पटना : बिहार शिक्षा विभाग के नए अवकाश कैलेंडर और अन्य निर्देशों के ऊपर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है. इसके साथ ही शिक्षकों को किसी शिक्षक संघ से नहीं जुड़ने के लिए विभाग ने निर्देशित किया है. ऐसे में इन सब तमाम परिस्थितियों के बीच शिक्षक संघर्ष मोर्चा की गुरुवार को एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई. इसमें दर्जनों शिक्षक संघ के प्रतिनिधि शामिल हुए और सभी ने सोशल मीडिया पोस्ट के कारण शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई का एक स्वर में विरोध किया.
'शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई असंवैधानिक' : बैठक में तमाम शिक्षकों ने हो रही अनुशासनिक कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया. मोर्चा की ओर से टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने बयान जारी करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग के द्वारा जारी किए गए आदेश पत्र में शिक्षकों के संघ या संगठन बनाने एवं उनसे जुड़ने पर जो पाबंदी लगाई गई है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. विभिन्न विभाग के कर्मचारियों के अपने-अपने संघ एवं संगठन हैं. यहां तक कि आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन भी है. लेकिन उनकी तो कोई मान्यता रद्द नहीं हो रही है और ना ही उनसे जुड़ने पर किसी कर्मचारी या पदाधिकारी पर कोई अनुशासनिक कार्रवाई हो रही है. फिर शिक्षक संघों पर इस तरह से मनमानी पूर्ण कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं है.
अमित विक्रम ने कहा कि ''पिछले दो दिनों में सैकड़ों ऐसे शिक्षकों पर अनुशासनिक कार्रवाई के लिए पत्र जारी किया गया है, जिन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपने अभिव्यक्ति की आजादी का सदुपयोग किया था. वर्तमान में शिक्षकों के नियमावली 2020 में इस तरह की कहीं कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है कि शिक्षक सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं कर सकते एवं अपनी अभिव्यक्ति वहां व्यक्त नहीं कर सकते हैं. फिर भी बिना किसी ठोस आधार के इस तरह की एकतरफा कार्रवाई पूरी तरह से शोषणात्मक एवं दमनात्मक प्रतीत हो रही है. ऐसा मालूम पड़ता है कि विभागीय पदाधिकारी शिक्षकों के दमन और शोषण के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं.''
केके पाठक के विभाग के नए फरमान पर शिक्षक संघ : अमित विक्रम ने बताया कि बैठक के बाद शिक्षक संघर्ष मोर्चा सरकार से यह मांग करती है कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए जा रहे इन सभी असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक आदेशों को यथाशीघ्र निरस्त करें. साथ ही इस तरह के तानाशाही आदेश पत्र जारी करने वाले शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को भी विभाग से कहीं बाहर ट्रांसफर करें. शिक्षा विभाग यदि यह सोचता है कि शिक्षक नेताओं और शिक्षकों पर कार्रवाई करके उनके संघर्ष को दबा देगी तो यह संभव नहीं है.
''शिक्षक अपने संवैधानिक अधिकारों और मानवीय आधार पर मिलने वाली सुविधाओं के लिए संघर्ष जारी रखेंगे. किसी भी परिस्थिति में शिक्षक संघ या शिक्षक इन आदेशों से डरने या घबराने वाले नहीं हैं. यदि सरकार तीन दिनों के अंदर इन आदेशों को वापस नहीं लेती है तो सभी संघ मिलकर इन आदेशों को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे.''- अमित विक्रम, अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
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