अपनी ओर से बेहतर इलाज बच्चे को कर रहे थे. लेकिन बच्चे को अचानक उल्टी हुई और फिर जो तबीयत बिगड़ी और उसके बाद जिस प्रकार बच्चे की मौत हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है" - डॉ पंकज कुमार, साइकेट्रिक विभागाध्यक्ष, एम्स पटना