पटना: बिहार सरकार की विभिन्न योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर विशेष रूप से मुखिया की संलिप्तता रहती है. इसको लेकर कई बार शिकायतें सामने आईं हैं. इस बाबत, बिहार सरकार ने सख्ती दिखाते हुए बड़ी कार्रवाई की है. पंचायती राज विभाग ने बिहार के विभिन्न जिलों के 10 मुखिया को बर्खास्त कर दिया है. इन पर कार्रवाई करते हुए पांच साल के लिए चुनाव लड़ने का बैन लगाया गया है.
सभी मुखिया पर सात निश्चय योजना में गड़बड़ी का आरोप है. जानकारी के मुताबिक नवादा के अकबरपुर प्रखंड के राजमहल पंचायत के मुखिया सहीमा खातून, नासरीगंज प्रखंड के ओडो पंचायत की मुखिया मिंता देवी, नरहट के मुखिया उर्मिला देवी, जबकि हंडिया पंचायत के मुखिया प्रमोद कुमार पर कार्रवाई हुई है.
डीएम ने की थी अनुशंसा
इनके अलावा कहुआरा पंचायत के मुखिया राकेश कुमार, शेखपुरा के चेवड़ा प्रखंड के पिंकू कुमार, कैमूर के चांद प्रखंड के लोहदन की मुखिया हीरावती, नालंदा के राजगीर प्रखंड के गोरौर पंचायत के मुखिया संतोष कुमार दिवाकर, औरंगाबाद के देव प्रखंड के एकरौरा पंचायत की मुखिया प्रमोद कुमार चौरसिया और बिलारी मुखिया भी फरजिना बेगम पर भी कार्रवाई हुई है. इन सभी पर डीएम की अनुशंसा के बाद पंचायती राज विभाग ने कार्रवाई की है और इन्हें 5 साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दिया है.
- बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18-5 के प्रावधान के मुताबिक नालंदा के गोरौर मुखिया संतोष कुमार को पद से हटा दिया गया है. ग्राम पंचायत मे संतोष कुमार दिवाकर पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इनमें 30 लाख 53 हजार रुपये से ज्यादा की अवैध निकासी का भी आरोप है.