पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि, सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance Towards Corruption) के लिए प्रतिबद्ध है. इसी के तहत बिहार के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई (Action Against Corrupt Officials) जारी है. इस नीति के तहत भ्रष्ट लोक सेवकों पर निगरानी विभाग और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा शिकंजा कसा जा रहा है. निगरानी ब्यूरो द्वारा अब बड़े भ्रष्ट लोक सेवकों को दबोचने पर खासतौर पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. पहले जहां राजस्व कर्मी, जमादार, दारोगा जैसे कर्मियों पर कार्रवाई होती थी. वहीं, अब अधीक्षण अभियंता, इंजीनियर और डीटीओ चिकित्सक पदाधिकारी पर ज्यादा कार्रवाई हो रही है.
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श्रम अधीक्षक जैसे क्लास वन रैंक के अधिकारियों पर नकेल कसी जा रही है. दरअसल आय से अधिक संपत्ति मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है जोकि, पहले की तुलना में काफी ज्यादा है. वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई तो की जा रही है लेकिन, उनकी जड़े नहीं काटी जा रही है.
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निगरानी विभाग के द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार निगरानी विभाग में अब तक करीब 50 मामले दर्ज किए गए हैं. जिनमें से बड़े अधिकारी के लगभग 25 मामले हैं. वहीं आय से अधिक संपत्ति मामले में करीबन 15 DA के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. इन अधिकारियों के पास से अब तक करोड़ों रुपए बरामद हुए हैं.
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पिछले वर्ष की तुलना में अब तक निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा बड़ी संख्या में कार्रवाई की गई है जिसमें, जिला अभियंता अधीक्षण अभियंता, डीटीओ निर्देशक, भूमि संरक्षण, कृषि विभाग समेत अन्य अधिकारियों की संख्या ज्यादा है. वहीं निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा ट्रैप केस मामले में 35 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से भी 1 दर्जन से अधिक मामले कार्यपालक अभियंता और जिला चिकित्सक पदाधिकारी समेत क्लास वन रैंक के अधिकारी हैं. निगरानी विभाग के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अब तक आय से अधिक संपत्ति मामले में निगरानी विभाग द्वारा करीबन 30 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति का पता चल चुका है.
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पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार की शुरुआत दोनों तरफ से होती है. रिश्वत देने वाले और रिश्वत लेने वाले जिम्मेदार होते हैं. जब तक सरकार को तब पता चलता है तब तक अधिकारी रिटायर होने वाले होते हैं या अकूत संपत्ति के मालिक होते हैं.नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 52% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. चंद अधिकारियों ने लूट मचा कर अकूत संपत्ति इकट्ठा कर रखी है.
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"सरकार को भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों का समय पर पता नहीं चलता है. और जब तक पता चलता है तब तक 10 सालों में वह पैसे का पहाड़ खड़ा कर लेता है. साउथ में जाकर देख लीजिए वहां के अधिकारी भ्रष्टाचार करने से पहले 100 बार सोचते हैं. बिना राजनीतिक के सपोर्ट के अधिकारी भ्रष्टाचार नहीं करते हैं. सरकार को शुरुआत से ही इन अधिकारियों पर लगाम लगाने की जरूरत है."- संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
जीरो टॉलरेंस को लागू करने के लिए कई कदम उठाने की सलाह एक्सपर्ट दे रहे हैं. जनता को यह विश्वास दिलाना होगा कि,सही काम करने के लिए रिश्वत देने की जरूरत नहीं है. उस दिन से सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी देखने के मिलेगी और भ्रष्टाचार पूरी तरह से रुक सकता है.अगर सरकार को यह सूचना मिल रही है कि एक अधिकारी कई वर्षों तक एक ही जगह पर जमे हुए हैं तो, उन्हें सबसे पहले हटाने की जरूरत है. हालांकि लगातार की जा रही कार्रवाई के बाद अधिकारियों में भय का माहौल कायम है और इसे कायम रखने के लिए सरकार को ट्रांसपेरेंसी लाने की जरूरत है.
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निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा DA के अंतर्गत होने वाले रेड में काफी चल और अचल संपत्ति के साथ करोड़ों रुपए बरामद होते हैं. बता दें कि भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मदन कुमार के ठिकानों पर रेड के दौरान 11 लाख कैश के अलावा बैंक खाते में एक करोड़ से ज्यादा जमा करोड़ों रुपए की संपत्ति मिली थी. वही पथ निर्माण विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर कन्टेश कुमार के यहां रेड में 15 लाख से ज्यादा कैश, आधा किलो सोना, 3 किलो चांदी समेत करोड़ों की अवैध संपत्ति मिली थी.
इसी तरह डीटीओ एके ठाकुर के पास से बैंक खाते में जमा 80 लाख से ज्यादा रुपए, 70 लाख से ज्यादा की एफडी और 5 लाख के गहने समेत करोड़ों की जमीन जायदाद के साक्ष्य मिले थे. डीटीओ रजनीश लाल के पास से 34 लाख नगद के अलावा करोड़ों की जायदाद मिली है. विगत 4 दिन पहले पूर्वी चंपारण के उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के अकूत संपत्ति का पता चला. इनके ऊपर आरोप था कि, शराब माफियाओं से सांठगांठ कर इन्होंने अकूत संपत्ति इकट्ठा कर रखी है.
रोहतास के जिला भू अर्जन पदाधिकारी राजेश गुप्ता के घर पर छापेमारी में 29 लाख 63 हजार नगद और एक करोड़ 19 लाख रुपए के जेवरात प्राप्त हुए हैं. 26 नवंबर को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा बीजेपी के खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम के आप्त सचिव मृत्युंजय कुमार और उनके भाई,उनकी महिला मित्र के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 1. 73 लाख रुपए की अवैध संपत्ति बरामद किया गया था.
वहीं 14 सितंबर को पथ निर्माण विभाग के धनकुबेर कार्यपालक अभियंता के ठिकानों पर निगरानी की रेड के दौरान 10 लाख नगद समेत फ्लैट्स के कई कागजात मिले थे. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा 27 नवंबर को सासाराम के भू अर्जन पदाधिकारी के ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति मामले में 20 लाख नगद, दो लॉकर के अलावा सोने की बिस्किट और कई दस्तावेज बरामद हुआ था.
आपको बता दें कि अब तक की गई कार्रवाई के दौरान विगत 2 दिन पहले निगरानी विभाग द्वारा की गई छापेमारी में हाजीपुर के श्रम अधिकारी दीपक कुमार शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान उनके घर के दीवान के अंदर से पौने 2 करोड़ कैश और करीबन 50 लाख के जेवरात के अलावे कई दस्तावेज बरामद किए गए थे. जानकारी के अनुसार अब तक की कार्रवाई में सबसे अधिक इन्हीं के घर से कैश बरामद किया गया है. इनके ऊपर आरोप है कि, हाजीपुर से पहले कैमूर में मजिस्ट्रेट के पद पर चेक पोस्ट तैनाती के दौरान उन्होंने अकूत धन अर्जित किया था.
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar On Zero Tolerance ) की मानें तो जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत लगातार निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, स्पेशल बिजनेस यूनिट और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा बालू के अवैध धंधे में संलिप्त अधिकारी के अलावे आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए हुए अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है.
"सरकार की नीति है,जीरो टॉलरेंस के तहत छोटे हो या बड़े अधिकारी अगर गलती करेंगे तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा, आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी. लगातार बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है. छापेमारी के दौरान कई अधिकारियों के पास से अवैध अकूत संपत्ति भी बरामद किया गया है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी पुलिस मुख्यालय
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